शिमला। मुख्यमन्त्रीे कार्यालय से मुख्यमन्त्रीे का डीओ लेटर पैड चुराकर उसके माध्यम से कर्मचारियों के तबादले करवाये जाने के मामले में अन्ततः पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने की स्थिति घट चुकी है। फर्जी डीओ लेटर काण्ड में कर्मचारियों के सैंकडा़े तबादलें करवाये गये थे। इस काण्ड में अब पुलिस ने संजय गुलेरिया की गिरफ्तारी को अंजाम दिया है। लेकिन इस गिरफ्तारी के साथ ही सीएम आॅफिस से एक तबदला रैकेट चलाये जाने का आरोप लग गया है। आरोप है कि तबादला काण्ड के तार सीएम आॅफिस के साथ-साथ नाहन से भी जुडे़ हैं।
तबदला रैकेट का यह आरोप राजपूत सभा नाहन के अध्यक्ष और राज्य बिजली बोर्ड से सेवानिवृत एसडीओ दिनेश चैहान ने लगाये है। दिनेश चैहान ने बाकायदा शिमला में एक पत्रकार वार्ता आयोजित करके नाहन के सैणी बन्धुओं पर मुख्यमन्त्रीे कार्यालय के कुछ बाबूओं के साथ मिलकर इस रैकेट को अंजाम देने का आरोप लगाया है। आरोप है कि प्रति तबदला 15 हजार रूपया लिया जाता है यह पैसा नाहन के पीएनबी बैंक के खाता नम्बर 4588000400003305 में जमा होता है और शिमला में निकाल लिया जाता है। इस तबदला काण्ड में सैणी बन्धुओं के साथ एक थापा नाम के कर्मचारी के भी शामिल रहने का आरोप है। चैहान ने खुलासा किया है कि एक ही छत के नीचे काम कर रहे 28 में से 11 कर्मचारियों का तबदला कर दिया गया जो कि तबदला नीति के खिलाफ है।
चैहान का आरोप है कि 7 जनवरी 2016 को यह पूरा काण्ड एडीजीपी विजिलैन्स के संज्ञान में लाया गया था। उन्हें 11 कर्मचारियों के तबादले की सूची देकर इस काण्ड की जांच की मांग की गयी थी। इस संद्धर्भ में विजिलैन्स को लिखी चिट्ठी भी मीडिया के सामने रखी गयी। लेकिन विजिलैन्स ने अभी तक कोई कारवाई नही की है। इसके बाद 18 जुलाई को मुख्यमन्त्रीे के नाहन दौरे के दौरान 80 लोगों ने उनसे मिलकर इस काण्ड के बारे में उन्हें जानकारी दी थी। लेकिन फिर भी इस संबंध में कोई जांच अब तक नही होे पायी है।
चैहान ने ऐलान किया कि यदि अब भी इसमें जांच नही होती है तोे वह इस प्रकरण को राज्यपाल के संज्ञान में लायेंगे। राज्यपाल के ध्यान में लाने के बाद कुछ नही होता है तब इसमें अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे।