शिमला/शैल। आईएएस से सेवानिवृति के बाद राजनीति में आकर पहली बार विधायक बने भाजपा के टिकट पर जीत राम कटवाल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अदालत में पहुंचे एक मामले में कोर्ट ने कटवाल और एक अन्य अधिकारी आर. एस. गुलेरिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये हैं। इन निर्देशों पर अमल
करते हुए छोटा शिमला थाने में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज भी हो गयी है। स्मरणीय है कि जे.आर.कटवाल अपनीे सेवानिवृति से पूर्व बाल विकास विभाग के निदेशक पद पर तैनात थे। 2015 में उन्होने इस विभाग में आऊट सोर्स नीति के तहत एक प्रताप सिंह वर्मा को बतौर जिला बाल विकास अधिकारी नियुक्ति दी। लेकिन 2015 में ही वर्मा को नौकरी से हटा भी दिया। इस तरह नौकरी से हटाये जाने को लेकर वर्मा नेे विभाग से इसका कारण जाननेे का प्रयास किया। लेकिन जब कोई संतोषजनक जवाब नही मिला तब उन्होनेे 8-12-2015 को आर टीआई एक्ट के तहत इस जानकारी के लिये आवेदन कर दिया। जब आर टीआई के माध्यम से उन्हें जवाब मिला तो इस जवाब से सन्तुष्ट न होकर 26- 04-2016 को एक और आर टीआई डालकर जानकारी मांगी। इस आर टीआई के तहत जो जानकारी आयी वह पहले दी गयी जानकारी से बिल्कुल भिन्न थी। इस तरह अलग-अलग जानकारी आने से यह लगा कि उसके दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। इस छेड़छाड़ किये जाने का मामला विभाग के संज्ञान में लाया गया। लेकिन जब विभाग ने कोई कारवाई नही की तब वर्मा ने 2016 में ही सी आर पी सी की धारा 156(3) अदालत में शिकायत दर्ज कर दी। इस शिकायत पर अदालत ने इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच किये जाने के आदेश जारी किये।
अदालत के आदेशों की अनुपालना करते हुए कटवाल और गुलेरिया के खिलाफ पुलिस ने धारा 465, 466 और 469 के तहत मामला दर्ज करके इसकी जांच शुरू कर दी। माना जा रहा है कि जब इस मामलें में अदालत ने कोई गंभीरता नही देखी होगी तभी इसमें एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये होंगे। इस आयने से इस मामले को देखते हुए तय है कि इससे कटवाल के लिये आने वाले समय में कठिनाईयां बढेंगी।
इसी तरह भाजपा सांसद वीरन्द्र कश्यप के खिलाफ भी कैश आॅन कैमरा मामलें में आरोप तय हो गये हैं। स्मरणीय है कि 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक स्टिंगआप्रेशन में यह आरोप लगे थे कि कश्यप ने एक काम के लिये पैसे मांगेे थे। इस मामले की उसी दौरान पुलिस में शिकायत भी दर्ज हो गयी थी। पुलिस ने मामले की जांच करनेे के बाद कश्यप को कलीन चिट दे दी थी। इस स्टिंग आप्रेशन की सीडी 2010 में चर्चा में आयी थी। पुलिस द्वारा कश्यप को क्लीन चिट दिये जाने को एक आरटीआई के सक्रिय कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने जनहित याचिका के माध्यम से प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी थी। इस चुनौती के बाद इस मामले में फिर से मोड़ आया और अब आरोप तय होने तक पहुंच गया। अब यदि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर मार्च में विशेष अदालतें गठित हो जाती हैं तोे निश्चित तौर पर कश्यप और कटवाल के मामले अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में सरकार और भाजपा दोनों के लिये कठिनाईयां पैदा कर सकते हैं। फिर वीरेन्द्र कश्यप के जनेड़घाट क्षेत्र में 400 हर पड़ो के कटान का मामला सामने आने से स्थितियां और पेचीदा हो गयी हैं। पिछले दिनों इसी जनेड़घाट के होटल में कालर्गल मामला भी सामने आया था। इस मामले में पुलिस ने कुछ कारवाई भी की थी। लेकिन इस कारवाई में क्या निकला है यह चर्चा में नही आ पाया है। बल्कि एक तरह से इस मामलें को दबा दिया गया है। इसके लिये यह चर्चा है कि जिस होटल की चर्चा उठी थी कि उसके साथ सांसद कश्यप के भाई जुड रहे हैं और होटल की ज़मीन भी शायद कश्यप सेे ही ली गयी है।
इस पूरे प्रकरण में महत्वपूर्ण यह है कि इस कालर्गल प्रकरण पर सांसद की ओर से कभी कोई प्रतिक्रिया नही आयी है। बल्कि अब जब इसी क्षेत्र से पेड़ों के कटान का मामला सामने आया है उस पर भी सांसद सहित किसी भी भाजपा नेता की प्रतिक्रिया नही है। इस परिदृश्य में यह दोनों मामलें अनचाहे ही कांग्रेस के हाथ लग गये हैं और वह आने वाले लोकसभा चुनावों में इन्हें उछालेगी यह तय है।