क्यों नही हो पाये नगर निगम शिमला के चुनाव

Created on Monday, 22 May 2017 08:59
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के वर्तमान हाऊस का कार्यकाल 4 जून को समाप्त हो रहा है। लेकिन 5 जून को नये हाऊस का गठन नहीं हो पायेगा क्योंकि इसके लिये चुनाव ही नही हो पाया है। 5 जून को निगम पर सरकार को प्रशासक बैठाना होगा जो किअगले चुनावों तक रहेगा। लेकिन यह अगले चुनाव कब होंगे इसको लेकर संशय बना हुआ है। हांलाकि इस सद्धर्भ में एक राजु ठाकुर ने प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर रखी है। राजनीतिक दल यह चुनाव समय पर न हो पाने के लिये राज्य निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहरा रहे हंै। बल्कि जो याचिका दायर हुई उसमें राज्य चुनाव आयुक्त को पद से हटा दिये जाने का भी आग्रह किया गया है। याचिका भाजपा के कार्यकर्ता की ओर से दायर की गयी है। जिसमें चुनाव आयुक्त के खिलाफ कारवाई की मांग की गयी है। राज्य चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संस्था है और एक्ट के मुताबिक उसके खिलाफ ऐसी कारवाई का कोई प्रावधान ही नहीं है फिर भी ऐसी कारवाई की मांग किये जाने से याचिका के राजनीति से प्रेरित होने की गंध आना स्वभाविक है। 

किसी भी चुनाव का मूल आधार वोटर लिस्ट होती है। यह वेाटर लिस्ट तैयार करने के लिये चुनाव आयेाग ने जिलाधीश शिमला को बतौर ईआरओ 11.4.2017 को निर्देश दिये। इन निर्देशों पर जिलाधीश शिमला ने 5.5.2017 को नई वोटर लिस्टें नोटिफाई कर दी। यह लिस्टें आने पर प्रतिक्रियांए आयी और इनमें गडबडी होने के आरोप लगे। इन लिस्टों के लिये 1.1.2017को आधार तिथि बनाया गया था। इन लिस्टों के मुताबिक वोटर की संख्या 88167 कही गयी थी। प्रतिक्रियाएं आने के कारण राज्य चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय चुनाव आयोग के शिमला कार्यालय से निगम क्षेत्र के वोटरों की सूची मांगी। यह सूची भी 5.5.2017 को ही मिल गयी और इसमें मतदाताओं की संख्या 85546 आयी इसका आधार भी 1.1.2017 ही था। प्रतिक्रियाएं आने के साथ ही जिलाधीश शिमला के पास 2200 आवोदन फैसले के लिये लंबित पडे थे। इस परिदृश्य में करीब 5000 मतदाताओं का अन्तर सूचियों में सामने आ गया। ऐसे में एक निगम क्षेत्र में 5000 हजार मतदाताओं को नज़र अन्दाज करना पूरे चुनाव की विश्वसनीयता पर ही गंभीर सवाल खड़े कर देता। इस परिदृश्य में राज्य चुनाव आयोग ने इन मतदाता सूचियों को ठीक करने के निर्देश जारी कर दिये जिनके मुताबिक 23 जून तक यह प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। 

जिलाधीश शिमला ने राष्ट्रीय चुनाव आयोग के साथ अपनी सूचियों में आये अन्तर के कारण निगम क्षेत्र में अब कुछ पंचायत क्षेत्रों के जुड़ जाने को कारण बताया है। स्मरणीय है कि निगम के पिछले चुनाव 2012 में हुये थे और उस समय 25 वार्ड थे जिनमें 80 हजार कुछ वोटर थे। इस बार निगम का क्षेत्रा बढ़ाकर इसके वार्डों की संख्या 34 कर दी गयी है। वार्डों की संख्या बढ़ाये जाने पर किसी भी राजनीतिक दल ने कोई एतराज़ नही उठाया है। 2012 में किसी भी वार्ड में वोटरों की संख्या दो हजार से कम नहीं थी। लेकिन इस बार छः वार्डों भट्ट-कुफर, कंगनाधार, मजाठ, मल्याणा, पटयोग और अप्पर ढ़ली में यह संख्या दो हजार से कम है। अप्पर ढ़ली में तो यह संख्या केवल 814 है। जबकि कुछ वार्डों में यह संख्या 2012 से भी कम है। बालूगंज में 2012 में 4189 वोटर थे और इस बार 2345 हैं। टुटू में पिछली बार 3558 वोटर थे इस बार 2264 है। मल्याणा में पिछली बार 3557 थे जबकि इस बार 1811 हैं। इस तरह वोटर लिस्टों में यह भिन्नता अब भी ठीक हो पाती है या नहीं इसको लेकर संशय बरकरार है। 2012 में 25 वार्ड़ों में जब 80,000 से अधिक वोटर थे तो इस बार कुछ पंचायत क्षेत्रों के मिलने और वार्ड़ों की संख्या 34 हो जाने से वोटरों का बढ़ना तो स्वभाविक है लेकिन एक ही तिथि 1.1.2017 को दो संस्थाओं की गिनती में इतना अन्तर कैसे हो सकता है इस सवाल का जवाब अब नयी संशोधित लिस्टों के आने से ही स्पष्ट हो पायेगा।
मतदाता सूचियों पर सबसे पहली प्रतिक्रिया सी पी एम की ओर से आयी थी और उसने इनमें संशोधन की मांग करते हुए चुनाव दो माह के लिये आगे कर देने का आग्रह किया था। अब संशोधित लिस्टे आने के बाद यह दल संतुष्ट हो पायेंगे या फिर किसी बहाने से चुनाव आगे टल जायेंगे इसका खुलासा तो जून अन्त में ही हो पायेगा।