मुख्यमन्त्री के साथ फोटो के सहारे ही हो गयी एक प्रवासी भारतीय से धोखाधड़ी

Created on Wednesday, 12 July 2017 07:55
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। फरीदाबाद के एक ओपी शर्मा ने मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के साथ अपने फोटो दिखाकर एक अमरीका का लोरिडा निवासी प्रवासी भारतीय सुरेन्द्र सिंह बेदी के साथ धोखा धड़ी किये जाने का मामला चर्चा में आया है। इस मामलें को पूर्व मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अरूण धूमल ने हमीरपुर और फिर सोलन में पत्रकार वार्ता करके जन संज्ञान में लाकर खड़ा किया है। आरोप है कि इस धोखा धड़ी में वीरभद्र मन्त्रीमण्डल के ही एक सहयोगी मन्त्री और एक निगम के उपाध्यक्ष ने भी भूमिका निभाई है। यह भूमिका एक गैर कृषक और गैर हिमाचली को प्रदेश के भू सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीद की अनुमति हासिल करने के संद्धर्भ में रही है। आरोप है कि यह अनुमति हासिल करने के लिये 56 लाख रूपये की रिश्वत दी गयी है। अरूण धूमल ने दावा किया है कि इस मामले में अब तक हुई जांच में कई खुलासे अब तक सामने आये हैं जिन्हे वह शीघ्र ही सार्वजनिक करेंगे। इस मामले की गंभीरता वीरभद्र के मन्त्री ठाकुर सिंह भरमौरी द्वारा दी गई प्रतिक्रिया से और बढ़ जाती है क्योंकि भरमौरी ने इस मामले में अपनी संलिप्तता से तो इन्कार किया है लेकिन वह धोखा देने वाले ओपी शर्मा को कितना जानते हैं या नहीं इस बारे में कुछ नही कहा है। इसी से यह सन्देह उभरता है कि संभवतः इन लोगों की ओपी शर्मा से अच्छी जान पहचान रही हो।
आरोप है कि इस प्रवासी भारतीय को सोलन के कण्डाघाट में तीन करोड़ की जमीन 23 करोड़ में देने का खेल खेला जा रहा था। अरूण धूमल ने प्रधानमन्त्री से गुहार लगाई है कि इस मामलें की जांच करवाई जाये। अरूण धूमल ने जिस तर्ज में यह मामला उठाया है उससे इसके छींटे अपरोक्ष में मुख्य कार्यालय तक भी पहुंचते हैं। इसलिये इस प्रकरण में दर्ज हुई एफआईआर पाठकों के सामने रखी जा रही है। यह एफआईआर सीजेएम फरीदाबाद की अदालत में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत मामला जाने के बाद दर्ज हुई है। एफआईआर के मुताबिक प्रवासी भारतीय सुरेन्द्र सिंह वेदी की दिल्ली में पहले की भी संपत्ति है और वह भारत के साथ अपने रिश्ते बढ़ाने के लिये यहां पर और निवेश करना चाहता था। इस निवेश की ईच्छा से वह एक प्रापर्टी डीलर मुल्क राज जुनेजा के संपर्क में आया और जुनेजा के माध्यम से ओपी शर्मा के संपर्क में आया। यह संपर्क 5.3.2014 से शुरू हुआ और ओ पी शर्मा ने जुनेजा को किनारे करके वेदी से सीधे संबंध बना लिये। ओपी शर्मा ने संबन्ध बढ़ाते हुए बेदी को अपने प्रभाव में लेकर यहां पर प्रापर्टी में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया और 17.3.2014 को उसे कण्डाघाट लेकर आ गया। काण्डाघाट में बेदी को एक होटल और उसके साथ लगती जमीन दिखाई गयी। ओपी शर्मा ने दावा किया कि यह जमीन उसकी है और इसमें उसका एक हिस्सेदार अनिल चौधरी है जो कि एक इन्सपैक्टर है और वह उसे हटाना चाहता है। इस पृष्टभूमि में ओपी शर्मा बेदी के साथ जमीन बेचने का एक अनुबन्ध साईन कर लेता है। यह सारा क्रम 5.3.2014से शुरू होकर 17.4.2015 तक चलता है। इस बीच बेदी शर्मा को 2,62,84,010 रूपये की किश्तों में पैमेन्ट भी कर देता है। इतना पैसा देने के बाद भी जब ओपी शर्मा बेदी को जमीन की मलकियत के मूल दस्तावेज नही देता है तब वह 17.4.2015 को स्वंय कण्डाघाट आता है और यहां आकर उसे पता चलता है कि जमीन शर्मा के नाम है ही नहीं और उसके साथ बड़ा धोखा हुआ है।
इसके बाद वह ओपी शर्मा से अपने पैसे वापिस मांगता है जो उसे नही मिलते हैं। उसने सोलन पुलिस से भी सहायता मांगी लेकिन नही मिली। फरीदाबाद पुलिस ने भी उसकी नहीं सुनी और अन्त में 156(3) के तहत उसे अदालत से गुहार लगानी पड़ी और फिर यह एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन इसमें ओपी शर्मा के अलावा और किसी का नाम नही है। इस प्रकरण में ओपी शर्मा को किस ने क्या सहयोग दिया यह सब जांच में ही सामने आ सकता है। बेदी ने ओपी शर्मा के अतिरिक्त और किसी पर सन्देह व्यक्त नही किया है और मुख्यमन्त्री के साथ किसी का फोटो होने से ही इस मामले में ओपी शर्मा को मुख्यमन्त्री या उनके कार्यालय का सहयोग/संरक्षण हालिस होने का आरोप नही लगाया जा सकता। क्योंकि जब बेदी ने ही ओपी शर्मा के अलावा और किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है तब इस मामले में मुख्यमन्त्री का नाम लिया जाना तर्कसंगत नहीं बनता।