बेटे को स्थापित करने के लिये वीरभद्र ने चला दांव शिमला ग्रामीण से घोषित की उम्मीदवारी

Created on Tuesday, 31 January 2017 08:52
Written by Shail Samachar

शिमला/बलदेव शर्मा
बेटा अक्सर बाप की विरासत संभालता है और हर बाप बेटे को स्थापित करने का हर संभव प्रयास करता है। यह एक ऐसा स्वीकृति सच है। जिसमें अपवाद की गुंजाईश बहुत कम रहती है। इसी परम्परा को निभाते हुए वीरभद्र ने पहले विक्रमादित्य को प्रदेश युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया और अब शिमला ग्रामीण से विधायकी का एलान कर दिया है। प्रदेश की जनता और प्रशासनिक हल्कों के लिये यह ऐलान अप्रत्याशित नही है। लेकिन राजनीतिक दलों के भीतर इस ऐलान से कई समीकरणों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इस समय कांग्रेस के भीतर ही जी एस बालीे और अनिल शर्मा के बेटे विधायकी की दावेदारी जताने लायक हो चुके है। चर्चा तो यह भी है। कि विद्यास्टोक्स भी अपनी राजनीतिक अपनी बेटी को सांैपने की ईच्छा रखती है और पिछले दिनों केहर सिंह खाची के साथ हुए झगड़े की पृष्ठभूमि में भी यही ईच्छा रही है। बहुत संभव है कि वीरभद्र सिंह के इस ऐलान के बाद पार्टी के कई और नेता भी ऐसा करने का प्रयास करें। वीरभद्र के इस ऐलान पर किस तरह की प्रतिक्रियाए उभरती है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा ।
अब जब वीरभद्र ने शिमला ग्रामीण अपने बेटे के लिये छोड़ दिया है तो यह सवाल उठना स्वभाविक है। कि वीरभद्र स्वयं कहां से चुनाव लडेंगे। मुख्यमन्त्री ने यह भी ऐलान किया है कि वो ऐसे चुनाव क्षेत्र से लडे़ंगे जंहा से कांग्रेस लगातार हारती आ रही है। इस हार के गणित में जिला शिमला में शिमला ;शहरीद्ध सोलन में अर्की और ऊना में कुटलैहड़ ऐसे चुनाव क्षेत्र है जहां से लगातार कांग्रेस हार रही है। स्मरणीय हैं कि पिछले दिनों जब सुक्खु और वीरभद्र का वाक्युद्ध फिर सार्वजनिक हुआ था तब अपरोक्ष में सुक्खु ने ही वीरभद्र को यह चुनौती दी थी कि उन्हे अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर जाकर प्रदेश के किसी अन्य भाग से चुनाव लड़ना चाहिये। इस परिदृश्य में सोलन का अर्की और ऊना का कुटलैहड ही सबसे पहले नजर में आते है। अर्की के कुनिहार में जब वीरभद्र के पिता स्व0 पदम सिंह के नाम पर जब कुनिहार पंचायत ने क्रिकेट स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव रखा था उस समय ही राजनीतिक हल्कों में यह संदेश चला गया था कि आने वाले विधानसभा चुनावों में वीरभद्र परिवार की यहां पर नजर रहेगी। उस समय यह कयास लगाये जाने लगे थे कि शायद प्रतिभा सिंह यहां से उम्मीदवार बने। अर्की में वीरभद्र पूर्व मन्त्री स्व0 हरिदास के एक बेटे को अपने साथ गले लगाये हुए है तोे इसी के साथ यहीं से डिप्टी स्पीकर रहे स्व0 धर्मपाल के बेटे की भी पीठ थपथपाते रहे है। यहीं से पूर्व मन्त्री स्व हीरा सिंह पाल के बेटे डा अमरचन्द पाल भी वीरभद्र के विश्वस्तों में रहे है यह भी यहां से चुनाव लड़ना चाहते है। इनके अतिरिक्त पिछली बार यहां से संजय अवस्थीे को और उससे पहले प्रकाश करड़ यहां से उम्मीदवार रह चुके है लेकिन इस सब मे जिस कदर के आपसी मतभेद है उसी के कारण कांग्रेस यहां से हारती रही है। फिर स्व. हरिदास ठाकुर का एक बेटा इन्दर सिंह ठाकुर पहले प0 सुखराम और अब ठाकुर कौल सिंह का विश्वस्त है। यही सारे लोग यहां से पार्टी के स्थानीय नेता और प्रमुख कार्यकर्ता है। अब डा0 मस्त राम का नाम भी इस सूची में जुड गया है। इन सारे स्थानीय लोगों को आपस में ईनामदारी से इकट्ठे करने पर ही यहां से कांग्रेस की जीत सुनिश्चित की जा सकती है।
इसी तरह शिमला शहरी में भी वामपंथियों और भाजपा का अपने -अपने कट्टर वोट का एक तय आंकडा है जो कभी भी इधर उधर नही होता है। फिर अब शिमला (शहरी) में ढली से ऊपर के पहाड़ी वोट की तुलना में यहां पर ऊना के वोटर की संख्या अधिक है। शिमला (शहरी) में सूद समुदाय का भीे अपना खास प्रभाव है। शहर का अधिकांश बिजनेस समुदाय इसी सूद समुदाय से है। फिर शिमला अर्बन कांग्रेस कमेटी में वीरभद्र समर्थको और विरोधीयों में निश्चित तय मतभेद है। यहां से कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिये इन सब अलग-अलग वर्गो को एक सूत्रा में बांधकर रख पाना ही सबसे बड़ी चुनौती है फिर इस बार पहली बर्फबारी में जिस तरह से यहां पर सारी आवश्यक सेवायें चरमरा गयी थी उससे सरकार की कार्यप्रणाली और विकास के सारे दावों पर ऐसा प्रश्न चिन्ह लगा है। जिसका नुकसान चुनावों में होना तय है। बल्कि इसी गणित में यदि शिमला ग्रामीण को भी आंका जाये तो वहां भी स्थितियां बहुत सुखद नहीं है। शिमला ग्रामीण में किये गये सारे विकास कार्यों का जमीनी प्रभाव क्या और कितना रहा है। इसका खुलासा पिछले लोकसभा चुनावों में सामने आ चुका है। शिमला ग्रामीण में कांगे्रस संगठन पर जिन लोगों का कब्जा है उनका जनता से दूर-दूर तक कोई तालमेल नही हैं बल्कि यहां के कांग्रेस प्रधान का नाम तो भाजपा के आरोप पत्र में भी बडी सुर्खियों में दर्ज है।
ऐसे में माना जा रहा है कि वीरभद्र ने अभी से अपनेे बेटे और अपनी सांकेतिक उम्मीदवारी घोषित करके इन चुनाव क्षेत्रों में पूरे हालात को अपनेे नियन्त्रण रखने का दांव चला दिया है। अब यहां की कमान कौन संभालता है इस पर सबकी नजर रहेगी। क्योंकि एक समय तो दबी जुबान में यहां तक चर्चा उठ गयी थी कि शिमला ग्रामीण पर हर्षमहाजन की भी नजर है। क्योंकि हर्ष महाजन ने भी शिमला ग्रामीण में परोक्ष/अपरोक्ष में कई संपत्तियों पर निवेश किया हुआ है। अब चुनावों के दौरान इस तरह के कई खुलासे सामने आने की संभावनाएं है। इस सबका चुनावी गणित पर असर पडना स्वाभाविक हैं क्योंकि यही के प्रस्तावित क्रिकेट स्टेडियम के दो किलोमीटर के दायरे में कई बडे़ नौकरशाहों और राजनेताओ ने जमीनें खरीद रखी है। यह जमीन खरीद भी चुनावों में एक बडा मुद्दा बनना तय है। वीरभद्र और उनका बेटा इन चुनौतियों से कैसे निपटते है इस पर अभी से सबकी नजरें लग गयी है।