क्या जयराम भी मान की तर्ज पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई करेंगे

Created on Monday, 30 May 2022 07:07
Written by Shail Samachar


पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद भगवंत मान ने सबसे पहले उस सुरक्षा स्थिति का नये सिरे से आकलन किया जिसके तहत कुछ राजनेताओं और अन्य लोगों को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाई गयी थी। इस आकलन में प्रशासन द्वारा दिये गये फीडबैक के बाद यह सुरक्षा हटा ली गयी और उन लोगों के नाम भी सार्वजनिक कर दिये गये जिनकी सुरक्षा हटायी गयी थी। अब यह सुरक्षा हटाये जाने के बाद पंजाब कांग्रेस के नेता सिद्धू मूसेवाला की कुछ लोगों ने सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी है। यह हत्या निंदनीय है विपक्ष इस हत्या के लिये मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार मानते हुये उन पर भी गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर रहा है। इससे पता चलता है कि राजनीति अब नया मोड़ लेने वाली है। मेरे विचार में पंजाब सरकार से मांगी यह की जानी चाहिये कि वह दोषियों को जल्द से जल्द पकड़े यहां इस पर भी विचार किया जाना चाहिये कि संसद से लेकर विधानसभाओं तक कितने अपराधिक छवि के लोग माननीय बनकर पहुंच चुके हैं और इससे कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि हर दल ऐसे ही लोगों को अपने यहां स्थान दे रहा है। यही लोग माननीय बनकर सुरक्षा घरों में घूमते हैं जिसकी कीमत आम आदमी की सुरक्षा में कमी करके चुकायी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा दावा किया था कि वह संसद को अपराधियों से मुक्त करवायेंगे। लेकिन इस दावे के विपरीत भाजपा ने भी हर चुनाव में अपराधिक छवि के लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है क्यों? इसलिए इस हत्या के बाद अपराधिक छवि के लोगों के राजनीति में प्रवेश को लेकर एक खुली बहस आयोजित किया जाना आवश्यक है। इस हत्या से पहले पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करते हुये जिस तरह से अपने स्वास्थ्य मंत्री को न केवल पद से ही हटाया बल्कि जेल भी पहुंचा दिया। भ्रष्टाचार की जानकारी केवल मुख्यमंत्री तक ही थी। मीडिया और विपक्ष को इसकी भनक तक नहीं थी। लेकिन भगवंत मान ने इस पर पर्दा डालने की बजाय मंत्री के खिलाफ कारवायी करके देश की सारी सरकारों के लिये एक चुनौती खड़ी कर दी है। आज भ्रष्टाचार जिस तरह कैंसर की शक्ल ले चुका हैं उसके परिदृश्य में मान का कदम अति सराहनीय है। आज तक केंद्र से लेकर राज्यों तक कोई भी सरकार ऐसा नहीं कर पायी है। इसलिये मान के इस कदम से आम आदमी में आप की जो विश्वसनीयता बड़ी है उससे दूसरे राजनीतिक दलों का गणित गड़बड़ाना आवश्यक है। क्योंकि आप ने दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा दोनों को लगातार दो बार हराया है। पंजाब में भी यह दोनों दल हारे हैं। इससे आज आप भाजपा और कांग्रेस के विकल्प की शक्ल लेने लग गयी है। आप की जिन मुफ्ती योजनाओं पर अपरोक्ष में चर्चा उठाते हुये कुछ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को यहां तक कह दिया था कि यदि राज्यों को ऐसा करने से न रोका गया तो यहां भी श्रीलंका जैसे हालात हो सकते हैं। लेकिन इसी बैठक के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री ने चुनाव के परिदृश्य में कई मुफ्ती की घोषणाएं करके भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर संकट में डाल दिया। मुफ्ती की घोषणाएं केंद्र से लेकर राज्यों तक हर सरकार चुनावी लाभ के लिये कर रही है। इन्हीं मुफ्ती घोषणाओं का परिणाम महंगाई और बेरोजगारी है। इसीलिए मुफ्ती संस्कृति को बढ़ावा देने की बजाय उसकी निंदा की जानी चाहिये। आप के नेतृत्व से जब यह प्रश्न पूछा गया था कि मुफ्ती के लिये संसाधन कहां से आयेंगे तो जवाब आया था कि यदि भ्रष्टाचार पर कुछ नियंत्रण कर लिया जाये तो संसाधन स्वतः बन जायेंगे। मान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम उठाकर ‘आप’ का संदेश स्पष्ट कर दिया है। आज इसकी तुलना जयराम के प्रशासन से की जाने लगी है। जय राम के कई मंत्री और दूसरे लोग पत्र बम्बों के माध्यम से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। स्वास्थ्य निदेशक गिरफ्तार हुये। स्वास्थ्य मंत्री से विभाग ले लिया गया। आज भी एक डॉक्टर एम सी जैन ने प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुये प्रधानमंत्री तक पत्र लिखा है। डॉक्टर जैन जांच की मांग कर रहा है यहां तक कहा है कि यदि जांच में आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं तो वह कोई भी सजा भुगतने को तैयार है। यह शिकायत कोई गुमनाम नहीं है। लेकिन जयराम सरकार इस जांच के लिए तैयार नहीं हो पा रही है। बल्कि शिकायतकर्ता और उसकी शिकायत को जनता के सामने रखने वाले समाचार पत्र को भी धमकियां दी जा रही है। भ्रष्टाचार के ऐसे दर्जनों मामले प्रदेश सरकार के संज्ञान में लाये जा चुके हैं। जिन पर कोई कारवाई नहीं हो पायी है। इसलिए आज जनता को यह स्वयं फैसला करना होगा कि वह भ्रष्टाचार को कैसे आंकती है। क्या मान की तर्ज पर जयराम से भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई की मांग करेगी जनता क्योंकि जयराम का तो सिर्फ प्रशासन ही गंभीर आरोपों के घेरे में है।