शिमला/शैल। सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 का आऊटसोर्स कर्मचारियों को लेकर जारी की गयी नीति के अनुसार अब कोई भी विभाग सरकार की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी सेवा आऊटसोर्स नही कर पायेगा। आऊट सोर्स कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित करने के लिये वित विभाग द्वारा जारी 2009 के वित्तिय नियमों के तहत मिलने वाले लाभ इन्हे भी सुनिचित किये गये हैं। इसके मुताबिक इन्हें ईएसआई कन्ट्रीव्यूशन और ई.पी.एफ कन्ट्रीव्यूशन के लाभ मिलेंगे। आऊट सोर्स के तहत लगी महिला कर्मीयों को मातृत्व अवकाश की सुविधा भी प्राप्त होगी और यह खर्च संबधित विभाग उठायेगा। यदि आऊटसोर्से पर तैनात कर्मचारी को विभागीय कार्य के लिये तैनाती स्थान से बाहर प्रदेश में किसी स्थान पर भेजा जाता है तो इसके लियेे उसे 130 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से यात्रा भत्ता भी मिलेगा। प्रदेश से बाहर जाने पर यह भत्ता 200रू0 प्रतिदिन के हिसाब से मिलेगा। सर्विस प्रोवाईडर इन्हे वेतन का भुगतान बैंक के माध्यम से करेंगे और हर माह की 7 तारीख को इन्हें यह भुगतान सुनिश्चित करेंगे। संबधित विभाग समय-समय पर यह सुनिश्चित करेंगे कि सर्विस प्रोवाईडर द्वारा कर्मचारी को यह लाभ दिये जा रहे हैं या नही।
स्मरणीय है कि इस समय प्रदेश में करीब 35,000 कर्मचारी आऊट सोर्स के माध्यम से विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह कर्मचारी इन्हें सरकार में नियमित रूप से समायोजित किये जाने की मांग भी कर रहे हैं। क्योंकि जब इन्हें आऊट सोर्से के माध्यम से रखा गया था तब इन्हें यह पूरी जानकारी ही नही रही है कि यह लोग सरकार के कर्मचारी न होकर एक सर्विस प्रोवाईडर ठेकेदार के कर्मचारी हैं। सरकार यह तो सुनिश्चित कर सकती है कि ठेकेदार इनका शोेेषण न करे और इनको समय पर वेतन का भुगतान हो। लेकिन इन्हें सरकार का नियमित कर्मचारी नही बनाया जा सकता और न ही उसकी तर्ज पर अन्य वेतन वृद्धि आदि के लाभ दिये जा सकते हैं। इन कर्मचारियों को अनुबन्ध पर रखे गये कर्मचारियों की तर्ज भी नियमित होने का लाभ नही मिल सकता। लेकिन इसी के साथ यह भी अनिश्चित है कि सर्विस प्रोवाईडर कब तक इन्हें काम पर रख सकता है और इन्हें काम से हटाने के लिये क्या शर्ते होंगी। यह भी अनिश्चित है कि संबधित विभाग भी कब तक इनकी सेवाएं आऊटसोर्स के माध्यम से लेता रहेगा।
सरकार ने इन कर्मचारियों केे दवाब में इनके लिये यह पाॅलिसी तो घोषित कर दी हैे लेकिन इसमें यह स्पष्ट नही किया गया है किस तरह की सेवाएं आऊट सोर्स के तहत आयेंगी। आऊटसोर्स प्रोवाईडर पर भी कोई नियम कानून लागू होंगे और वह भी सरकार केेे किसी विभाग में पंजीकृत होगा इसका भी इस नीति में कोई जिक्र नही है क्योंकि सरकार में कर्मचारी भर्ती करने के लिये रोजगार कार्यालयों से लेकर विभिन्न चयन बोर्ड गठित हैं और इनके लिये विज्ञापनों के माध्यम से सार्वजनिक सूचना देकर आवेदन आमन्त्रिात करने की एक तय प्रक्रिया है। यहां तक कि सरकार में होने वाले निर्माण कार्यों के लिये भी टैण्डर आमन्त्रिात करने की प्रक्रिया तय है। यह सारे प्रावधान उपलब्ध होने के वाबजूद सरकार में आऊटसोर्स के माध्यम से ऐसे कर्मचारी भर्ती करने की आवश्यकता क्यों पड़ी इस पर कोई भी कुछ कहने केे लिये तैयार नही है।
आऊट सोर्स प्रोवाईडर को कितना कमीशन मिलेगा इस पर भी पाॅलिसी में कुछ स्पष्ट नही किया गया है। आऊटसोर्स कर्मचारी को कितना वेतन मिलेगा यह भी स्पष्ट नही है पाॅलिसी में सिर्फ यह कहा गया है कि The Government Department will consider increase in the contracted amount payable to the service providers /contractors to enable them to enhance emoluments of staff engaged by them , whenever the State Government increases minimum wages. सरकार द्वारा यह पाॅलिसी लाये जाने के वाबजूद भी आऊट सोर्स कर्मचारियों के सरकार में समायोजित होने की कोईे संभावना नही है। इससे केवल सर्विस प्रोवाईडर को बैठेे बिठाये एक भारी कमीशन पाने का साधन तो दे दिया गया है लेकिन अन्ततः यह इन कर्मचारियों का शुद्ध शोषण ही रह जाता है यह इस पाॅलिसी से भी स्पष्ट हो जाता है क्योंकि कब तक सर्विस प्रोवाईडीे और संबधित विभाग कर्मचारी को अपनी सेवा में रखेंगे यह स्पष्ट नही है। संभवतः सेवा चयन और पदोन्नति नियमों में इस तरह की सेवाओं का कोई प्रावधान ही नही है।