ए एन शर्मा प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय में सरकार की अपील हुई खारिज, सरकार और विजिलैन्स को झटका

Created on Tuesday, 03 May 2016 08:46
Written by Shail Samachar


शिमला/शैल। धूमल शासन में पूर्व आई पी एस अधिकारी एएन शर्मा को एच्छिक सेवा निवृति के बाद पुनः नौकरी पर बनाए रखने में हुई नियमों की अनदेखी की शिकायत पर विजिलैंस ने बकायदा मामला दर्ज करके इसकी जांच की थी। जांच के बाद पूर्व मुख्यमन्त्राी प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्य सचिव रवि डींगरा, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह पी सी कपूर और आई पी एस ए एन शर्मा के खिलाफ इस प्रकरण का चालान विशेष अदालत में दायर किया था। विशेष अदालत में आए इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौति दी गई थी। उच्च न्यायालय के इस सन्दर्भ में दर्ज हुई एफआईआर को निरस्त करते हुए मामले को शुरू होने से पहले ही समाप्त कर दिया था। उच्च न्यायालय के फैसले से आहत हुई सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी थी जो कि अन्ततः खारि हो गई।
इस मामले की शिकायत आने से लेकर इसमें हुई जांच और उसके बाद विशेष अदालत में पहुंचे चालान तक कानून के जानकार इसे बेहद कमजोर मामला करार दे रहे थे। लेकिन उच्च न्यायालय में हारने के बाद इसमें एस एल पी फाईल करने का फैसला लेना अब एस एल पी का डिसमिस हो जाना सरकार और पूरे विजिलैंस तन्त्रा की नीयत और नीति पर गम्भीर सवाल खड़े करता है। क्योंकि यह एक ऐसा मामला था जिसमें सरकार को कोई राजस्व हानि नहीं हुई है क्योंकि ए एन शर्मा ने इस दौरान पद पर रहकर पूरी निष्ठा से काम करके वेतन लिया है और यदि वह ऐच्छिक सेवा निवृति का आवेदन न करते तो भी वह उसी तिथि को सेवा निवृत होते जिस पर बाद में हुए। फिर वीरभद्र सरकार ने भी दर्जनों सेवानिवृत अधिकारियों को पुनः नौकरी पर रखा है। यह मामला नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमन्त्राी प्रेम कुमार धूमल को घेरने के लिए बनाया गया था। लेकिन इस मामले में हुई जांच के बाद जो चालान दायर हुआ था उसे निष्पक्षता से देखते हुए ये स्पष्ट हो जाता है कि यह एक बेहद कमजोर मामला बनाया गया था जिसका सफल होना असम्भव माना जा रहा था। क्योंकि इसमें कमियां थी।
आज इस मामले के सर्वोच्च न्यायालय में खारिच हो जाने से सीधे वीरभद्र सिंह को व्यक्तिगत स्तर पर एक बड़ा राजनितिक झटका माना जा रहा है क्योंकि इस समय वीरभद्र और धूमल परिवार में सीधा राजनीतिक टकराव सार्वजनिक रूप से खुलकर सामने है तथा उसमें वीरभद्र की लगातार हार होती जा रही है। अवैध फोन टैपिंग मामले से लेकर एच पी सी ए और धूमल संपत्ति मामले तक सरकार को कहीं कोई सफलता अब तक नहीं मिली है और न ही आगे मिलने की सम्भावना है। राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में हर जगह यह चर्चा है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है। बल्कि अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि अब धूमल के खिलाफ उठाया जा रहा हर कदम पूरी तरह असफल हो रहा है तो इस स्थिति को सुधारते हुए वीरभद्र सिंह को एच पी सी ए के खिलाफ विजिलैंस के सारे मामलों को तुरन्त प्रभाव से अदालतों से वापिस लेकर इन पर हो रहे सरकारी खर्च को तो रोक देना चाहिए। क्योंकि आज वीरभद्र और उनके चुनिंदा तन्त्रा के अतिरिक्त जानकारी रखने वाला हर आदमी मानता है कि एच पी सी ए के हर मामले में बुनियादी कमियां है जिनके कारण इनका सफल होना संदिग्ध है और वीरभद्र के पास व्यक्तिगत तौर पर इन मामलों को देखने और समझने का समय ही नहीं है।