क्या नयी सरकार में भी रिटायरड अधिकारियों का दखल रहेगा

Created on Saturday, 23 December 2017 07:33
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। सत्ता से बेदखल हुई वीरभद्र सरकार पर जो आरोप लगते रहे हैं और जिनको लेकर राज्यपाल को समय -समय पर आरोप पत्र भी सौंपे गये हैं उनमें एक आरोप यह लगता रहा है कि सरकार को रिटायरड और टायरड लोग चला रहे हैं। इन आरोपों का आधार था कि वीरभद्र के प्रधान निजि सचिव से लेकर उनके प्रधान सचिव और ओएसडी तक संयोगवश सभी लोग सेवानिवृत अधिकारी थे। यह एक जन चर्चा बन गयी थी कि सरकार को वीरभद्र सिंह नही बल्कि यह अधिकारी चला रहे हैं। यह आरोप निराधार भी नही थे। बल्कि इस सरकार की हार का एक सबसे बड़ा कारण भी यही लोग रहे हैं क्योंकि इन सेवानिवृत अधिकारियों के आगे दूसरे अधिकारी अपने को अप्रसांगिक मानने लग गये थे। इन सेवानिवृत अधिकारियों के कारण पूरे प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लग गये थे। ब्रेकल हाईड्रो परियोजना के संद्धर्भ में अदानी के 280 करोड़ लौटाने को लेकर बार- बार फैसलों में हुआ बदलाव इस प्रभाव का सबसे बड़ा प्रमाण रहा है।
इसी परिदृश्य में आज भाजपा की आने वाली सरकार को लेकर भी यह सवाल उठने शुरू हो गये हैं कि क्या इस सरकार में भी सेवानिवृत बड़े बाबूओं का दखल पिछली सरकार की तरह देखने को मिलेगा या नहीं। यह सवाल इसलिये उठने लगा है क्योंकि लोकसभा चुनावों के बाद से कई सेवानिवृत बड़े अधिकारियों ने आरएसएस और भाजपा में अपनी सदस्यता और सक्रियता दर्ज करवाई है। अब भाजपा सत्ता में आ गयी है तो स्वभाविक रूप से यह जिज्ञासा हर कहीं उठेगी ही कि इस सरकार में इन सक्रिय हुए लोगों की भूमिका संगठन तक ही रहेगी या फिर सरकार चलाने में भी यही प्रमुख रहेंगे। चर्चा है कि ऐसे कुछ अधिकारी सरकार चलाने में अपनी भूमिकाएं अभी से तय करने में लग गये हैं।
अभी हुए विधानसभा सभा चुनावों में भाजपा से निकटता का दम भरने वाले इन अधिकारियों की भूमिका क्या और कितनी सक्रिय रही है यह तो आने वाले समय में ही खुलासा होगा लेकिन जो परिणाम आये हैं और जिस तरह से धूमल और निकटस्थों की हार हुई उससे यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि यह अधिकारी भी राजनीतिक स्थितियों का सही आंकलन करने में  पूरीे तरह सफल नही रहे हैं। फिर अभी नेता के चयन में केन्द्रिय नेतृत्व को एक सहमति पर पहुंचने में जिस तरह की कसरत करनी पड़ी है उसका असर आगे आने वाले लोकसभा चुनावों पर कैसा पड़ेगा इसको लेकर भी नयी सरकार को अभी से सतर्क रहना आवश्यक हो जायेगा और इस सब में अधिकारियों और दूसरे सलाहकारों की टीम का चयन कैसा रहता है इसका भी असर पडे़गा।