शिमला/शैल। सोलन को नगर निगम बनाने की मांग करते हुए सोलन नगर निगम परिषद् के पूर्व अध्यक्ष कुल राकेश पंत और अन्य कांग्रेस नेताओं नेे 28.12.16 को मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह को पत्र लिखा था। इस पत्रा में मुख्यमन्त्री को स्मरण करवाया है कि जून 2015 को शूलिनि मेले के अवसर पर वीरभद्र सिंह ने स्वयं सोलन को नगर निगम बनाने का आश्वासन दिया था। मुख्यमन्त्री कार्यालय ने यह पत्र आगामी कारवाई के लिये 27 जनवरी 2017 को निदेशक शहरी विकास विभाग को भेज दिया है। सोलन नगर निगम परिषद् भी दो वर्ष पहले इस आश्य का प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेज चुकी है। इस समय डा0 धनी राम शांडिल सोलन के विधायक है और वीरभद्र सरकार मे मंत्री है। सोलन कांग्रेस के इन नेताओं ने अब मुख्यमन्त्री को भेजे पत्र की प्रतिलिपि धनीराम शांडिल को भेजकर उनसे सोलन को नगर निगम बनवाने की मांग की है।
स्मरणीय है कि जब धर्मशाला को नगर निगम का दर्जा दिया गया था तो उस समय वहां की आबादी 23 हजार थी। धर्मशाला को नगर निगम बनाने के लिये उसके आस-पास के क्षेत्रों को उसमें मिलाया गया है। जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक सोलन की आबादी उस समय करीब 40 हजार थी जिसका की अब 50 हजा़र तक पहुंचने का अनुमान है सोलन के गिर्द 10 बडे शैक्षणिक संस्थान चल रहेे है और यहां पर प्रतिदिन 20 से 25 हजार के बीच बाहर से लोग आते है। जनसंख्या के आंकड़ो के आधार पर सोलन धर्मशाला से बड़ा है। धर्मशाला नगर निगम बनने के बाद स्मार्ट सिटी की सूची में भी आ गया है। ऐसे में इस समय सोलन को नगर निगम बनाने की जो मांग उठी है उसके राजनीतिक परिणाम दूरगामी होंगे।
इस वर्ष विधानसभा के चुनाव होने है और कांग्रेस को यह चुनाव जीतने के लिये लोगों की जायज़ मांगो को तत्काल प्रभाव से स्वीकार करते हुए उसे अमली शकल देने का प्रयास करना होगा। जब 2015 में मुख्यमंत्राी ने स्वयं सोलन नगर निगम बनाने का आश्वासन दिया था तो आज लोग उस आश्वासन पर अमल चाहेंगे। यदि नगर निगम बनाने का यह आश्वासन पूरा न हुआ तो इसको नुकसान कांग्रेस और धनीराम शांडिल दोनों को चुनावों में होगा यह तय है।