शिमला/शैल। सोलन नगर परिषद पर इस समय भाजपा का कब्जा है। जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता पवन गुप्ता इसके अध्यक्ष हैं। वरिष्ठता के कारण ही शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद विरेन्द्र कश्यप और पूर्व स्वास्थ्य मन्त्री नाहन के विधायक डा. राजीव बिन्दल का भी उन्हे सहयोग/ समर्थन हासिल है। लेकिन जब से पवन गुप्ता पर अपने पद के दुरूपयोग और एक तरह की दबंगाई के आरोप लगे हैं इससे भाजपा नेतृत्व के सामने एक अजीब संकट खडा हो गया है। क्योंकि जिस तरह के आरोप पवन गुप्ता पर लगे हैं उनके चलते अब तक उनसे त्यागपत्रा लेकर कारवाई हो जानी चाहिये थी। क्योंकि एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन आरोपों को सही पाया है।
पवन गुप्ता के खिलाफ सोलन के ही एक महेन्द्र कुमार वर्मा ने आरोप लगाये हैं । अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास विभाग को भेजी शिकायत को अतिरिक्त सचिव ने जांच के लिये जिलाधीश सोलन को भेजा और डीसी ने एसडीएम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। एसडीएम ने 3.4.2017 को डीसी को भेजी रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया है। महेन्द्र वर्मा का आरोप है कि उन्होने 2013 में अपने मकान की दो मंजिले स्वीकृत नक्शे से अधिक बना ली थी और रिटैन्शन पाॅलिसी के तहत उनके नियमितिकरण के लिये आवेदन किया था। लेकिन इस आवेदन पर कोई भी आदेश पारित होने से पहले ही नगर परिषद अध्यक्ष पवन गुप्ता ने अजय सहगल, पंकज सहगल, हरीश सहगल तथा परिषद के जेई एसडीओ और मजदूरों ने उसके मकान की छत आदि तोड़ दी। तोड़फोड़ की यह कारवाई सीसीटी कैमरे में भी दर्ज है। शिकायतकर्ता वर्मा के मुताबिक यह लोग उसके मकान को खरीदना चाहते थे। 26.7.2016 को अजय सहगल, पंकज सहगल और हरीश सहगल ने वर्मा को मकान की टाॅप मंजिल 25 लाख में उन्हे बेचने का आग्रह किया। जबकि वर्मा के मुताबिक इसकी कीमत एक करोड़ थी। इस तरह जब वर्मा ने यह मकान बेचने से इन्कार कर दिया तो उसे यह मकान तोड़ दिये जाने की धमकी मिल गयी और इस धमकी को अन्जाम भी दे दिया गया। वर्मा ने इस सबकी शिकायत सोलन पुलिस से की जिसे अनसुना कर दिया गया। हार कर वर्मा इस मामले को आई जी शिमला के संज्ञान में लाये और आईजी के निर्देशों पर इसमें 16.8.2016 को एफआईआर संख्या 183 दर्ज हुई जिस पर अभी अगली कारवाई अपेक्षित है।
दूूसरी ओर पवन गुप्ता का परिवार भी राजगढ़ रोड़ पर एक बहुमंजिला भवन का निर्माण अपने बेटे रोहित गुप्ता के नाम से कर रहा है। शिकायत के मुताबिक यह मंजिला भवन पूरी तरह अवैधता के साथ सारे नियमों कानूनों को अंगूठा दिखाकर बनाया जा रहा है। इस भवन के दो ब्लाॅक हैं जिनमें ईओएमसी के मुताबिक एक में 147.3% और दूसरे में 104.28% अवैधता है। ईओ की रिपोर्ट 4.1.2017 की है। जबकि कार्यकारी अभियन्ता द्वारा 20.3.2017 को सौंपी रिपोर्ट में 158% और 132.7% अवैधता पायी गयी है। पवन गैर हिमाचली और गैर कृषक हैं यह उन्होने इस जांच के दौरान स्वयं एमडीएम के पास स्वीकारा है। एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। यही नही पवन गुप्ता परिवार द्वारा किये जा रहे निर्माण से कोटला नाला के पास मीनस रोड़ भी आर डी 0850 से 0865 तक डैमेज हुआ है जिसकी क्षति पूर्ति के लिये लोक निर्माण विभाग ने उनके खिलाफ कारवाई को भी अंजाम दिया है।
इस पूरे प्रकरण की जांच में एसडीएम ने सारे सवंद्ध पक्षों को पूरे विस्तार से सुनने और उनके द्वारा पेश किये सारे साक्ष्यों/तथ्यों का निरीक्षण करने के बाद सारे आरोपों को सही पाया है। लेकिन 3.4.2017 को एसडीएम द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट पर अभी तक कोई कारवाई सामने नहीं आयी है। एक नगर परिषद का अध्यक्ष किस हद तक अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करके दूसरे का नुकसान कर सकता इसका खुलासा एसडीएम की रिपोर्ट से हो जाता है। लेकिन इस रिपोर्ट के वाबजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कारवाई न होना और पार्टी नेतृत्व का भी इस पूरे प्रकरण पर खामोश रहना कई सवाल खडे़ कए जाता है।