अबूंजा सीमेन्ट प्लांट हादसे प्रबन्धन से लेकर सरकार तक सभी सवालों के घेरे में

Created on Tuesday, 27 December 2016 12:05
Written by Shail Samachar

शिमला/
अबूंजा सीमेन्ट ने पिछले दिनों कुछ कामगारों को यह कहकर काम से निकाल दिया है कि उनके पास अब काम नही हैं इन कामगारों को निकालने के लिये अपनाई गयी प्रक्रिया में इनके निश्कासन के नोटिस गेट पर चिपका दिये गये थे। उस समय इन कामगारों के निष्कासन पर प्रदेश के श्रम विभाग ने अपने दखल से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि सीमेन्ट उ़द्योग केन्द्र के कन्ट्रोल में है इसलिये इसकी समस्याओं के लिये केन्द्र का श्रम विभाग ही जिम्मेदार है। अब इसी सीमेन्ट प्लांट में एक मजदूर पर गर्म लावा गिरने से उसकी मौके पर ही मौत हो गयी और तीन गंभीर रूप से घायल हो गये जिन्हें आईजीएमसी लाया गया। इनमें से एक को तो पीजीाअई चण्डीगढ़ रैफर कर दिया गया है। इस हादसे ने कंपनी के प्लांट के अन्दर के सुरक्षा प्रबन्धों पर गंभीर सवाल खडे कर दिये हैं। लेकिन इतना बड़ा हादसा हो जाने पर प्रशासन का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है। जबकि केन्द्र और प्रदेश के श्रम विभाग और उ़द्योग विभाग की यह जिम्मेदारी बनती थी कि वह मौके पर आते। यहां तक कि डी सी और एसपी तक मौके पर नहीं आये। पूरा मामला स्थानीय पुलिस और एसडीएम तथा तहसीलदार पर ही छोड़ दिया गया।
इस हादसे में हुई कामगार की मौत के बाद जब कामगार उसकी डेडबांडी लेने गये तो उन्हे वहां जाने से पहले बाघल होटल में कपंनी प्रबन्धन से पहले मिलने के लिये कहा गया। कंपनी पिछले दिनों करीब 80 मजदूरों को काम से निकाल चुकी है और वह सब विरोध कर रहे हंै। यह हादसा उनकी चिन्ताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है। लेकिन इस हादसे को निपटाने के लिये एक जांच कमेटी बना दी गयी। इस कमेटी में मजदूर यूनियन सीटू के अध्यक्ष लच्छी राम, उपप्रधान मुकेश कोषाध्यक्ष देव राज तथा बीएमएस के महासचिव मस्तराम को शामिल किया है। इस जांच के लिये कंपनी के विशेषज्ञ मुबंई से आयेंगे लच्छी राम और देवराज को कंपनी ने निकाला हुआ है। स्थानीय पुलिस ने धारा 336 और 304 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस हादसे में सबसे बड़ा तथ्य यह सामने आया है कि लेबर विभाग का सेफ्रटी अफसर कभी भी यहां निरीक्षण के लिये नहीं आया है। जबकि इस अधिकारी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह समय-समय पर जाकर सुरक्षा प्रबन्धों का जायजा लेता है और वाकायदा अपनी रिपोर्ट तैयार करता है अब इस अधिकारी के न आने की जिम्म्ेदारी केन्द्र के लेवर विभाग पर आती है या प्रदेश के इस बारें में किसके स्तर पर कोताही हुई है इसको लेकर अभी पुलिस खामोश है।
दूसरी ओर प्रशासन ने 30 साल के मृतक अजय कुमार के मामले को 39 लाख का मुआवजा और कंपनी में ही लगे उसके भाई को पक्की नौकरी तथा मां को पैन्शन देने का समझौता करके 24 घन्टे के भीतर ही मामले को निपटा दिया है। ऐसे में इस प्रकरण में दर्ज मामले पर पुलिस कैसे आगे बढ़ेगी या प्रशासन की तरह वह भी शांत हो जायेगी। इस मामले की जांच केमटी में जो निष्कासित मजदूर लच्छी राम और देव राज सदस्य बनाये गये हैं वह इसकी जांच को कैसे अन्तिम परिणाम तक ले जाते हैं या फिर उन्हें भी पुनः नौकरी मिल जाती है आज यह सारे सवाल चर्चा में हैं। लेकिन इस हादसे से इन बड़े उद्योगों के भीतर के प्रबन्धन और शीर्ष प्रशासन तथा राजनेताओं के साथ क्योंकि यह सब इस पर खामोश रहें है।