शिमला/शैल।वीरभद्र सरकार प्रदेश में हुए अवैध भवन निर्माणों को नियमित करने के लिये एक बार फिर रिटैन्शन पालिसी लेकर आयी है। इस आश्य का एक अध्यादेश 8जून को अधिसूचित किया गया है जो कि 15 जून से लागू हो गया है और एक वर्ष तक रहेगा। अध्यादेश में कहा गया है कि यह अध्यादेश इसके प्रारम्भ होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिये प्रवृत रहेगा। इस अध्यादेश के माध्यम से हिमाचल प्रदेश नगर और ग्राम योजना अधिनियम 1977 की धारा क के पश्चात् कुछ प्रावधान किये गये हैं जिनके अनुसार अवैध निमार्ण नियमित किये जायेंगे। इसमें किसी भी भवन की पांच मंजिलों तक हुई अनियमितता/अवैधता को कुछ जुर्माने/फीस के नियमित किया जायेगा या उन्हें नियमित नही किया जायेगा इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नही किया गया है। जबकि नगर निगम शिमला क क्षेत्रा में ही पांच मंजिलों से अधिक मंजिलों वाले सरकारी और निजि भवन हैं जिनकी सूची विधान सभा के पटल तक भी आ चुकी है।
आज सरकार को यह अध्यादेश क्यों लाना पडा है? किन लोगों ने अवैध निर्माण कर रखे हैं जिनके लिये भवन निर्माण नियमांे में नौवीं बार संशोधन लाना पडा है। उसका पता तो इस संवद्ध आने वाले आवेदनांेे से ही सामने आयेगा। लेकिन इस अध्यादेश को लेकर यह सवाल खड़ा हो गया है। कि इसकी अवधि एक वर्ष क्यों रखी गयी है। अध्योदश का सहारा तब लिया जाता है जब विधान सभा का सत्रा न चल रहा हो और स्थिति की गंभीरता की मांग यह हो कि इसके तुरन्त समाधान के लिये अध्यादेश का रास्ता अपनाना ही एक मात्रा विकल्प हो। 15 जून से यह अध्यादेश लागू हो गया है। इसकी एक वर्ष की अवधि जून 2017 में पूरी होगी। इस एक वर्ष के अन्तराल में मानसून, शीत कालीन और फिर बजट सत्रा आने है। नियमों के मुताबिक अध्यादेश जारी होने के बाद जो भी विधान सभा सत्रा आयेगा उसमें अध्यादेश के स्थान पर नियमित विधेयक सदन मंें पेश करके पारित करवाना पड़ता है। सत्रा में यदि विधेयक पारित हो जाये तो वह मूल अधिनियम का अंग बन जाता है यदि सदन में पारित न हो पाये तो छः सप्ताह के भीतर स्वतः समाप्त हो जाता है। फिर किसी भी सत्रा का अन्तराल छः महीने से अधिक का हो नहीं सकता है। छः माह के सत्रा बुलाना ही पड़ता है। इसलिये अध्यादेश की मूल अवधि छः माह रखी जाती है। और हर छः माह बाद उसे पुनः जारी करके दो वर्ष की अधिकतम अवधि पर लाया जा सकता है।
ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अभी विधान सभा का सत्रा नहीं होगा? क्या इस अध्यादेश की अवधि एक मुफ्त एक वर्ष रखने को निकट भविष्य में विधान सभा भंग करके नये चुनाव करवाये जाने का संकेत माना जाये। या फिर अध्यादेश के इस तकनीकी पक्ष की ओर से किसी ने ब्यान नही दिया हैै। कानूनी हल्को में एक वर्ष की अवधि को कानून वैधता के आईने में भी देखा जा रहा है।