क्या ईडी प्रकरण में वीरभद्र को राहत मिलेगी?

Created on Tuesday, 16 May 2017 12:10
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। वीरभद्र के आय से अधिक संपति मामलें में सीबीआई द्वारा दायर चालान का संज्ञान लेने के बाद अदालत ने 22 मई को सभी नामजद अभियुक्तों को तलब किया है। यदि यह लोग उस दिन अदालत में हाजिर हो जाते हैं तो इन्हें पहले नियमित जमानत का आग्रह करना होगा। जमानत मिलने के बाद चालान की कापी मिलेगी फिर चालान का निरीक्षण करने के लिये समय मिलेगा। इसके बाद आरोप तय होने की प्रक्रिया शुरू होगी। जमानत के समय सीबीआई इसका विरोध करती है या नही और अदालत इस विरोध को कितना अधिमान देती है। यह चालान की गंभीरता पर निर्भर करता है। सीबीआई सामान्यतः गावाहांे और साक्ष्यों को प्रभावित किये जाने की संभावना के आधार पर जमानत का विरोध करती है। यदि अदालत जमानत न दे तो फिर इसमें गिरफ्तारी की संभावना भी बन जाती है इस मामलें में एक नामजद अभियुक्त आनन्द चौहान पहले ही न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। आनन्द चौहान को ईडी ने गिरफ्तार किया था। लेकिन वह सीबीआई में भी अभियुक्त है और इसके लिये इस मामलें में भी उन्हे अलग से जमानत लेनी पडे़गी। सीबीआई कोर्ट आनन्द को जमानत देता है तो अन्य को भी जमानत मिलना आसान हो जायेगी। यदि कोर्ट इस मामले में भी आनन्द को जमानत नही देता हैं तो उसका प्रभाव अन्य पर भी पडे़गा और इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण स्थिति होगी। इसमें जेल या जमानत की ंसभावनाएं एक बराबर बनी हुई है।
दूसरी ओर ईडी द्वारा फाॅर्म हाऊस की अटैचमैन्ट किये जाने के बाद वीरभद्र सिंह एक बार ईडी में पेश हो चुके हंै। सूत्रों के मुताबिक दूसरी बार स्वास्थ्य कारणों से पेश नही हुए है। इसी बीच उन्होनें अदालत उनकी लम्बित याचिका 856/16 जब 19-4-16 को अदालत में आयी तो उनके वकील दयान कृष्णन ने आग्रह किया था कि जब ईडी ने उन्हे पहले तलब किया था तब ईडी ने अदालत को भरोसा दिया था कि उन्हें गिरफ्तार नही किया जायेगा। अब वैसा ही भरोसा पुनः दिया जाये। यह याचिका अभी लंबित चल रही है। इसमें वीरभद्र सिंह पक्ष के तर्क पूरे होने के बाद ईडी की ओर से संजय जैन तर्क रख रहे हैं। अब यह तर्क पूरा होने के मुकाम पर है। इस अटैचमैन्ट के साथ ईडी ने जो मनीट्रेल का चार्ट लगा रखा है उसके मुताबिक पहले कुछ फर्जी कंपनीयों से वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर के खाते में पैसा आया। फिर वक्कामुल्ला से वीरभद्र के खाते में पैसा गया। वीरभद्र से विक्रमादित्य के खाते मंे और फिर वहां से पिचेश्वर गड्डे और उनकी पत्नी के खातें में पैसा गया।
ईडी ने इस तरह के लेने देन के 18 क्रम अपने चार्ट में दिखाये हैं जिनमें 10,93,50,000 का ट्रांजैक्श्न हुआ है। ईडी ने इन कंपनीयों से जुडे़ लोगों के ब्यान ले रखे हैं। यह फार्म हाऊस विक्रमादित्य और अपराजिता की कंपनी के नाम है। 1.20 करोड में हुई फाॅर्म की रजिस्ट्री में 90 लाख वीरभद्र ने विक्रमादित्य को दिये है। तीस लाख विक्रमादित्य ने अपने साधनों से दिये हैं लेकिन आयकर में उनकी रिर्टन केवल करीब तीन लाख की है। ऐसे में यदि ईडी के इस मामले में वीरभद्र सिंह को उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलती है तो उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हंै। सूत्रों के मुताबिक ईडी इस याचिका के लंबित होने के कारण अपनी कारवाई को आगे नहीं बढ़ा रही है।