लगातार कम होती जा रही है प्रदेश को बिजली से आय

Created on Tuesday, 14 February 2017 13:03
Written by Shail Samachar

शिमला/बलदेव शर्मा
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत की अपार क्षमता है और इस क्षमता का दोहन भी किया जा रहा हैै। इसी क्षमता के आधार पर प्रदेश को विद्युत राज्य प्रचारित और प्रसारित किया गया। यही प्रचार-प्रसार उद्योगपतियों के आकर्षण का केन्द्र बना। विद्युत उत्पादन में भी निजि क्षेत्र ने हिमाचल का रूख किया और आज प्रदेश में कुल उत्पादित विद्युत- में से राज्य के बिजली बोर्ड के पास केवल 487 मैगावाट ही है और शेष सारीे संयुक्त क्षेत्र या निजि क्षेत्र के पास है। प्रदेश में विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में 1990 में शान्ता के शासन काल में जेपी उद्योग समूह ने पैर रखा था। शांता सरकार ने जे पी को स्थापित करने के लिये बसपा- जिस पर बिजली बोर्ड काम कर रहा था, बोर्ड से लेकर जेपी को थमा दिया था। उस वक्त तक बोर्ड इस पर करीब 16 करोड़ खर्च कर चुका था। जे पी के साथ हुए अनुबन्ध में जेपी ने बोर्ड को यह पैसा ब्याज सहित वापिस करना था लेकिन जब जेपी ने यह पैसा नही लौटाया तो यह राहत दी गयी कि जब प्रौजैक्ट उत्पादन में आ जायेगा तब इस पैसे की वापसी होगी। 2003 से इसमें उत्पादन भी शुरू हो गया लेकिन जेपी से यह वसूली नही की गयी। इसके लिये तर्क दिया गया कि यदि यह वसूली की जायेगी तो इसका भार अन्ततः उपभोक्ता पर पडे़गा। इस तरह करीब 92 करोेड़ रूपया बट्टेे खाते में डाल दिया गया। कैग रिपोर्ट में इस पर गंभीर आपत्ति उठायी गयी है। लेकिन कोई भी सरकार जेपी से यह वसूली नहीं कर पायी है। इसी तरह जेपी ने कडछम बांगतू परियोजना में भी दो सौ मैगावाट की क्षमता अपनेे आप बढ़ा ली और सरकार को उस पर अपफ्रन्ट प्रिमियम नही मिला। कैग नेे इस पर भी सवाल उठायेे है लेकिन सरकार पर कोई असर नही हुआ है।
1990 में जब जेपी उद्योग नेे प्रदेश में विद्युत उत्पादन में पैर रखा था उस समय निजि क्षेत्र की परियोजनाओं से 12% विद्युत राॅयल्टी के रूप में फ्री लेने का फैसला शान्ता सरकार ने लिया था और इस फैसलेे की बहुत सराहना हुई थी बल्कि इसी के आधार पर यह दावे किये गये थे कि अब सरकारी खजाने मेें पैसे की कोई कमी नही रहेगी। लेकिन 12% फ्री राॅयल्टी के साथ यह भी फैसला हुआ कि शेेष बची 88% बिजली को भी बोर्ड ही खरीदेगा और उसके बाद निजि क्षेत्र की सारी परियोजनाओं के साथ विद्युत खरीद के समझौतेे साईन हुए। लेकिन यह पीपीए किस रेट पर साईन हुए है। इसको कभी सार्वजनिक नही किया गया है। इसी के साथ ट्रांसमिशन की जिम्मेदारी भी सरकार की है। ऐसेे मेें ट्रांसमिशन में हो रहे नुकसान की कीमत भी सरकार को चुकानी पड़ रही है। 12% मुफ्त रायल्टी के फैसले के साथ 88% केे लियेे पीपीए साईन करना और ट्रासमिशन की जिम्मेदारी लेना ऐसे पक्ष है जिनकेे कारण बोर्ड लगातार घाटे में चल रहा है। आज स्थिति यह हो गयी है। बोर्ड को इन परियोजनाओं से पीपीए के कारण मंहगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है और आगे सस्ती दरों पर बेचनी पड़ रही है क्योंकि अब दूसरे राज्यों ने भी पावर प्रौजैक्टस स्थापित कर लिये है बल्कि इस कारण हर वर्ष बोर्ड की बहुत सारी बिजली बिकने के बिना रह रही है। इसका असर बोर्ड की अपनी परियोजनाओं पर भी रहा है बोर्ड के सारे प्रौजैक्टस में हर वर्ष हजारो घन्टो का शटडाऊन कई वर्षो से लगातार चलता है बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक इस शटडाऊन से प्रतिदन करोड़ो का नुकासान हो रहा है लेकिन बोर्ड प्रबन्धन और सरकार इस शटडाऊन को लेकर संबधित अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कारवाई नही कर पा रही है। जबकि निजि क्षेत्र की किसी भी परियोजना में इतने बडे स्तर पर कभी शटडाऊन सामने नही आया है। माना जा रहा है कि इस शटडाऊन के पीछे निजि क्षेत्र का दवाब है क्योंकि यदि बोर्ड के अपने प्रौजैक्टस में उत्पादन सुचारू रहता है तो प्रबन्धन को उस उत्पादन की बिक्री पहले सुनिश्चत करनी होगी जिसका असर निजि क्षेत्र पर भी पडेगा। इस सुनियोजित शटडाऊन को लेकर विजिलैन्स के पास भी पिछले करीब तीन वर्षो से शिकायत लंबित है। इस शिकायत पर सचिव पावर की ओर से जो जवाब विजिलैन्स को गया है उससे सरकार ने यह स्वीकार किया है कि इसमें लापरवाही हो रही है लेकिन इस पर न तो सरकार ओर न ही विजिलैन्स कोई कड़ी कारवाई कर पा रही है क्योंकि इसकी गहन जांच मे कई चैकाने वाले खुलासे सामने आने का डर है।
लेकिन आज इस स्थिति के कारण सरकार को बिजली से होने वाली आमदनी में हर वर्ष लगातार कमी होती जा रही है जबकि हर वर्ष सरकार बजट से पहले या बाद में बिजली के रेट बढ़ाती रही है। जबकि हर वर्ष सरकार बजट और नाॅन टैक्स के रूप के मे जो आय होे रही है। वह एक बडे खतरे का संकेत है। इस आय के आंकडे यह है।

      Non Tax Revenue 

वर्ष          आय   कुल राजस्व 
                        का प्रतिपक्ष

12-13       637.15    46.281%

13-14      696.29     37.08 %

14-15     1121.15    54.01 %

15-16     650.00      43.13 %

16-17     700.00      41.95 %


   

          Tax Revenue

वर्ष          आय   कुल राजस्व
                        का प्रतिपक्ष

12-13       262.62      5.68%
13-14      191.36      3.74%
14-15      332.82      5.60%
15-16      308.45      4.86%
16-17      339.30       4.54%

राज्य सरकार को अपने साधनों से टैक्स और नाॅन टैक्स के रूप मे जो राजस्व प्राप्त होता है उसमें विद्युत बड़ा स्त्रोत है इस स्त्रोत मे वर्ष 12-13 में कुल नाॅन टैक्स राजस्व का 46.28%विद्युत से मिला था जो कि 16-17 में घटाकर 41.95% रह गया है। इसी तरह का कुल टैक्स राजस्व सरकार ने समय रहते बिजली नीति में परिवर्तन न किया तो आने वाले समय में एक बड़ा संकट खड़ा हो जायेगा