शिमला/शैल। एच पी सी ए और अब बी सी सी आई के भी अध्यक्ष हमीरपुर के भाजपा सांसद तथा भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के तथा अन्य के खिलाफ वीरभद्र की विजिलैंस द्वारा सरकारी काम में बाधा डालने के लिए बनाये गये मामले में दर्ज एफ आई आर और सी जे एम कोर्ट धर्मशाला मे चल रही कारवाई को प्रदेश उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय के फैंसले ने वीरभद्र की विजिलैंस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाये हैं । बल्कि फैसले से यह संदेश जाता है कि संभवतः यह मामला जानबूझ कर बनाया गया था। इसी तरह का संदेश ए एन शर्मा मामले में आये फैसले से भी गया है। इन मामलों में ऐसी बुनियादी कमीयां थी कि कानून की थोडी सी जानकारी रखने वाला हर आदमी यह मानकर चल रहा था कि यह मामले सफल नही हो सकते हुआ भी ऐसा ही है।
लेकिन इन मामलों के सफल /असफल होने पर किसी ने विजिलैन्स या दूसरे प्रशासनिक तन्त्रा से तो कुछ पूछना नही है। इनमे पहला और अन्तिम सवाल भी वीरभद्र सिंह से ही पूछा जाना है क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस कार्यकाल में लडी गयी लडाई का सबसे बडा प्रमाण यही एच पी सी ए के मामले रहे है। इन मामलों के परिणाम भी वीरभद्र सिंह के सामने ही आ गये हैं ऐसे में इन पर वीरभद्र सिंह से ही प्रतिक्रिया ली जानी थी। मीडिया ने अपना धर्म निभाते हुए सवाल पूछ लिया इस सवाल पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।
अब वीरभद्र के इस दावे को लेकर चर्चाएं चलना तो स्वाभाविक है। यह चर्चा चल रही है कि क्या वीरभद्र सिंह ने स्वयं इस मामले में आये फैंसले को पढ़ा होगा? क्योंकि जो भी इस फैसले को पढे़गा वह मानेगा कि इसमें अपील करने का अर्थ होगा और फजीहत करवाना । इस मामले में चाहिये तो यह था कि इससे प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष में जुडे हर अधिकारी की कड़ी जवाब तलबी करते हुए उनके खिलाफ कारवाई की जानी चाहिये थी। लेकिन ऐसा लगता है कि वीरभद्र के शुभ चिन्तकों ने पूरा मन बना लिया है कि सरकार को अपने ही बोझ से इतना दबा दो कि आने वाले समय में उसके खिलाफ कुछ करने की विरोधीयों को आवयश्कता ही न रहे।