शिमला/शैल। पूर्व केन्द्रिय संचार मन्त्री पंडित सुखराम वीरभद्र मन्त्रीमण्डल में मन्त्री उनके बेटे अनिल शर्मा और प्रदेश कांग्रेस के सचिव उनके पौत्र आश्रय शर्मा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने का जो तर्क अनिल शर्मा ने दिया है उसके मुताबिक पिछले दिनों जब मण्डी में राहुल गांधी रैली के लिये आये थे उस समय सुखराम की उपेक्षा की गयी उन्हे रैली के लिये आमन्त्रित नहीं किया गया और यहां तक कहा गया कि यदि वह आये तो दूसरे लोग रैली छोड़ कर चले जायेंगे। इस उपेक्षा से आहत होकर परिवार पार्टी छोड़ रहा है। अनिल का यह आरोप कितना सही है यह तो वही जानते हैं और उनके अतिरिक्त इसकी जानकारी पार्टी अध्यक्ष सुक्खु तथा मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह को होगी। लेकिन प्रदेश और मण्डी की जनता के सामने अनिल के बेटे आश्रय शर्मा का वह पत्रकार सम्मेलन अवश्य है जो उन्होने इस रैली से कुछ ही दिन पहले आयोजित किया था। इस सम्मेलन में यह दावा किया गया था कि पार्टी हाईकमान ने उन्हे सिराज से चुनाव लड़ने का सिगनल दे दिया है और वह भाजपा के जयराम ठाकुर के विरूद्ध चुनाव लड़ेंगे और उनके दादा सुखराम इस चुनाव की कमान संभालेंगें। यदि आश्रय का पत्रकार सम्मेलन में किया गया यह दावा सही था तो फिर अब पार्टी छोड़ने का तर्क सही नही हो सकता क्योंकि इस दावे का पार्टी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया था। यदि यह दावा गलत था तो इससे बड़ी अनुशासनहीनता और पार्टी को अपने खिलाफ कारवाई के लिये उकसाने के अतिरिक्त और कुछ नही हो सकता। इसलिये यही माना जायेगा कि पार्टी छोड़ने के लिये बहाने तलाश किये जा रहे थे। जबकि अनिल शर्मा भाजपा में जाने की चर्चा मीडिया में करीब छः माह से चल रही थी।
आज सुखराम का पूरा परिवार भाजपा में शामिल हो गया है। स्मरणीय है कि जब पंडित सुखराम को दूर संचार घोटाले में गिरफ्तार किया गया था उस दौरान प्रदेश विधानसभा के सदन के अन्दर जे पी नड्डा और किशन कपूर आदि भाजपा विधायकों ने इस स्कैम का नाट्यरूपान्तरण तक स्टेज कर दिया था गले में नोटों के हार डालकर सदन के अन्दर आ गये थे। सुखराम के दूर संचार घोटाले को भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार का एक बडा मुद्दा बनाया था। सुखराम के खिलाफ सीबीआई ने तीन मामले दर्ज किये थे। हरियाणा की एक कंपनी एचटीएल को 30 करोड़ का ठेका देने के एवज में तीन लाख की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। इस मामले में सुखराम के साथ इस कंपनी के चेयरमैन देवेन्द्र चौधरी भी सह अभियुक्त बने थे। चौधरी की मामले की जांच के दौरान ही मौत हो चुकी है। इस मामले में अदालत से सुखराम को पांच साल की सजा और चार लाख के जुर्माने की सजा हो चुकी है। दूसरा मामला हैदराबाद के रामा राव की कंपनी ।Advance Radio Masts को 1.66 करोड़ का सप्लाई आर्डर देने का है। इसमें सुखराम के साथ कंपनी के मालिक रामा राव और दूर संचार विभाग की निदेशक रूनू घोष भी सह अभियुक्त हैं। इस मामले में भी सजा हो चुकी है। तीसरा मामला घर में हुई छापमारी के दौरान मिली 4.25 करोड़ की नकदी को लेकर आय से अधिक संपत्ति का बना। सीबीआई ने 1993 में यह मामले दर्ज किये थे और 1998 में इनमे चार्जशीट फाईल हुई थी। नवम्बर 2011 में ट्रायल कोर्ट से फैसला आया था। जब यह फैसला आया था उस समय नितिन गडकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। 19.11.2011 को इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए गडकरी ने कहा था "The way in which the court has taken the time to punish the guilty is important. The judicial system needs changes otherwise people will loose faith " इसी मामले में सुखराम ने अदालत से यह कहा था कि "As such it is not a case where govt. has lost any money. The CBI allegation was that he took bribe but no financial loss has been caused to the govt. exchequer." कर चुका है। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुखराम सर्वोच्च न्यायालय गये थे और यह गुहार लगायी थी कि बढ़ती उम्र के चलते उन्हें जेल न भेजा जाये। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें पहले निचली अदालत में आत्मसमर्पण के लिये कहा था। इस पर सुखराम ऐंबुलैन्स में अदालत पहुंचे थे और कोमा में चले जाने तक की स्थिति अदालत में रखी थी। इस समय बढ़ती उम्र और बीमारी के कारण जमानत पर है। यह मामले अब अन्तिम फैसले के कगार पर पहुंचे हुए हैं और माना जा रहा है कि इन मामलों का भी परिवार पर दवाब चल रहा है।
सुखराम के अतिरिक्त अनिल शर्मा के खिलाफ भी भाजपा ने अपने आरोप पत्र में मण्डी के राजमहल प्रकरण में गंभीर आरोप लगाया हुआ है। यह आरोप पत्र भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के हस्ताक्षरों से राज्यपाल को सौंपा गया है। जिसमें यह आरोप है कि ‘‘जिला मण्डी कीे राजमहल जमीन बेनामी सौदे में विधायक/मन्त्री के बैंक खाते से लाखों रूपये श्री संजय कुमार के बैंक खातें में ट्रांसफर हुए। यूं बेनामी सौदा श्री खूब राम के नाम हुआ जिसका सूत्रधार संजय था।’’ आज इन विधानसभा चुनावों के लिये भाजपा जो ‘‘हिमाचल मांगे हिसाब’’ में भ्रष्टाचार के मामलों पर सरकार से हिसाब मांग रही है। क्या उसे आज प्रदेश की जनता के सामने सुखराम और अनिल शर्मा को लेकर अपना आचरण स्पष्ट करना होगा। क्योंकि इससे यह संदेश जा रहा है कि यदि आप भाजपा के सदस्य हैं तो आपका सारा भ्रष्टाचार जन सेवा है। यदि भाजपा से बाहर हैं और उसके विरोध हैं तो यही भ्रष्टाचार का आपका सबसे बड़ा अपराध होगा।