शिमला/शैल। प्रदेश में कार्यरत 2200 अंशकालिक पटवारी सहायकों को पिछले दस माह सेे वेतन नही मिला है। यह बात इन्होने शिमला में आयोजित अपने एक सम्मलेन में कही है। इस सम्मेलन में इन्होंने प्रदेश स्तरीय यूनियन का गठन करकेे सरकार से अपने लिये न्याय की मांग की है। इन लोगों ने आरोप लगाया है कि उनसे 8 घण्टे से भी ज्यादा काम लिया जाता है। पटवारी स्तर का हर कार्य इनसे करवाया जाता है। किसी भी तरह की कोई छुट्टी और मैडिकल आदि की भी सुविधा नही दी जाती है। इन्हे केवल 3000 रूपये वेतन दिया जाता है और वह भी समय पर नहीं मिलता। इन लोगों ने मांग की हैं कि इनके लिये काॅन्ट्रैक्ट पाॅलिसी बनायी जाये।
इन अंशकालिक पटवारी सहायकों को दस माह सेे वेतन न दिये जाने से पूर्व और वर्तमान दोनों सरकारों और पूरे प्रशासनिक तन्त्र पर कई गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं। सबसे पहलेे तो यह सवाल आता है कि प्रदेश में पटवारियों की नियमित भर्ती कई बार रद्द होती रही है। इसके कारण आज एक-एक पटवारी के पास दो-दो पटवार सर्कलों की जिम्मेदारी हैं कहीं-कहीं यह दो से भी अधिक की है। मोदी सरकार ने देशभर के राजस्व रिकार्ड को 1954 से लेकर वर्तमान समय तक आधार से लिंक करने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह काम समयबद्ध सीमा में होना है। राज्य सरकारों को इस आश्य के निर्देश बहुत पहले जारी हो चुके हैं। इस संबन्ध में प्रदेश के निदेशक लैण्ड रिकार्ड और कुछ अन्य दिल्ली में ट्रैंनिंग भी ले चुके हैं लेकिन शायद अब इनमें से कुछ का तबादला भी हो चुका है। भारत सरकार का कार्यक्रम में ऐसे समयबद्ध तरीके से कैसे पूरा होगा यह सवाल अलग से खड़ा रह जाता है।
इसी के साथ यह सवाल भी सामने आता है कि प्रदेश उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक यह स्पष्ट निर्देश दे चुका है कि समान कार्य के लिये समान वेतन दिया जाना चाहिए। इस नाते जब इन अंशकालिकों से 8 घन्टे काम लिया जा रहा है तो फिर इन्हें वेतन के रूप में तीन हजार ही क्यों दिये जा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय यह भी स्पष्ट कर चुका है कि रैगुलर नियुक्ति के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार से की गयी नियुक्ति चोर दरवाजे की एंट्री है जिसे कानून जायज़ नही ठहराया जा सकता और इसके आधार पर कर्मचारियों के साथ उन्हे मिलने वाले वेतन आदि सेवा लाभों में कोई भेदभाव नही किया जा सकता। इस नाते यह अंशकालिक नियुक्तियां अपने में ही एक अलग प्रश्न हो जाती है।
अभी सरकार ने पूर्ण राज्यत्व दिवस पर कर्मचारियों और पैन्शनरों को लाभ दिये हैं। क्या इन अंशकालिकों को भी यह लाभ मिल पायेंगे? यही नहीं इस समय वित्त विभाग के पास विभिन्न विभागों के सैंकड़ों कर्मचारियों के अनुकम्पा के आधार पर नौकरी पाने के मामले लम्बेे अरसे से लंबित पड़े हैं। अब सरकार ने 500 करोड़ का कर्ज लिया है। फिर वित्त विभाग के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र ने कर्मचारियों को वित्तिय लाभ देने के लिये 700 करोड़ रूपये विशेष तौर पर अलग से सुरक्षित रखे हुए थे। अब इसी पैसे से कर्मचारियों को यह लाभ दिया गया है। ऐसे में अनुकम्पा के आधार पर नौकरी पाने के इन्तजार में जो सैंकड़ो कर्मचारी बैठे हैं क्या उन्हे यह सरकार अभी लाभ दे पायेगी या वित्त विभाग इस फैसले को अभी और लटकाये रखेगा यह सवाल भी उठने लगा है।