क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी दल सत्ता में आकर कारवाई कर सकेगा

Created on Wednesday, 15 November 2017 11:05
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। कांग्रेस और भाजपा के घोषणापत्रों में यह दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कांग्रेस ऐसी शिकायतों का निवारण करने के लिये एक आयुक्त नियुक्त करेगी। भाजपा इसके लिये आयोग का गठन करेगी। कांग्रेस-भाजपा के चुनाव घोषणा पत्रों पर आम आदमी ने कितना चिन्तन - मनन किया होगा इसका अन्दाजा लगाना कठिन है। क्योंकि दोनों दलों ने जितने वायदे अपने घोषणा पत्रों में कर रखे हैं उन्हे पूरा करने के लिये धन कहां से आयेगा इसका जिक्र किसी ने भी नहीं किया है। भाजपा ने पानी पर प्रति क्यूबिक मीटर दस पैसे का कर लगाकर 600 करोड़ का राजस्व जुटाने का दावा किया है। लेकिन इस दस पैस के कर से मंहगाई पर कब कितना असर पड़ेगा इसका कोई जिक्र नहीं है। विकास के महत्वपूर्ण कार्यों के लिये पी पी पी मोड़ पर विदेशी फण्ड का प्रबन्ध किया जायेगा यह भी वायदा किया गया है। लेकिन इसके और परिणाम क्या होंगे इस पर कुछ नहीं कहा गया है। कांग्रेस कृषि, बागवानी, पशुपालन आदि सारी योजनाओं पर 90% सब्सिडी देगी और छोटे और सीमान्त किसानों को एक लाख ऋण ब्याज मुक्त देगी तथा प्रतिवर्ष 30000 छात्रों को लैपटाॅप देगी यह वायदा किया गया है। लेकिन इन वायदों को पूरा कैसे किया जायेगा इसका कोई जिक्र नहीं है। दोनों दलों के घोषणा पत्रों में जो वायदे किये गये हैं उन्हे पूरा करने के लिये या तो कर्ज का सहारा लिया जायेगा या फिर जनता पर करों का भार बढ़ाया जायेगा। क्योंकि वायदे पूरे करने के लिये धन चाहिये जो सरकार के पास है नहीं और केन्द्र इतना दे नहीं सकता क्योंकि उसकी भी कुछ वैधानिक सीमायें रहेंगी।
घोषणा पत्रों का यह जिक्र इस समय इसलिये आवश्यक है कि कल जो भी सरकार आयेगी वह अपने घोषणा पत्र से बंधी होगी। आम आदमी को अपेक्षा रहेगी कि सरकार के आते ही इन पर अमल शुरू हो जायेगा। इस अमल की आम आदनी को कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी इसके लिये उसे पहले ही दिन से सजग रहना पडे़गा। इस सजगता में आम आदमी यदि सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर किये गये वायदों पर ही सरकार को समय-समय पर सचेत करता रहेगा तो यही एक बड़ा काम होगा। दोनों दलों ने भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त न करने का वायदा किया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई करने के लिये सरकार के पास विजिलैन्स का पूरा तन्त्र उपलब्ध है। लेकिन वीरभद्र के इस शासन काल में विजिलैन्स ने भ्रष्टाचार के किसी बड़े मामले पर हाथ डाला हो और उसमें सफलता हासिल की हो ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। ऐसा नहीं है कि विजिलैन्स के पास कोई बड़ा मामला आया ही न हो बल्कि वास्तव में बड़े मामलों पर कारवाई करने से यह ऐजैन्सी बचती रही है। हिमाचल को विद्युत राज्य के रूप में प्रचारित प्रसारित किया जाता रहा है बल्कि इसी प्रचार के कारण यहां पर उद्योग आये हैं । लेकिन आज प्रदेश की विद्युत परयोजनाएं प्रदेश को लाभ देने के स्थान पर लगातार नुकसान दे रही हैं। विद्युत से हर वर्ष आय में कमी होती जा रही है यह कमी क्यों हो रही है इसकी ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
इस परिदृश्य में यह स्मरणीय है कि प्रदेश में विद्युत में जे.पी. उद्योग समूह एक बड़ा विद्युत उत्पादक है लेकिन जितना बड़ा यह उत्पादक है राजस्व को लेकर इसके खिलाफ उतनी ही बड़ी शिकायतें भी हैं। स्मरणीय है कि भाजपा ने अपने ही एक आरोप पत्र में जे.पी. के सीमेंट प्लांट में 12 करोड़ का घोटाला होने का आरोप लगाया है। जे.पी. के दूसरे प्लांट को लेकर प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों पर एक एसआई टी गठित हुई थी लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ है इसका आज तक कोई पता नही है। जे.पी. को 1990 में जो बसपा परियोजना दी गयी थी उसका 92 करोड़ वसूलने की बजाये बट्टे खाते में डाल दिया गया है। सीएजी इस पर एतराज उठा चुका है। लेकिन सरकार में कोई कारवाई नही हुई है। जे.पी. ने दूसरी परियोजना को 900 मैगावाट से अपने ही स्तर पर 1200 मैगावाट कर लिया और इस 300 मैगावाट का कोई अपफ्र्रन्ट प्रिमियम आज तक नही वसूला गया है । इसी तरह जो विद्युत परियोजनाएं विद्युत बोर्ड की अपनी हैं उनमें एक लम्बे अरसे से रिपेयर के नाम पर हर वर्ष हजारों घन्टों का शट डाऊन दिखाया जा रहा है। स्वभाविक है जो परियोजना इतना लम्बा समय बन्द रहेंगी उसमें उत्पादन नही होगा और प्रदेश को राजस्व की हानि होगी। निजि क्षेत्रा की परियोजनाओं में रिपेयर के नाम पर कभी भी 8-10 घन्टे से ज्यादा का शटडाऊन नही देखा गया है। इस शटडाऊन को लेकर पूरे दस्तावेजों के साथ विजिलैन्स  में लम्बे समय से शिकायत लंबित पड़ी है। विद्युत बोर्ड के अपने ही सूत्रों के मुताबिक प्रतिदिन कई करोड़ो का घपला हो रहा है। सरकार ने भी मान लिया है कि इसमंे कहीं कोई लापरवाही हो रही है परन्तु कोई कारवाई नही हो रही है। इसलिये आज दोनों दलों के दावों के संदर्भ में यह मामला सामने रखा जा रहा है।