यह कैसी सर्वश्रेष्ठता

Created on Tuesday, 15 November 2016 14:43
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठत पत्रिका इण्डिया टुडे ने सर्वश्रेष्ठता का ईनाम दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में किस राज्य में क्या काम हुआ है? वहां शिक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है। साक्षरता की दर क्या है। ड्राॅपआऊट की स्थिति क्या है? भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे सर्वशिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों की स्थिति क्या है? शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बड़े स्कूलों में बी पी एल के कितने बच्चों को दाखिला मिला है। ऐसे कई मानदण्ड है जिनका व्यवहारिक आकलन किये बिना प्रदेश की शिक्षा स्थिति का सही मूल्यांकन नही किया जा सकता है। इस पत्रिका को इन मानदण्डों पर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का आकलन करके क्या अध्ययन रहा है इसकी कोई औपचारिक सूचना प्रदेश सरकार के पास नही मिल पायी है।
वैसे जिस दौरान यह आवार्ड दिया जा रहा था उसी दौरान प्रदेश के कई भागों से यह समाचार आ रहे थे कि लोगों ने स्कूल में पर्याप्त अध्यापक न होने के कारण सामूहिक रूप से बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है। पिछे जब कई स्कूलों के परीक्षा परिणाम शून्य रहने पर ऐसे अध्यापकों के खिलाफ कारवाई करने की कवायद की जाने लगी थी तो उसे अन्तिम क्षणों में रोक दिया गया था क्योंकि इसका कारण अध्यापकों की कमी मिला था। अब सरकार ने शत-प्रतिशत परिणाम देने वाले अध्यापकों को ईनाम के रूप सेवा विस्तार देने का फैसला लिया है। वैसे इस शिक्षक सम्मान योजना की घोषणा मुख्यमन्त्री ने अपने बजट भाषण में की थी जिस पर अब अमल करने की बात आ रही है।
इस समय प्रदेश में स्कूलों की संख्या हजारों में है जहां तय मानदण्डो से बच्चों और अध्यापकों दोनों की संख्या कम है। ऐसे भी स्कूल है जहां एक ही छात्र है और एक ही अध्यापक है। मुख्यमन्त्री ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि जहां एक भी बच्चा पढ़ने वाला होगा वह वहां स्कूल खोलेंगे। लेकिन अब व्यवहारिकत्ता का ज्ञान होने के बाद हजारो स्कूलों को बन्द करने का फैंसला लिये जाने की स्थिति आ गयी है। अभी सौ स्कूलों को बन्द करने का फैसला लिये जाने की स्थिति आ चुका है। शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी स्वयं मुख्यमन्त्री के पास है इसलिये बतौर मुख्यमन्त्री उनकी घोषणाएं अलग अर्थ रखती है। लेकिन बतौर शिक्षा मंत्री वह इन घोषणाओं पर अमल करने की स्थिति में नही है। ऐसे में चर्चा यह चल पड़ी है कि सर्वश्रेष्ठता का मानदण्ड घोषणाएं है या उन पर अमल न हो पाना है।