घातक होगी राजनीति में बढ़ती असहनशीलता

Created on Tuesday, 28 August 2018 05:57
Written by Shail Samachar

अभी पिछले दिनों लंदन में खालिस्तान समर्थकों की एक रैली हुई और आयोजन के लिये वहां की सरकार ने वाकायदा अनुमति दी थी। लेकिन आयोजन के बाद वहां की सरकार ने इस रैली से अपना पल्ला झाड़ लिया है। खालिस्तान समर्थकों की रैली होने का भारत के संद्धर्भ में क्या अर्थ होता है शायद इसे समझने की जरूरत नही है। इस रैली के बाद भारत रत्न पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन हो गया। इस निधन पर पूरा देश शोकाकुल था। वाजपेयी जी की अन्तयेष्ठी पर कुछ नेताओं की सैल्फी तक वायरल हो गयी। इसी दौरान प्रधानमन्त्री मोदी का एम्ज़ के डाक्टरों के साथ एक फोटो फेसबुक पर वायरल हुआ। इस फोटो पर विवाद भी उठा और अन्त में यह प्रमाणित भी हो गया कि यह फोटो इस निधन के बाद का ही था। इसी बीच हिमाचल के पूर्व विधायक नीरज भारती की वाजपेयी जी को लेकर एक पोस्ट फेसबुक पर आ गयी। यह पोस्ट शायद कभी वाजपेयी जी की ही स्वीकारोक्ति रही है इस पोस्ट को लेकर उठे विवाद के परिणामस्वरूप नीरज भारती के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने तक की नौबत आ गयी है।
इसी दौरान पंजाब के मन्त्री पर्व क्रिकेटर सिद्धु पाकिस्तान के नव निर्वाचित प्रधानमन्त्री इमरान खान के शपथ समारोह में शामिल होने पाकिस्तान गये थे। वहां हुए समारोह के फोटो जब सामने आये तो उसमें सिद्धु पाकिस्तान के सेना प्रमुख से गले मिलते हुए देखे गये। सिद्धु के गले मिलने पर भाजपा प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने बहुत ही कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने सिद्धु की पाकिस्तान यात्रा को व्यतिगतयात्रा करार देकर पल्ला झाड़ लिया और पंजाब के मुख्यमन्त्री ने सिद्धु के गले मिलने को जायज़ नही ठहराया है। लेकिन जब प्रधानमन्त्री मोदी अचानक नवाज शरीफ के घर पंहुच गये थे और वेद प्रकाश वैदिक हाफिज सैय्द को मिले थे तब इस मिलने पर भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नही आयी थी। आज लंदन में खालिस्तान समर्थकों की एक रैली हो जाती है जिसका कालान्तर में पूरे देश पर और खासतौर पर पंजाब पर असर पड़ेगा। लेकिन इस रैली को लेकर भाजपा केन्द्र सरकार, कांग्रेस और पंजाब सरकार सब एक दम खामोश हैं। क्या इस पर इनकी प्रतिक्रिया नही आनी चाहिये थी। जब पाकिस्तान में प्रधानमन्त्री मोदी और वेद प्रकाश वैदिक के व्यक्तिगत तौर पर जाने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नही आयी तो फिर आज सिद्धु को लेकर बजरंग दल की ऐसी प्रतिक्रिया क्यों?
इसी तरह आज केरल में आपदा की स्थिति आ खड़ी हुई है। पूरा देश केरल की सहायता कर रहा है। विदेशों से लेकर केरल के लिये सहायता आयी है लेकिन इसी सहायता को लेकर एक सतपाल पोपली की फेसबुक पर पोस्ट आयी है। इस पोस्ट से इन्सानियत शर्मसार हो जाती है। इसकी जितनी निंदा की जाये वह कम है लेकिन इस पोस्ट को लेकर यह प्रतिक्रिया नही आयी है कि इसके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाये। हां कुछ लोगों ने इस प्रतिक्रिया को व्यक्त करते हुए गांधी, नेहरू परिवार को लेकर आ रही पोस्टों का जिक्र अवश्य किया है। इस समय सोशल मीडिया पर किसी भी विषय और व्यक्ति को लेकर किसी भी हद तक की नकारात्मक पोस्ट पढ़ने को मिल जाती है। सोशल मीडिया पर बढ़ती इस तरह की नाकारात्मक और फेक न्यूज को लेकर केन्द्रिय मन्त्री रविशंकर प्रसाद ने व्हाटसअप के सीईओ से मिलकर गंभीर चिन्ता व्यक्त की है। इसका परिणाम कब क्या सामने आता है इसका पता तो आने वाले समय में ही लगेगा।
लेकिन अभी जो यह कुछ सद्धर्भ हमारे सामने आये हैं उससे यही स्पष्ट होता है कि अब समाज से सहिष्णुता लगभग समाप्त हो गयी है। हमारे वैचारिक मतभेद जिस हद तक पंहुच गये हैं उससे केवल स्वार्थ की गंध आ रही है और जब यह स्वार्थ सीधे राजनीति से प्रेरित मिलता है तो इसका चेहरा और भी डरावना हो जाता है। इस समय देश बेरोज़गारी, गरीबी, मंहगाई और भ्रष्टाचार की गंभीर समस्याओं से गुजर रहा है। डालर के मुकाबले रूपये का कमजोर होना इन्ही समस्याआें का प्रतिफल है। इसी के साथ यह भी याद रखना होगा कि इन समस्याआें की जाति और धर्म केवल अमीर और गरीब ही है। इसमें हिन्दु मुस्लिम और कांग्रेस-भाजपा कहीं नही आते हैं। इन समस्याओं पर तो जो भी सत्ता पर काबिज होगा उसकी ही जवाब देही होगी। लेकिन इस जवाब देही से बचने के लिये ही सत्ता पर काबिज रहने का जुगाड़ बैठा रहे हैं। आज सिद्धु और नीरज भारती को लेकर जो विवाद, खड़ा कर दिया गया है क्या सही में उसकी कोई आवश्यकता है। मेरी नज़र में इस तरह की प्रतिक्रियाओं से तो आने वाले दिनों में और कड़वाहट बढ़ेगी। आज सभी राजनीतिक दलों ने जिस तरह से अपने -अपने आईटी प्रोकोष्ठां में हजा़रों की संख्या में अपने सक्रिय कार्यकर्ताओं को काम पर लगा रखा है उससे एक दूसरे के चरित्र हनन् और फेक न्यूज़ को ही बढ़ावा मिलता नज़र आ रहा है। क्योंकि राजनीतिक दल अपनी-अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सोच पर तो कोई भी सार्वजनिक बहस चलाने को तैयार नही हैं। 2014 भ्रष्टाचार के जिस मुद्दे पर सत्ता परिवर्तन हुआ था उस पर इन पांच वर्षों में यह कारवाई हुई है कि 1,76,000 हज़ार करोड़ के कथित 2जी स्कैम के सारे आरोपी बरी हो गये हैं। बैंक घोटालों के दोषी विदेश भाग गये हैं। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम को संशोधित करके हल्का कर दिया गया है और इसके हल्का हो जाने के बाद लोकपाल की आवश्यकता ही नही रह जाती है। 2019 का चुनाव आने वाला है और इसको लेकर कई सर्वे रिपोट आ चुकी है।हर रिपोट में भाजपा की अपने दम पर सरकार नही बन रही है। हर रिपोट प्रधानमन्त्री की लोकप्रियता में लगातार कमी आती दिखा रही है। ऐसे परिदृश्य में यह बहुत संभव है कि कुछ फर्जी मुद्दे खड़े करके जनता का ध्यान बांटने का प्रयास किया जाये और इसमें इस तरह की सोशल पोस्टों की भूमिका अग्रणी होगी। इसलिये इन पोस्टों पर प्रतिक्रिया से पहले इनकी व्यहारिकता पर विचार करना आवश्यक हो जाता है।