शिमला। प्रदेश के निजि शिक्षण संस्थानों पर शिक्षा का बाजारीकरण करने के आरोप एक अरसे से लगते आ रहे हंै। इन्ही आरोपों की गंभीरता को देखते हुए हिमाचल सरकार ने प्रदेश में इन संस्थानों के लिये एक नियामक आयोग का गठन किया हुआ है। बल्कि प्रदेश के एक निजि शिक्षण संस्थान का मामला जब सर्वोच्च न्यायालय तक पंहुचा था तब शीर्ष अदालत ने भी इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए एक एसआईटी का गठन किया था। यह एसआईटी भी पिछले छःमाह से प्रदेश में कार्यरत है। लेकिन इस सबके बावजूद कई निजि शिक्षण संस्थान लोगों की आंखों में धूल झोकंने और छात्रों से लाखों की फीस बटोरने के धन्धे में लगे हुए है। राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में स्थित हैरिटेज इंस्टीच्यूट आॅफ होटल एण्ड मैनेजमैन्ट को नियामक आयेाग ने इस अवैधता का दोषी पाते हुुए उसे तुरन्त प्रभाव से बन्द किये जाने के आदेश जारी किये है। इस संद्धर्भ में उत्तर प्रदेश की हैरिटैज ऐजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए आयोग के सदस्य सुनील दत्त ने दस दिनों के भीतर इन आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के आदेश जारी किये हैं।
इस मामले मेे सुनवाई करते हुए आयोग ने पाया कि होटल मैनेजमैन्ट और केटरिंग में जो बीएससी की डिग्री मदुरैये के कामराज विश्वविद्यालय एमकेयू से 21 हजार रूपये में होती है उसके लिये यहां छात्रों से 2,58,505 रूपये वसूले जा रहे थे। जो डिप्लोमा वहां आठ हजार में होता है उसके लिये यहां पर 45650 रूपये लिये जा रहे थे।
इस शिक्षण संस्थान को चला रही सोसायटी केआठ सदस्य हैं लेकिन हिमाचल से एक भी नही है। जबकि प्रदेश में अपना काम चलाने के लिये यहां से भी कुछ सदस्य होने चाहिये थे। नियामक आयोग के मुताबिक यह इंस्टीच्यूट रैगुलर कोर्स चलाने जैसे भ्रामक विज्ञापन देकर छात्रों को यहां आने के लिये प्रलोभित करता है। जबकि सही मायनों में यह एक स्टडी सैन्टर भी नहीं है। केवल छात्रों से पैसा बनाने का धंधा चलाया जा रहा था। इस संस्थान को यहां चलाने के लिये राज्य सरकार से भी कोई अनुमति नही ली गयी है। माना जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे और भी कई संस्थान हो सकते हंै।