सी बी आई ने ट्रायल कोर्ट में दायर किया चालान
अदालत में शुरू हुई अगली कारवाई
शिमला/बलदेव शर्मा
आय से अधिक संपति मामले में वीरभद्र प्रतिभा सिंह एवम अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा 23.9.2015 को दर्ज की गयी एफआईआर को रद्द किये जाने की गुहार को अन्ततः दिल्ली उच्च न्यायालय ने 31.3.2017 को अस्वीकार करते हुए इस मामले में अगली कानूनी प्रक्रिया को हरी झण्डी दे दी है। सीबीआई ने भी तुरन्त प्रभाव से इस प्रकरण में ट्रायल कोर्ट में चालान दायर कर दिया है और विशेष जज सीबीआई की अदालत में इसकी अगली कारवाई भी शुरू हो गयी है। विशेष जज की अदालत द्वारा चालान का संज्ञान लेने के साथ ही इसमें नामजद सभी नौ अभियुक्तों को नियमित जमानत लेनी आवश्यक हो जायेगी। सीबीआई इनकी जमानत के आग्रह का कितना विरोध करती है और यदि जमानत नही मिल पाती है तो फिर इनका जेल जाना तय है। वैसे तो उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद ही नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी का रस्ता खुल गया है। यह सीबीआई की लाईन आफ एक्शन पर निर्भर करता है क्योंकि इससे पहले इनकी गिरफ्तारी पर उच्च न्यायालय ने जो रोक लगा रखी थी वहअब समाप्त हो गयी है। सीबीआई ने जब इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद वीरभद्र के आवास और अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी उसके तुरन्त बाद ईडी ने भी इस संद्धर्भ में मनीलाॅंडरिंग के तहत मामला दर्ज करके अपनी कारवाई शुरू कर दी थी। ईडी ने अपनी कारवाई को बढ़ाते हुए 23 मार्च 2016 को इस मामलें में आठ करोड़ की चल अचल संपति अटैच कर ली थी। इस संपति में कुछ बैंक खाते, एलआईसी पाॅलिसियां आरै ग्रेटर कैशाल दिल्ली स्थित मकान शामिल है। इस अटैचमैन्ट आदेश में ईडी ने यह कह रखा है कि वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर प्रंसग में अभी जांच चल ही रही है और इसे जल्द पूरा कर लिया जायेगा। इस अटैचमैन्ट आदेश के बाद एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को 9 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया था और वह अब तक जेल में है। उसकी जमानत याचिका पर भी फैसला सुरक्षित चल रहा है। आनन्द चौहान की गिरफ्तारी के बाद उसके खिलाफ चालान भी ट्रायल कोर्ट में दायर होकर अब उसमें चार्ज तय की स्टेज आ गई है। इस चालान में भी वक्कामुल्ला प्रंसग को लेकर अनुपूरक चालान शीघ्र ही दायर किये जाने का दावा किया गया है। वक्कामुल्ला से जो लेन-देन दिखाया गया है उसका कुछ निवेश रामपुर के घर पर और कुछ मैहरोली के फार्म हाऊस की खरीद पर हुआ माना जा रहा है।
स्मरणीय है कि वीरभद्र 28.5.2009 से 26.6.2012 तक केन्द्र में मन्त्री थे। इसी दौरान 30.11.2010 को अशोका होटल स्थित एक इस्पात उद्योग समूह के मुख्यालय में आयकर विभाग ने छापामारी की थी। इस छापामारी में इस कंपनी द्वारा एसटीसी के कुछ अधिकारियों को 17.9.2009 से 4.6.2010 के बीच छः बार मोटी रकम दिये जाने का आरोप था। फिर इस छापामारी में कंपनी की जो एक्सल शीटस सामने आयी उसमें कुछ सांकेतिक नामों के सामने मोटी रकमें दर्ज की गयी समाने आयी जिनमें एक नाम VBS था जिसे वीरभद्र सिंह समझा गया। इस नाम के आगे 2.77 करोड़ की राशी दिखायी गयी थी परन्तु जांच में यह पूरी तरह स्थापित नही हो सका।
लेकिन इसी बीच मार्च 2012 में वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2009-10, 2010-11 और 2011- 12 के लिये संशोधित आयकर रिटर्नज दायर कर दिये और इनमें पहले दायर की गयी आय से कई गुणा अधिक बढ़ी हुई आय दिखा दी गयी। इस पर 11-01-2013 को एडवोकेट प्रशान्त भूषण और कामन काज एनजीओ ने सीपीसी और सी बी आई में शिकायत डालकर यह आग्रह किया कि इस्पात उद्योग समूह पर मारे गये छापे में समाने आयी एक्सल शीट्स में VBS के आगे जो 2.77 करोड़ की रकम दिखायी गयी है उसे वीरभद्र सिंह के साथ जोड़कर देखते हुए जांच की जाये। इस पर फिर जांच शुरू हुई। इस जांच 2.77 करोड़ का तो इस्पात उ़़द्योग और वीरभद्र सिंह के बीच किसी भी तरह से कोई संबध स्थापित नहीं हो सका लेकिन जो आयकर रिटर्नज संशोधित करके, कई गुणा बढ़ी हुई आय दिखायी गयी थी उस पर आय से अधिक संपति होने का शक पैदा हो गया। यह सन्देह पैदा होने पर इस मामले में रेगुलर केस दर्ज करके जांच करने की सिफारिश की गयी। इस सिफारिश पर 23.9.2015 को एफआईआर दर्ज हुई जो आज चालान के रूप में ट्रायल कोर्ट में जा पहुंची है।
इस पर अदालत में अगली कारवाई भी शुरू हो गई है। सी बी आई ने जिन रिटर्नज के हिसाब से मामला दर्ज किया है वह यह है।
Sr. Ass. Original Revised
No. Year ITRs ITRs (Rs. )
a. 2006-07 12,05,000 NIL
b. 2007-08 16,00,000 NIL
c. 2009-10 7,35,000 2,21,35,000
d. 2010-11 15,00,000 2,80,92,000
e 2011-12 25,00,000 1,55,00,000
f. 2012-13 85,00,000 NIL
g. 2013-14 92,00,000 NIL