शिमला/शैल। वर्ष 1993 से 1998 के बीच प्रदेश में घटे बहु चर्चित चिटों पर भर्ती मामलें में विजिलैन्स ने जो चार चालान अदालत में पहुंचाये थे उनमें नामजद दोषी चार आई ए एस अधिकारियों के खिलाफ भी अब वीरभद्र सरकार मामले वापिस लेने तैयारी में है। यह अधिकारी है डा. एआरबासू, एस के जस्टा वी के बंसल और विनोद लाल। इनके मामले इस आधार पर वापिस लिये जा रहे है क्योंकि इनसे पहले ऐसे ही मामलंे में अश्वनि कुमार के विरूद्ध चल रहा मामला वापिस ले लिया गया है। इस प्रकरण में विजिलैन्स ने पहले ही 53 विभागों के संवंध में क्लोजर रिपोर्ट अदालत में दायर कर दी थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इसी कारण से अब इन चारों के मामले भी वापिस लिये जा रहें हैं।
इस समय पूर्व डीजीपी मिन्हास के खिलाफ दो मामले अदालत में ट्रायल में चल रहे हैं। इनमें मिन्हास के नववहार स्थित मकान के मामलें में नगर निगम की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ था। दूसरा मामला मिन्हास के बेटे के नर्सिगं काॅलिज को लेकर है और इनमें विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से शिकायत है। मिन्हास के अतिरिक्त पूर्व उद्योग मन्त्री किश्न कपूर के खिलाफ पिछली जिला परिषद के चुनावों के दौरान जो मामला बना था उसकी जांच पूरी होने के बाद उसका चालान भी अदालत में पहुंच चुका है। इन सारे मामलों की जांच डी डब्लू नेगी के पास थी।
स्मरणीय है कि चिटों पर भर्ती मामला धूमल शासन में शुरू हुआ था। इन भर्तीयों को लेकर हर्ष गुप्ता और अवय शुक्ला के अधीन दो जांच कमेटीयां बनाई गयी थी। इनकी जांच रिपोर्ट जब सार्वजनिक हुई थी तब धूमल सरकार ने अपने स्टैण्ड को बदलते हुए इनकी कारवाई करने से मना कर दिया था। जबकि 1993 से 98 के बीच सरकारी विभागों में 16842 और निगमों/बार्डो में 6147 नौकरियां जांच के दायरे में लायी गयी थी। इनमें सरकारी विभागों में 1414 और निगमोें/ बार्डो में 239 नियुक्तियां शुद्ध राजनीतिक आधार पर हुई पायी गयी थी। लेकिन जब इस मामले में धूमल सरकार ने कारवाई नही की तब एस एम कटवाल ने एक याचिका डालकर मामलें को प्रदेश उच्च न्यायालय में पहुंचा दिया। उच्च न्यायालय के सामने जब जांच कमेटीयों की रिपोर्ट आई तब उसका कड़ा संज्ञान लेते हुए अदालत में स्पष्ट कहा कि प्ज पे दवज पद कपेचनज जींज उंल पससमहंस ंचचवपदजउमदज ींअम जंाम चसंबम इस मामले में चिटे देने वाले और उन पर नौकरी पाने वाले दोनों ही पूरी तरह चिन्हित थे लेकिन विजिलैन्स ने उच्च न्यायालय के आदेश पर 5.1.2006 को एफआईआर दर्ज करके सरकारी विभागों की 81 फाईलें और निगमों/बोर्डो की 32 फाईलें अपने कब्जे में ले ली। लेकिन सारा रिकार्ड कब्जे में नहीं ले पायी। शेष रिकार्ड के लिये 65 विभागों और 21 निगमों/बोर्डो को पत्र लिखे गये। लेकिन इस सबके वाबजूद यह पहला मामला है जिसमें उच्च न्यायालय की स्पष्ट और गंभीर टिप्पणीयों के वाबजूद अन्ततः परिणाम शून्य ही रहा है।