कांग्रेस का विकास के सहारे विजय का दावा

Created on Tuesday, 10 October 2017 06:29
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। वीरभद्र सरकार ‘‘विकास से विजय’’ रैली आयोजित करके पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष प्रदेश में हुए विकास की जोे तस्वीर सामने रखी है उससे आश्वस्त और आशान्वित हो करे राहुल ने दावा किया है कि वीरभद्र सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमन्त्री बनेेंगे। इस रैली में सरकार नेे इस कार्यकाल में हुए विकास के आंकड़ेे प्रदेश की जनता केे सामने रखे हैं और यह रखनेे के लिये इस रैली के आयोजन पर हुआ सारा खर्चं सरकार ने उठाया है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों की घोषणा कभी भी संभावित है ऐसे में इस समय सरकारी खर्च पर अपने विकास की उपलब्धियां जनता के सामने रखना राजनीतिक दृष्टि से कितना सही फैसला सिद्ध होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। क्योंकि 2012 में धूमल भी इसे विकास के नाम पर सत्ता में वापसी के दावे कर रहे थे और उस समय उनके पास विकास के नाम पर मिलेे सौ से अधिक अवार्डों का तमगा भी था लेकिन फिर भी जनता ने उन्हे मौका नही दिया। क्योंकि काग्रेंस ने उनके साथ ‘‘हिमाचल आॅन सेल’’ का ऐसा आरोप चिपका दिया जिसे भले ही सत्ता में आकर कांग्रेस प्रमाणित नही कर पायी है। लेकिन उस समय यह आरोप विकास पर भारी पड़ गया था यह सबकेे सामनेे है। आज कांग्रेस और वीरभद्र सरकार ठीक उसी स्थिति में खड़ी है।
विकास एक ऐसा विषय है जिसेे सवालों के घेरे में खड़ा करना बहुत आसान होता है। जैसेे आज केन्द्र की मोदी सरकार को जुमलों की सरकार करार दिया जाने लग पड़ा है क्योंकि इस सरकार के सारे आर्थिक फैसलें मोदी-जेटली के दावों के बावजूद जनता की नज़र में नुकसान देह साबित हुए हैं और इसी आधार पर राहुल और कांग्रेस मोदी पर हमलावर हो रही है। ठीक इसी तरह आज जब इस विकास के इन आंकड़ो को प्रदेश के बढ़ते कर्ज के आईने में देखा जायेगा तो तस्वीर कुछ अलग ही दिखेगी। यह ठीक है कि आज उद्योग मन्त्री मुकेश अग्निहोत्री के विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यो पर 1656.86 करोड़ का निवेश हुआ है और मुख्यमन्त्री के अपने क्षेत्र शिमला ग्रामीण में हुई 20% घोषणाओं पर करीब 1200 करोड़ का निवेश हुआ है। यह सारा निवेश अमली जामा भी पहन चुका है। विकास के नाम पर यह क्षेत्र आज प्रदेश के माडल हैं लेकिन क्या ऐसा ही निवेश प्रदेश के शेष 66 विधानसभा क्षेत्रों में भी हुआ है यह सवाल आने वाले दिनों में उठेगा। फिर जो संस्थान खोले गये हैं क्या उनमें सुचारू रूप से कार्य करवाने की सुनिश्चितता बन पायी है।  क्योंकि  जब एक संस्थान से कुछ कर्मचारियों को दूसरे संस्थान में बदल कर नये का काम चलाया जाता है तब दोनों में ही कुछ व्यवहारिक कमीयां रह जाती हैं और परिणाम स्वरूप दोनों जगह नाराज़गी उभर आती है। यदि नये खोले संस्थानों में नयी भर्तीयां करके कर्मचारी नियुक्त किये जाएं तब ऐसी नियुक्तियां करने में न तो पूूरा समय उपलब्ध हो पाता है और न ही पूरी प्रक्रिया हो पाती है और ऐसे चयनों पर पक्षपात के आरोप लगनेे स्वभाविक हो जाते हैं। इसलिये आज विकास के दावों पर सरकारों का बनना संदिग्ध हो जाता है। फिर सरकार तो होती ही विकास के लिये है और उस पर लगने वाला पक्षपात का एक भी आरोप सारे दावों की हवा निकाल देता है।
कांग्रेस जहां ‘‘विकास से विजय’’ को सहारा बना रही है वहीं पर भाजपा कांग्रेस से ‘‘हिसाब मांगेेेे हिमाचल’’ के तहत लगातार हमलावर होती जा रही है। भाजपा के इन हमलों का जवाब जब तक कांग्रेस उसी तर्ज में देने को तैयार नही होगी तब तक उसके विकास के दावों का असर हो पाना संभव नही लगता है। भाजपा लम्बे अरसे से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर व्यक्तिगत स्तर पर हमलावर होने की रणनीति पर काम करती आ रही है। वीरभद्र सिंह के अतिरिक्त भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष सुक्खु पर भी निशाना साध चुकी है। सुक्खु ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर मानहानि का मामला दायर करने का दावा किया था जो आज तक पूरा नही हुआ है। सूत्रों की माने तो अब इस कड़ी में और भी बहुत कुछ जुड़ने वाला है। भाजपा के निशाने पर वन मन्त्री ठाकुर सिंह भरमौरी, उद्योग मन्त्री मुकेश अग्निहोत्री और शहरी विकास मन्त्री सुधीर शर्मा विशेष रूप से रहने वाले हैं। कांग्रेस मण्डी रैली में आक्रामक होने की बजाये रक्षात्मक रही है ऐसे में अब इस पर निगाहें लगी है कि क्या कांग्रेस इसी रक्षात्मक तर्ज पर आगे बढे़गी या आक्रामक होने का साहस दिखायेगी ।