शिमला/शैल। प्रदेश में इस वर्ष के अन्त तक होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने अभी से तैयारीयां शुरू कर दी हैं इसका संकेत और संदेश पिछले दिनों शिमला में प्रधानमन्त्री मोदी तथा पालमपुर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की यात्राओं से खुलकर सामने आ गया है। भाजपा ने 68 में से 60 सीटंे जीतने का लक्ष्य भी घोषित कर रखा है। भाजपा का प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व एक लम्बे अरसे से वीरभद्र सरकार के गिरने और समय से पहले ही चुनाव होने के दावे भी करता रहा है। कांग्रेस के कई मन्त्री और विधायक भी भाजपा के संपर्क में हैं और कभी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं ये दावा भी कई बार दोहराया गया है। लेकिन अभी तक व्यवहार में एक भी दावा प्रमाणित नही हो पाया है और अब इस सबका कोई बड़ा महत्व भी नहीं रह गया है। बल्कि अभी मुख्यमन्त्री हमीरपुर दौरे के दौरान भाजपा के प्रदेश सचिव ठाकुर और कुछ अन्य लोगों का भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होना सामने आया है। इस समय राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पक्ष में जो वातावरण बना है उसको देखते हुए भाजपा के किसी भी स्तर के नेता/कार्यकत्र्ता का पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना अपने में एक बड़ी बात है।
वैसे तो राजनेता अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को सामने रखकर ही दल बदल जैसी घटना को अंजाम देते हैं। लेकिन जो कुछ नेता प्रति पक्ष प्रेम कुमार धूमल के अपने गृह जिला हमीरपुर में घटा है उससे कुछ और ही सन्देश जाता है। क्योंकि पालमपुर में अमितशाह की यात्रा चुनावी तैयारीयां के ही संद्धर्भ में थी। फिर इस यात्रा में राजीव बिन्दल ने जिस तरीके से शिमला के चार पत्रकारों को अमितशाह से मिलवाया वह आने वाले समय में मीडिया को पार्टी हित में कैसे साधना है उस दिशा का प्रयास था। यह एक अलग बात है कि इन पत्रकारों के सहारे को वांच्छित लाभ मिल भी पायेगा या नही। अमितशाह की यात्रा के बाद वीरभद्र सिंह ने जिस ढंग से शाह पर निशाना साधा है और हमीरपुर में पार्टी के प्रदेश सचिव को कांग्रेस में शामिल करवाया है उससे बिन्दल के मीडिया प्रबन्धन पर ही सवाल उठने लग पड़े है।
लेकिन इसी दौरान मोदी और शाह की यात्राओं के साथ ही एक मीडिया साईट पर भाजपा के 27 नेताओं की एक सूची का सामने आना भी पार्टी के लिये एक अच्छी खबर नही माना जा रहा है। इस सूची में छः तो भाजपा के वर्तमान विधायक ही हैं जिनके टिकट पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया गया है। जिस मीडिया साईट पर यह सूची आयी है उसके साथ भाजपा के ही दो बड़े नेताओं के बहुत करीबी रिश्ते भी चर्चा में है। चर्चा है कि एक नेता ने तो शिमला में अभी एक चार मंजिला निमार्णाधीन भवन करीब एक करोड़ में खरीदा है जिसके पूरा होने में इनता ही और पैसा लगेगा। प्रदेश की राजनीतिक समझ रखने वाले जानते हैं कि यहां चुनाव विकास के नाम पर न ही लडे़ जाते हैं। पिछला विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुआ लोकसभा चुनाव तो इसके उदाहरण हैं। फिर इस समय मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह ने अपने खिलाफ चल रही सीबीआई और ईडी जांच को जिस तरह से भाजपा का षडयंत्र प्रचारित कर दिया है उसका कोई भी तर्कपूर्ण जबाव प्रदेश भाजपा का कोई भी नेता नही दे पा रहा है। भाजपा के कुछ बडे़ नेताओं के वीरभद्र के साथ रिश्ते तो जगजाहिर हैं। यह नेता इन्हीं रिश्तों के कारण वीरभद्र पर सिद्धान्त रूप में तो अटैक करते हैं लेकिन उसका खुलासा करने का साहस नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में जिन नेताओं के नाम टिकट कटने वालों की संभावित सूची में समाने आये हैं वह अपने को बचाने के लिये किस तरह के प्रयास करते हंै? अपने संभावित विरोधियों के खिलाफ कैसे मोर्चा खोलते है? पार्टी में कैसे समीकरण बनते बिगड़ते है और उनका पार्टी के लक्ष्य पर कितना असर पड़ता है यह सब अपने में बहुत महत्वपूर्ण हो जायेगा। स्वभाविक है कि इससे पार्टी के लिये कठिनाईयां और बढ़ेगी। क्योंकि हिमाचल को दूसरे राज्यों के गणित के सहारे नही चलाया जा सकता है जो 27 नामों की सूची चर्चा में आयी है। वह इस प्रकार है। 1 आत्मा राम (जय सिंहपूर) 2. हीरा लाल(करसोग) 3.तेजवनत सिंह (किन्नौर) 4. प्रवीण कुमार (पालमपुर) 5. बालक राम नेगी (रोहडू) 6. प्रेम सिंह ड्रैक(रामपुर) 7.राकेश वर्मा (ठियोग) 8. मुलखराज (बैजनाथ ) 9. खीमी राम (बंजार) 10. बलदेव शर्मा (बड़सर) 11. सुरेश चन्देल (बिलासपुर) 12. रेणु चड्डा (डलहौजी) 13. किशन कपूर (धर्मशाला)14. बलदेव सिंह ठाकुर (फतेहपूर) 15. प्रेम सिंह (कुसुम्पटी)16. दुर्गादत्त (मण्डी) 17. रणवीर सिंह निक्का (नूरपुर) 18. कुमारी शीला (सोलन) 19. सरवीण चौधरी (शाहपुरद) 20. सुरेश भारद्वाज (शिमला) 21. जवाहर लाल(दंरग) 22. मेहन्द्र सिंह (धर्मपुर) 23. रमेश चन्द धवाला(ज्वालामुखी) 24. रिखी राम कौण्डल (झण्डूता) 25. गुलाब सिंह ठाकुर (जोगिन्द्र नगर) 26. नरेन्द्र बरागटा (जूब्बल कोटखाई) 27. राजिन्द्र गर्ग (घुमारवी) इनमें से कुछ लोगों के टिकट कटने की संभावना इनकी पिछले चुनावों में परफाॅरमैन्स और कुछ के स्थान पर नये चेहरे लाने की कवायत की जा रही है। जबकि इनमें सुरेश भारद्वाज और महेन्द्र सिंह ठाकुर जैसे नेताओं का कद इतना बड़ा हैं कि पार्टी को उनका सहयोग हर हालत में आवश्यक होगा। लेकिन फिर भी यह नाम सूची में आये हैं तो इससे स्पष्ट हो जाता है कि कहीं बड़ा खेल किसी बडे़ मकसद के लिये खेला जा रहा है।