सीआईसी और शिक्षा के नियामक आयोग का अध्यक्ष तलाशने के लिए नही बन पायी स्क्रीनिंग कमेटी

Created on Tuesday, 02 August 2016 07:55
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त और शिक्षा के नियामक आयोग के अध्यक्ष पद करीब पिछले पांच माह से खाली चल रहे हैं। इन पदांे को भरने के लिये आवेदन आमन्त्रित कर लिये गये थे। शिक्षा के नियामक आयोग में सदस्य का रिक्त पद भर भी लिया गया है और मुख्यमन्त्री के प्रधान निजि सचिव सुभाष आहलूवालिया की पत्नी आर.के.एम.बी. कालिज की प्रिसिंपल मीरा वालिया को सदस्य का पद मिला है। जिस बैठक में सदस्य का पद भरा गया था उस बैठक में अध्यक्ष का पद नही भरा जा सका। क्योंकि नियामक आयोग का अध्यक्ष पद भरने के लिये शिक्षा सचिव चयन समिति की बैठक बुलाते है। लेकिन यहां पर तत्कालीन शिक्षा सचिव पी सी धीमान स्वयं इस पद के लिये दावेदार थे और इस कारण यह बैठक नही बुलायी जा सकी। अब धीमान सेवानिवृत हो गये हैं अब यह बैठक बुलायी जा सकती है। 

पी सी धीमान की दावेदारी के कारण यह पद खाली रखा गया था। लेकिन इसी बीच सरकार ने शराब का कारोबार करने के लिये भी एक अलग निगम बनाने का फैसला ले लिया है। सरकार द्वारा शराब का सारा कारोबार अपने एकाधिकार में लेने के लिये जीआईसी को इस कारोबार से बाहर कर दिया गया है। जीआईसी को अपना आवेदन तक वापिस लेना पड़ा है। इस सबमंे आबकारी एंवम कराधान सचिव के नाते पीसी धीमान की मुख्य भूमिका रही है। धीमान की इसी भूमिका के लिये इस नयी निगम के अध्यक्ष पद के लिये भी वह प्रबल दावेदारों में आ गये हैं। लेकिन एचपीसीए के मामले में सरकार धीमान के खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अनुमति तक दे चुकी है ऐसे में सेवानिवृति के बाद धीमान को किसी पद पर तैनाती देना सरकार के लिये विवाद खड़ा कर सकता है।
इसी तरह सीआईसी के लिये आये आवेदनों की छंटनी के लिये भी अभी तक स्क्रीनिंग कमेटी गठित नही हो पायी है। इस पद के दावेदारों में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के एस तोमर भी शामिल हो गये हैं। हालांकि संविधान के मुताबिक लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष के सदस्यों पर सरकार में कोई भी अन्य पद स्वीकारने पर प्रतिबन्ध है। इस संद्धर्भ में आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य राज्यपाल को शिकायत तक भेज चुके हैं। उधर विशेषज्ञों के मुताबिक सूचना आयोग अध्यक्ष के बिना काम ही नही कर सकता है। सूचना आयोग में अध्यक्ष का होना अनिवार्यता है। सूचना आयोग को लेकर सरकार एक तरह से सवैंधानिक संकट मे फंस चुकी है। ऐसे में सरकार इन रिक्त पदों को कब और कैसे भरती है इस पर सबकी निगाहें लगी हैं।