हिमाचल में भी शुरू हुआ राजनीतिक पाले बदलने का दौर

Created on Tuesday, 21 March 2017 11:12
Written by Shail Samachar

शिमला/जे पी भारद्वाज
अभी हुए चुनावों में भाजपा चार राज्यों में सरकार बनाने में सफल हो गयी है। उतर प्रदेश और उतराखण्ड में अप्रत्याशित जीत हासिल हुइ है। इस जीत का कद इतना बड़ा था कि इसमे गोवा और मणीपुर की हार इन राज्यों में कांग्रेस का सबसे बडी पार्टी बनकर आना भी उसे बहुमत न मिलना करार दिया गया। यह जीत इतनी बड़ी है कि इसमें अभी किसी तर्क के सुने जाने के लिये कोई स्थान ही नहीं बचा है। स्वभाविक है कि इस जीत का असर अभी काफी समय तक रहेगा और खासकर उन राज्यों में जहां इसी वर्ष चुनाव होने हैं। उत्तराखण्ड और यूपी में चुनावों से पहले लगभग सभी दलों में तोड़ फोड़ हुई है। दूसरे दलों से कई नेता भाजपा में गये और वहां टिकट पाने में सफल भी हो गये तथा अब  मन्त्री भी बन गये हैं। हिमाचल में भी इसी वर्ष चुनाव होने हैं और यूपी तथा उत्तराखण्ड की तर्ज पर यहां भी राजनीतिक तोड़-फोड़ पाले बदलने का दौर शुरू हो रहा है।
चैपाल के निर्दलीय विधायक बलवीर वर्मा जीतने के बाद वीरभद्र सिंह के साथ जा खडे़ हुए थे और कांग्रेस के सहयोगी सदस्य बन गये थे। बलवीर वर्मा की तरह अन्य निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के साथ खडे हो गये थे और कांग्रेस की सहयोगी सदस्यता ले ली थी। यह सहयोगी सदस्यता लेने पर भाजपा के सुरेश भारद्वाज ने इनके खिलाफ विधानसभा स्पीकर के पास एक याचिका भी दायर कर रखी है जो कि अभी तक लंबित है। इस याचिका में इन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गयी है। लेकिन आज बलवीर वर्मा भाजपा के साथ खड़े हो गये हैं और उनके भाजपा सदस्य बनने की विधिवत घोषणा कभी भी सभंव है। वर्मा की तर्ज पर अन्य निर्दलीय विधायकों के भी भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं चर्चा में हैं।अभी जब केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा शिमला थेे उस समय बलवीर वर्मा और राजन सुशांत का वहां होना इसी दिशा के संकेत हैं। यह भी स्वभाविक है कि विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को प्रदेश के हर उस मुखर स्वर को जो आज कांग्रेस के साथ नही है, अपने साथ मिलाकर यह संदेश देना होगा कि प्रदेश में भाजपा के लिये कहीं से भी कोई चुनौती नही है। भाजपा के जो लोग नाराज होकर आम आदमी पार्टी में जा बैठे थे उन्हे भाजपा में वापिस लाना एक ऐजैन्डा होगा। इस समय जो राजनीकि माहौल खड़ा हुआ है उसमें यह सब अभी आसानी से हो भी जायेगा।
लेकिन जैसे ही बलवीर वर्मा के भाजपा में शामिल होने की चर्चा बाहर आयी उसी के साथ चैपाल के भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष भी मुखर हो गया है। कार्यकर्ता बलवीर वर्मा को आगे उम्मीदवार न बनाये जाने की मांग लेकर होईकमान के पास दस्तक देने का मन बना चुके हैं। कार्यकर्ताओं की ऐसी नाराजगी और भी कई स्थानों पर आने वाले दिनों में देखने को मिल सकती है। भाजपा में जहां राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक स्थितियां काफी सुखद हो गयी हैं वहीं पर हिमाचल में उसका मुकाबला वीरभद्र जैसे व्यक्ति से है। वीरभद्र आज फिर कांग्रेस में प्रदेश के एकछत्र नेता बन गये हैं भाजपा की जीत ने उनका रास्ता बहुत सीधा कर दिया है कांग्रेस के अन्दर उन्हे कोई चुनौती नहीं रह गयी है। जबकि भाजपा नेतृत्व के प्रश्न पर स्पष्ट नही हो पा रही है। धूमल, नड्डा अभी से दो अलग -अलग सशक्त खेमे  बनकर सामने हैं। फिर जिस ढंग से यूपी और उतराखण्ड में संघ की पृष्ठभूमि के लोगों को नेतृत्व सौंपा गया है उससे यहां भी कयास लगने शुरू हो गये हैं कि यहां भी कोई संघ की पृष्ठभूमि का व्यक्ति ही नेता होगा। धूमल और नड्डा दोनों ही संघ की हाईलाईन से बाहर के नेता हैं। बल्कि इस कडी में अजय जमवाल का नाम सेाशल मीडिया में वायरल भी हो गया है। ऐसे में पाले बदलने का जो दौर शुरू हुआ है उससे अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी कभी भारी भी पड़ सकती है। क्योंकि ऐसी लहर के दौरान ही सामान्य कार्यकर्ता को उभरने का अवसर मिलता है।