बाली का ‘एक पैर कांग्रेस तो दूसरा भाजपा में’ -विधायक दल की बैठक में उठा सवाल

Created on Monday, 08 May 2017 12:09
Written by Shail Samachar

बाली सहित राजेश धर्माणी, राकेश कालिया, रवि ठाकुर रहे गैर हाजिर निर्दलीय मनोहर धीमान भी नही आये
शिमला/शैल। प्रदेश कांगे्रस के कुछ मन्त्रियों/विधायकों एवम् अन्य नेताओं को कांग्रेस से निकाल कर भाजपा में शामिल करवाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले दिनों यह आरोप लगाया है प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमन्त्री के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने। विक्रमादित्य के मुताबिक यह खेल केन्द्रिय मन्त्री चैाधरी विरेन्द्र सिंह रच रहे हैं। स्मरणीय है कि विरेन्द्र सिंह जब प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी थे तब उनके रिश्ते वीरभद्र सिंह से कोई ज्यादा अच्छे नहीं थे। विक्रमादित्य के इस आरोप के साथ ही प्रदेश के कुछ मन्त्रियों/विधायकों के नाम इस संद्धर्भ में अखबारों में भी उछले थे। जिसका किसी ने भी खण्डन नहीं किया था।
इसके अतिरिक्त जब सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति मामलें में ट्रायल कोर्ट में चालान दायर किया और ईडी ने महरौली स्थित फार्म हाऊस को लेकर दूसरा अटैचमैन्ट आदेश जारी किया तथा वीरभद्र सिंह को पूछताछ के लिये बुलाया उस दौरान अचानक एक राजनीतिक अनिश्चितता का वातावरण बढ़ गया था। उस समय वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस हाईकमान से भी बैठक की थी। इस बैठक में राजनीतिक परिथितियों पर चर्चा होने के साथ ही हाईकमान ने वीरभद्र सिंह को सारे हालात का स्वयं आकलन करने का परामर्श दिया था। इस दौरान वीरभद्र सिंह के अतिरिक्त बृज बुटेल, जीएस बाली, कौल सिंह ठाकुर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह ने भी अलग-अलग हाईकमान से भेंट की थी। सूत्रों के मुताबिक इन बैठकों में हुए विचार-विमर्श के परिणाम स्वरूप ही वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने का फैसला लिया था। वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहें सीबीआई और ईडी मामलों की गंभीरता/अनिश्चितता आज भी यथास्थिति बनी हुई है। इस परिदृश्य में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक का आकलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
इस बैठक में जीएस बाली, राजेश धर्माणी, राकेश कालिया और रवि ठाकुर का गैर हाजिर रहना महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह सभी लोग कभी न कभी अपने विरोध को मुखर कर चुके हैं। संभवतः इस पृष्ठभूमि को समाने रखते हुए इस बैठक में बाली को लेकर सीधी चर्चा हुई। बाली को लेकर यह आरोप लगा कि उनका एक पैर कांग्रेस और एक पैर भाजपा में है और उन्हे स्पष्ट करना चाहिए कि वह कांग्रेस में है या भाजपा में। बाली के अतिरिक्त और किसी नेता के खिलाफ यह आरोप लगने का अर्थ है कि अब बाली को इस संबध में सर्वाजनिक तौर पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। यदि बाली के खिलाफ लगने वाला यह आरोप सही नही है तो फिर बाली को अपने विरोधियों के साथ खुलकर लड़ाई लड़नी होगी। बाली के साथ ही सुक्खु को लेकर भी इस बैठक में सवाल उठे है और संगठन पर अकर्मण्यता के गंभीर आरोप लगे हैं। वैसे सुक्खु और वीरभद्र में संगठन को लेकर पिछले कुछ असरे से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। संगठन के विभिन्न पदाधिकारियों को लेकर वीरभद्र कई बार खुला हमला कर चुके हैं। वीरभद्र का हर समय यह प्रयास चल रहा है कि सुक्खु के स्थान पर कोई नया ही व्यक्ति प्रदेश का अध्यक्ष बने। इसी कारण संगठन के अभी घोषित हुए चुनावों को भी टालने के लिये विधायक दल की बैठक में कुछ लोगों ने आवाज उठायी जबकि संगठन के यह चुनाव अब चुनाव आयोग के निर्देशों पर करवाने पड़ रहे हैं जिन्हें टालना संभव नही हो सकता।
इस परिदृश्य में यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है, जो लोग इस बैठक से गैर हाजिर रहे हैं यदि वह कल को वास्तव में ही पार्टी से बाहर जाने का मन बना लेते हैं तो तुरन्त प्रभाव से सरकार संकट में आ जाती है। बाली पर जिस तरह से सीधा हमला किया गया है उससे यह संकेत भी उभरता है कि पार्टी के भीतर बैठा एक वर्ग बाली को कांग्रेस से बाहर निकालने की रणनीति पर चल रहा है भले ही इसकी कीमत सरकार के नुकसान के रूप में ही क्यों न चुकानी पड़े। यह तय है कि इस बैठक मे जो कुछ घटा है उसके परिणामस्वरूप अब एक जुटता के सारे दावे अर्थहीन हो जाते हैं और यह स्थिति अन्ततः विधानसभा भंग होने तक पहुंच जायेगी।