शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमन्त्री एंवम् नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के परिवारों में एक लम्बे अन्तराल के बाद फिर से वाक्युद्ध शुरू हो गया है। इस वाक्युद्ध में अन्तिम जीत किसको मिलती है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इतना तय है कि अब यह युद्ध निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाला है। वीरभद्र ने इस शासनकाल के पहले ही दिन से धूमल परिवार और धूमल शासन के खिलाफ अपनी सारी ऐजैन्सीयां तैनात कर दी थी। एचपीसीए वीरभद्र की विजिलैन्स का एक मात्रा मुद्दा बन गया था। आधी रात को एचपीसीए की संपत्तियों के खिलाफ जांच अभियान छेडा गया। शिकायतकर्ता को धर्मशाला में ही सरकार ने उप महाधिवक्ता के पद से नवाजा। लेकिन आज तक वीरभद्र और उनकी विजिलैन्स को एक भी मामले में सफलता नही मिल पायी है। बल्कि ए.एन.शर्मा के मामले में सर्वोच्च न्यायालय तक हार का मुहं देखना पडा। अब योग गुरू बाबा रामदेव के मामले में तोे पूरा मन्त्रिमण्डल फजीहत के कगार तक पहुंच गया है।
वीरभद्र ने अवैध फोन टेपिंग प्रकरण में तो यंहा तक आरोप लगाया था कि उनका फोन टेप किया गया है। हर रोज फोन टेपिंग मामले में वीरभद्र दोषियों को सजा दिलाने के दावे करते रहे परन्तु यह सब दावे हवाई सिद्ध हुए। तत्कालीन डीजीपी मिन्हास को कब्र से खोद निकालने के दावे करते रहे लेकिन इन दावों का कोई परिणाम नही निकला। लेकिन इसी दौरान वीरभद्र के खिलाफ यूपीए शासन में ही शुरू हुए मामले को जब प्रशांत भूषण ने दिल्ली उच्च न्यायालय के माध्यम से सीबीआई और ईडी में मामले दर्ज होने के मुकाम पर पहुंचा दिया तो वीरभद्र ने इसे धूमल जेटली और अनुराग का षडयन्त्र करार दे दिया। इन लोगों के खिलाफ मानहानि के दावे तक दायर कर दिये। फिर जेटली के खिलाफ दायर करवाये मामले को खुद ही वापिस ले लिया। इस दौरान धूमल के छोटे बेटे अरूण धूमल ने वीरभद्र के पूरे मामले में अपने स्तर पर इसकी खोज करते हुए मीडिया में दस्तावेजी प्रमाण रखते हुए यह सुनिश्चत किया कि जांच ऐजैन्सीयां इसकी जांच में कोई ढील न अपनाये। आज वीरभद्र के मामले फैसले के कगार पर पहुंचे हुए हैं कभी भी फैसला आने की स्थिति बनी हुई है।
वीरभद्र इस स्थिति से पूरी तरह परिचित हैं। इसी कारण उन्होने एक बार फिर अपनी विजिलैन्स को धूमल के संपति मामले में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। विजिलैन्स ने भी इनकी अनुपालना करते हुए पंजाब सरकार से फिर धूमल संपतियो की सूची मांगी है। स्वाभाविक है कि पंजाब सरकार के संज्ञान में जो भी सपंतियों होंगी उनमें किसी भी तरह की नियमों/कानूनों की अवहेलना नहीं मिलेगी। हिमाचल में स्थित संपतियों को लेकर वीरभद्र का प्रशासन पहले ही विजिलैन्स को क्लीन चिट दे चुका है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि वीरभद्र की विजिलैन्स के पास आज की तारीख में धूमल के खिलाफ ऐसा कुछ भी नही है जिसके आधार पर कोई मामला दर्ज किया जा सके। राजनीतिक तौर धूमल ही वीरभद्र के लिये सबसे बड़ा संकट और चुनौती हैं इसी कारण वीरभद्र ने धूमल को लेकर ब्यान दिया है कि धूमल न तो मुख्यमन्त्री बनेंगे और न ही पार्टी के अध्यक्ष। वीरभद्र धूमल परिवार के खिलाफ जल्द से जल्द कोई भी मामला दर्ज करना चाहते हैं। उधर अरूण धूमल ने भी वीरभद्र की मंशा को भांपते हुए फिर से मोर्चा संभाल लिया है। हमीरपुर के बड़सर में एक युवा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए अरूण धूमल ने वीरभद्र, प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य, आनन्द चैहान और वक्कामुल्ला को शीघ्र ही तिहाड़ जेले भिजवाने का संकल्प लिया है। अरूण धूमल के इस ब्यान से यह संकेत उभरता है कि अब वीरभद्र के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला कभी भी घोषित हो सकता है।