शिमला/शैल। वीरभद्र सरकार एशियन विकास बैंक से कर्ज लेकर प्रदेश में हैरिटेज पर्यटन के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने जा रही है। इस विकास के लिये 256.99 करोड़ का कर्ज लिया गया है। इसके लिये बिलासपुर में मार्कण्डेय और नैना देवी मन्दिर, ऊना में चिन्तपुरनी और हरोली, कांगडा में पौंग डैम, रनसेर तथा कारू टापू नगरोटा सूरियां धमेटा, ब्रजेश्वरी, चामुण्डा, ज्वालाजी, धर्मशाला- मकलोड़गंज, मसरूर और नगरोटा बगंवा, कुल्लु में मनाली का आर्ट एण्ड क्राफ्ट केन्द्र बड़ाग्रां, चम्बा में हैरिटेज, सकिर्ट, मण्डी के ऐतिहासिक भवन और शिमला में नालदेहरा का ईको पार्क, रामपूर बुशैहर तथा आस पास के मन्दिर तथा शिमला शहर में विभिन्न कार्य चिन्हित किये गये हैं। इस विकास के साथ हैरिटेज को जोड दिये जाने के कारण यह पूरा कार्य पर्यटन विभाग को ही सौंप दिया गया है। पर्यटन विभाग में इसके लिये एक प्रौजेक्ट डायरैक्टर अलग से लगाया गया है। जिसे अब लोक निमार्ण विभाग के सेवानिवृत ईइनसी एसपी नेगी भी सहयोग दे रहे हैं। यह सारा कार्य अप्रैल 2014 में शुरू हुआ था और 2017 तक पूर्ण किया जाना है। एशियन विकास बैंक से लिये गये कर्ज में केन्द्र सरकार भी भागीदार है। इस कार्य को अंजाम दे रहे ठेकेदारों पर आयत होने वाले सारे कर भी राज्य सरकार ही अदा करेगी।
शिमला के रिज स्थित चर्च की 17.50 करोड रूपये में रिपेयर किये जाने का अनुबन्ध 10 सितम्बर 2014 को हस्ताक्षरित हुआ था। आर टी आई के माध्यम से 27-2-16 को बाहर आये इस अनुबन्ध की शर्त संख्या 17 के अनुसार रिपेयर का काम दो वर्षो में पूर्ण होना है। सितम्बर 2014 में हुए अनुबंध के दो वर्ष सितम्बर 2016 में पूरे हो गये हैं। अनुबन्ध के मुताबिक इसमें 15 करोड़ का तो सिविल वर्क ही होना है। लेकिन अभी तक मौके पर कोई काम शुरू ही नहीं हुआ है इसमें बहुत सारी अनुमतियां प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला से आनी है। इन अनुमतियों की स्थिति इस समय क्या है इस पर अधिकारिक तौर पर कोई कुछ भी कहने से बच रहा है।
इस चर्च का जिर्णोद्वार भारत सरकार के माध्यम से एशियन विकास बैंक से लिये गये कर्ज से किया जा रहा है। यह चर्च शहर की हैरिटेज संपतियों में शामिल है। हरिटेज के तहत सारा निर्माण कार्य प्रदेश का पर्यटन विभाग करवा रहा है और इसके लिये यू एस क्लब में पर्यटन विभाग को अतिरिक्त कार्यालय की सुविधा दी गयी है। पर्यटन विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। पर्यटन विकास के लिये प्रदेश में अलग से एक बोर्ड गठित है जिसके उपाध्यक्ष पूर्व पर्यटन मन्त्री विजय सिंह मनकोटिया रहे थे। पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष वीरभद्र के विश्वस्त हरीश जनारथा थे। यह सभी लोग पर्यटन विकास बोर्ड के सदस्य भी हैं। हैरिटेज संरक्षण के लिये हैरिटेज कमेटी भी गठित है। इस रिपेयर के लिये हस्ताक्षरित अनुबन्ध के अनुसार यह सारा काम हैरिटेज मानदण्डों के अनूरूप होना है। इस सबका अर्थ यह हो जाता है कि 17.50 करोड़ की रिपेयर का प्रारूप निश्चित तौर पर इन सबके हाथों से गुजरा है और इसके लिये सबकी अनुमति रही होगी।
पर्यटन के विकास के लिये एक मुश्त शुरू होने वाली इस बड़ी योजना की कार्यशैली पर नगर निगम के तत्कालीन महापौर संजय चौहान ने एशियन विकास बैंक के मिशन डायरेैक्टर को 27.6.2016 को पत्र लिखकर गंभीर शंकाए व्यक्त की हैं। बैंक के मिशन डायरैक्टर ने शिमला में इस योजना को अंजाम दे रहे प्रौजेक्ट डायरैक्टर मनोज शर्मा को 6 जुलाई को पत्र भेजकर नगर निगम के मेयर की शंकाओं से अवगत भी करवा दिया है। लेकिन इस पत्राचार का अभी तक कोई परिणाम सामने नही आया है। स्मरणीय है कि शिमला के लिये सौन्दर्यकरण की इस योजना का प्रारूप मूल रूप से नगर निगम प्रबन्धन ने ही तैयार किया था और इस पर निगम के हाॅऊस से भी स्वीकृति करवा ली गई थी लेकिन काम को अंजाम देने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को दे दी गयी है। शिमला के सौन्दर्यकरण के लिये कहां पर क्या काम करवाया जाना है तय यह हुआ था। उसकी मूल जानकारी शिमला नगर निगम को ही है। संभवतः इसी जानकारी के कारण आज इस कार्य की गुणवत्ता और इस पर हो रहे निवेश पर एक साथ सवाल उठने शुरू हो गये हैं।
नगर निगम द्वारा पारित प्रारूप के अनुसार शिमला के सौन्दर्यकरण के तहत 13 मद्दें तय की गयी थी जिनमें से अब मद्द संख्या 11 एसकेलेटरज और मद्द संख्या 12 यूटिलिटी सर्वसिज को ड्राप कर दिया गया है। शिमला में हो रहे कार्यो में कुछ प्रमुख कार्य हैं हैरिटैज के तहत आने वाले दोनो चर्चों की मुरम्मत, मालरोड़ की मैटलिंग टारिंग, पांच रेन शैल्टरों का निमार्ण और नगर निगम के मुख्यालय टाऊन हाल की रेस्टोरेशन। इन कार्यो पर किये जाने वाले निवेश का आकलन भी तीन किश्तो में किया गया है। इन कार्यों को अजांम देने के लिये आठ कन्सलटैन्ट भी नियुक्त किये गये हैं। जिन्हें 1.4.2014 से 31.3.2015 तक फीस के रूप में 4,29,21,353 रूपयेे अदा किये गये हैं।
चर्चों की मुरम्मत को लिये ADB LOAN-No. 3223 IND, IDIPT- H.P. किश्त तीन में 12.40 करोड़ के निवेश का आकलन है। लेकिन इसी मुरम्मत को लेकर 27.2.16 को एक प्रकाश सैमुअल ने जो आर टी आई के तहत सूचना हासिल की है उसमें यह आकलन 17.52 करोड़ कहा गया है। इस कार्य के लिये पर्यटन विभाग चर्च कमेटी के बीच हुये अनुबन्ध के मुताबिक सितम्बर 2016 तक यह कार्य पूरा होना था। अभी तक यह काम शुरू भी नही हुआ है और इसकी लागत में पांच करोड की बढ़ौतरी हो गयी है। पांच रेन शैल्टरों की निमार्ण लागत का आकलन 3 करोड़ कहा जा रहा है। मालरोड की रैस्टोरेशन का आकलन ADB LOAN NO 2676-IND किश्त एक में 23.73 करोड़ है और किश्त तीन में यह आकलन 33.89 करोड़ दिखाया गया है। टाऊन हाल की मुरम्मत का आकलन किश्त एक के मुताबिक 8.02 करोड है। टाऊन हाल के निमार्ण का काम एक अभी राम इन्फ्र्रा प्रौजेक्ट प्राईवेट लि. को दिया गया था। अभी राम इन्फ्र्रा ने इस काम के लिये शिमला स्थित वर्मा ट्रैडिंग कंपनी से लकडी की खरीद की। टाऊन हाल का काम इस कंपनी को सितम्बर 2014 में अवार्ड हुआ और इसने जनवरी 2016 में वर्मा ट्रैडिंग कंपनी से लकडी की खरीद की। कुल 13,74,929 रूपये की लकडी इस काम के लिये खरीदी गयी और इस पैसे की वर्मा ट्रैडिंग को अदायगी भी नही की गयी है। वर्मा ट्रैडिंग ने यह शिकायत भी नगर निगम के मेयर से की है। उसे यह जानकारी ही नहीं है यह काम नगर निगम की बजाये मुख्यमन्त्री का पर्यटन विभाग करवा रहा है।
शिमला के सौन्दर्यकरण का यह काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। बल्कि चर्चों की रिपेयर का काम तो अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है। इस काम के लिये चर्च कमेटी के साथ जो अनुबन्ध हुआ उसके मुताबिक दो वर्ष के भीतर यह काम पूरा होना था। इस अनुबन्ध की अवधि सितम्बर 2016 में समाप्त हो चुकी है और नया अनुबन्ध अभी तक हुआ नहीं है। ऐसे में अब यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या चर्चों की रिपेयर होगी भी या नहीं।