1.76 करोड़ की संपति बेचने के बावजूद विधायक वर्मा ने अदा नही किया प्रापर्टी टैक्स

Created on Tuesday, 31 January 2017 09:43
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल
चैपाल के विधायक बलवीर वर्मा के खिलाफ नगर निगम शिमला द्वारा जारी किये प्रापर्टी टैक्स के नोटिस आने वाले विधानसभा चुनावों में एक बडा मुद्दा बन सकते है। स्मरणीय है कि बलवीर वर्मा 2012 में निर्दलीय रूप से चुनाव जीत कर आये थे और फिर कांग्रेस के सहायक सदस्य बन गये थे। इसके लिये उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास दल बदल कानून के तहत भाजपा की याचिका भी लंबित है। इसमें वर्मा के साथ कुछ और निर्दलीय विधायक भी शामिल है। इस याचिका पर फैसला कब आता है इसको लेकर भी राजनीतिक हल्कों में कई चर्चाएं है। लेंकिन वर्मा के मामले में सबसे गंभीर मुद्दा यह खड़ा हो गया है। कि नगर निगम शिमला 2015 से लगातार उन्हें प्रापर्टी टैक्स जमा करवाने के नोटिस भेज रहा है। बल्कि टैक्स न चुकाने पर धारा 124 के तहत संपत्ति अटैच करने की कारवाई अमल में लाने की बात कही गयी है। वर्मा से निगम ने 45 लाख की वसूली करनी है वर्मा की गिनती बडे बिल्डरों में की जाती है। वीरभद्र परिवार के साथ उनके रिश्ते राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय भी बने हुए है। बल्कि यह माना जा रहा है कि नगर निगम भी इन्ही रिश्तो के कारण नोटिस देने से आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
इसमें सबसे रोचक तो यह है कि वर्मा ने टैक्स अदायगी में निगम को करीब 20लाख के चार अलग-अलग चैक भी जारी किये थे लेकिन निगम के सूत्रों के मुताबिक यह चैक बाऊंस हो गये हैं परन्तु इसके बाद भी निगम अगली कारवाई करने का साहस नही कर पा रहा है। यह भुगतान न होने के कारण वर्मा की वित्तिय स्थिति और उनकी नीयत को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गये है। क्योंकि वर्मा ने 2016 में ही शिमला में 1.76 करोड़ में चार संपत्तियां बेची है। 11.5.2016 को रजि., संख्या 274 के तहत कुसुम्पटी कोठी में एक जीतेन्द्र पाल को 157.99 वर्ग मीटर संपत्ति 40 लाख में 17.5.2016 को रजि. संख्या 304 के तहत चंचलपाल को 33 लाख में 1.6.2016 को रजि. संख्या 352 के तहत गाजियाबाद की वन्दना सोनी को 33 लाख और 12.7.2016 को रजि. संख्या 463 के तहत रीना बन्याल को कुसुम्पटी में 70 लाख की संपत्तियां बेची है। संपत्तियों की इस बेच के बाद ही 5.11.2016 को नगर निगम ने विधायक को अन्तिम नोटिस भेजा है। लेकिन इस नोटिस के बाद भी टैक्स का भुगतान न हो पाने को लेकर कई तरह की चर्चाओं की उठना स्वाभाविक है।
स्मरणीय है कि इस बार भी वर्मा को चैपाल से सशक्त उम्मीदवार माना जा रहा है। मुख्यमन्त्राी का कांग्रेस टिकट के लिये उनकी ओर झुकाव माना जा रहा है। ऐसे में उनके राजनीतिक विरोधी उनकी स्थिति को उनके खिलाफ इस्तेमाल करने का पूरा - पूरा प्रयास करेंगे यह तय है। ऐसी स्थिति में वीरभद्र भी टिकट के लिये उनकी वकालत कैसे कर पाते है। इसको लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गये है।