आनन्द-वीरभद्र ने जज की निष्ठा पर उठाये सवाल

Created on Tuesday, 13 December 2016 14:45
Written by Shail Samachar

शिमला/बलदेव शर्मा

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ आय से अधिक संपति और मनीलाॅंडरिग मामलों में सह अभियुक्त बने आनन्द चौहान 8 जुलाई से गिरफ्तार हैं। आनन्द की गिरफ्तारी को ईडी ने मनीलाॅंडरिग प्रकरण में अंजाम दिया है। ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत न दिये जाने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा इसके लिये खटखटाया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका पर अब सुनवाई 6 जनवरी को रखी है। इससे पहले यह मामला 2 नवम्बर को लगा था और उस दिन सीबीआई को इस पर जवाब दायर करने के लिये कहा गया था। सीबीआई को जबाव के लिये चार सप्ताह का समय दिया गया था। सीबीआई को जमानत मामले में चार सप्ताह का लंबा समय दिया जाना आनन्द चौहान की नजर में ज्ज का झुकाव अभियुक्त की ओर न होकर सीबीआई की ओर होने का प्रमाण है। इसी समय दिये जानेेे को आनन्द चौहान ने मामले की सुनवाई कर रहे ज्ज जस्टिस विपिन सांघी और भारत सरकार के आर्टानी जनरल मुकुल रोहतगी की आपस में रिश्तेदारी होने को भी इसी आईनेे में देखते हुए इसे ज्ज का सीबीआई के प्रति झुकाव होने का प्रमाण मान लिया। इसी कड़ी में कभी भाजपा सरकार के शासनकाल में वीरभद्र से जुडे़ किसी मामले में मुकुल रोहतगी द्वारा दी गई कानूनी राय को भी इसी के साथ जोड़कर यह धारणा बना ली की जज जानबूझ कर सीबीआई की मदद कर रहे हैं और उसे राहत नही देंगे। इसी धारणा के साये में सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायधीश और दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश को अपने भतीजे सौरभ चौहान के माध्यम से पत्र भेजकर जस्टिस सांघी की बजाये किसी अन्य जज को मामले की सुनवाई दी जाये की गुहार लगायी गयी है। आनन्द चौहान की धारणा पर अपनी मोहर लगाते हुए वीरभद्र ने भी इसके साथ अपना पत्र जोड़ दिया है। अदालत आनन्द चौहान और वीरभद्र के पत्रों का क्या संज्ञान लेती है या इन्हे नजर अंदाज कर दिया जाता है यह तो आने वाले समय में स्पष्ट होगा बहरहाल जस्टिस सांघी की कोर्ट में इस पत्र के बाद भी वीरभद्र के सी.बी.आई. मामले की सुनवाई जारी है और 15 दिसम्बर को इसमें वीरभद्र प्रत्युत्तर देंगे। 

स्मरणीय है कि सीबीआई में वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपति और ईडी में मनीलाॅंडरिग के तहत मामले चल रहे हैं। इन मामलों में प्रतिभा सिंह आनन्द चौहान और चुन्नी लाल सह अभियुक्त हैं । सीबीआई आय से अधिक संपति का प्रकरण देख रही है इसमें आरोप है कि जब वीरभद्र केन्द्र में मन्त्री थे उस दौरान जो संपति उन्होने अर्जित की है वह उनकी उस समय की आय से कहीं अधिक है इस संपति में ग्रटेर कैलाश में लिया गया मकान, महरोली का फाॅर्म हाऊस और करीब एक दर्जन से अधिक एलआइसी पालिसियां शामिल हैं। आय से अधिक संपति प्रकरण में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करकेे वीरभद्र केआवास तथा अन्य स्थानों पर छापामारी की थी। इस छापामारी और दर्ज हुई एफआईआर को हिमाचल उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। हिमाचल उच्च न्यायालय ने सीबीआई पर कुछ प्रतिबन्ध लगाते हुए मामले की जांच जारी रखने के निर्देश दिये। सीबीआई ने हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्देशों को चुनौती सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला ट्रांसफर करने की गुहार लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए मामला दिल्ली उच्च न्यायालय को ट्रांसफर कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने छःअप्रैल को वीरभद्र और प्रतिभा सिंह को जांच में शामिल होने के निर्देश देते हुए मामले की जांच पूरी करने के आदेश दिये। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच पूरी करके दिल्ली उच्च न्यायालय से इसमें चालान दायरे करने की अनुमति दिये जाने का आग्रह कर दिया। सीबीआई के इस आग्रह पर आदेश होने से पूर्व वीरभद्र की लंबित याचिका का निपटारा किया जाना आवश्यक है जिसके कारण सीबीआई पर कुछ प्रतिबन्ध लगे थे। अब इस याचिका पर सुनवाई चल रही है। वादी और प्रतिवादी सभी अपना पक्ष रख चुके हंै। अब प्रत्युत्तर के लिये 15 को यह मामला लगा है। इसमें दोनों पक्षोें द्वारा अपना पक्ष रखने के बाद जज की निष्ठा पर सवाल उठाया गया है। कानून के जानकारों की राय में इस तरह की आपति मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले आनी चाहिये थी। फिर सीबीआई प्रकरण में आनन्द चौहान की भूमिका समिति है।
दूूसरी ओर मनीलाॅडरिंग की जांच में आनन्द चौहान की भूमिका प्रमुख है और इसी में उसकी गिरफ्तारी हुई है। इसमें ईडी ने मार्च में करीब आठ करोड़ की संपति की अटैचमैन्ट की थी। आरोप है कि वीरभद्र ने अपने ही अवैध धन को आनन्द चौहान के माध्यम से बागीचे की आय और एलआईसी की पालिसियां लेकर वैध बनाने का प्रयास किया है। ग्रटेर कैलाश की संपति अर्जित करने में इसी धन का निवेश हुआ है। इसी के साथ महरौली फाॅर्म हाऊस की खरीद में इसमें से कुछ धन का निवेश हुआ है। मार्च के अटैचमैन्ट आदेश में स्पष्ट लिखा है कि वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर और महरौली फाॅर्म हाऊस को लेकर जांच पूरी नही हुई है। आनन्द चौहान के खिलाफ जब चालान दायर किया गया था तो उसमें भी अनुपूरक चालान दायर करने की बात कही गयी है। अब जब आनन्द चौहान अपनी जमानत को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंच चुका है तब ईडी पर शेष बची जांच को पूरा करके अनुपूरक चालान जल्द दायर करने का दबाव आ जाता है। जानकारों के मुताबिक इसमें भी महरौली फाॅर्म हाऊस को लेकर एक और अटैचमैन्ट आदेश आ सकता है। फिर किसी की गिरफ्तारी की संभावना हो सकती है। क्योंकि आनन्द चौहान का तो तर्क ही यह है कि इस सबमें वह लाभार्थी नही है और लाभार्थी अभी भी जेल से बाहर है। आनन्द की जमानत याचिका और वीरभद्र आनन्द के जज की निष्ठा को लेकर लिखे गये पत्रों से ईडी पर शेष बची जांच को शीघ्र पूरा करने का दवाब आ गया है और यह सब वीरभद्र के लिये अन्ततः घातक सिद्ध हो सकता है।
आनन्द और वीरभद्र के पत्र