क्या मोदी ‘‘राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा’’ के बाद भी शंकित है

Created on Monday, 05 February 2024 15:58
Written by Shail Samachar

राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के बाद जो कुछ बिहार झारखण्ड और चण्डीगढ़ में घटा है उसने संवेदनशील नागरिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यह सवाल उठ है कि जिस तरह से चण्डीगढ़ के मेयर का चुनाव भाजपा ने जीता है क्या उसी तरह का आचरण लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा? यह आशंका इसलिये महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि ई.वी.एम. पर हर चुनाव के बाद उठते सवाल आज वकीलों के आन्दोलन तक पहुंच गये है। उन्नीस लाख के लगभग ई.वी.एम. मशीने गायब होने का खुलासा आर.टी.आई. के माध्यम से सामने आ चुका है। ई.वी.एम. हैक हो सकती है इसका प्रमाण दिल्ली विधानसभा के पटल पर किया जा चुका है। चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय पर इस सबका कोई असर नही हो रहा है। संभव है कि इस बार ई.वी.एम. के खिलाफ उठा आन्दोलन बहुत दूर तक जाये। इस समय महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ती गरीबी पर उठते सवालों का कोई जवाब सरकार नही दे रही है। देश की आर्थिकी पर परोसे जा रहे दावों और आंकड़ों पर सवाल उठाना संभव नही रह गया है। जी.डी.पी. की बढ़ौतरी स्थिर मूल्य पर है या चालू कीमतों पर इसका कोई जवाब सरकार के पास नही है। सारे आंकड़ें बढ़ते कर्ज पर आधारित हैं। जी.डी. पी. का 80 प्रतिशत कर्ज है और यह कर्ज चुकाने के बाद क्या बचेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इतने कर्ज के बाद भी जब देश की 80 करोड़ जनता सरकार के सस्ते राशन के सहारे जिन्दा है तो इसी से प्रति व्यक्ति की बढ़ती आय का सच सामने आ जाता है। यह चित्र एक व्यवहारिक सच है जो हर चुनाव के बाद और नंगा होकर आम आदमी के सामने आता जा रहा है। यही सच आम आदमी की चिन्ता और चिन्तन का केंद्र बनता जा रहा है।
लेकिन यह भी एक प्रमाणित सच है कि रात चाहे कितनी भी काली और लम्बी क्यों न हो पर सवेरा आकर ही रहता है। इस समय सारे गंभीर प्रश्नों से ध्यान हटाने का जो प्रयोग धर्म और जातियों में आपसी टकराव खड़ा करके किया जा रहा था उसका एक चरम अभी राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के रूप में सामने आ चुका है। इस आयोजन पर शंकराचार्यों से लेकर अन्य विश्लेषको ने जो सवाल उठाये हैं उससे शायद सत्ता को कुछ झटका लगा है। इसलिये इस आयोजन के बाद राहुल गांधी के न्याय यात्रा को असफल करने के लिये हर राज्य में अड़चने पैदा करने का प्रयास किया गया है। इसी के लिये ‘‘इण्डिया’’ गठबन्धन को तोड़ने के सारे प्रयास शुरू हो गये हैं। जिस तरह से गठबन्धन के बड़े घटक दल अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस को सीटे देने के लिये तैयार नही हो रहे हैं उससे स्पष्ट हो जाता है कि चुनावों से पहले ही यह गठबन्धन दम तोड़ देगा। सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़ने की बाध्यता पर आ जायेंगे।
राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन ने हर दल को प्रभावित किया है। बल्कि हर दल में वह लोग स्पष्ट रूप से चिन्हित हो गये हैं जो धर्म की राजनीति में संघ भाजपा के जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं। ऐसे में यह और भी स्पष्ट हो जाता है कि जो राजनीतिक लोग या दल धर्म और राजनीति में ईमानदारी से अन्तर मानते हैं उन्हें बड़े जोर से यह कहना पड़ेगा की राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा का जो आयोजन हुआ है वह शुद्ध रूप से संघ भाजपा का एक राजनीतिक कार्यक्रम था। इस आयोजन के बाद भाजपा के ही अन्दर उठने वाले सवालों को लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देकर चुप करवाने का प्रयास किया गया है। लेकिन इस आयोजन के बाद जो कुछ बिहार, झारखण्ड और चण्डीगढ़ में घटा है उससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि मोदी अभी भी शंकित हैं कि क्या अकेला राम मन्दिर ही उनको सफलता दिला पायेगा? इसी शंका ने उनको ‘‘इण्डिया’’ को तोड़ने के प्रयासों में लगा दिया है। ‘‘इण्डिया’’ में नीतीश कुमार, ममता बैनर्जी, अखिलेश यादव और केजरीवाल की सीट शेयरिंग को लेकर जिस तरह का आचरण सामने आ रहा है उसका भाजपा और कांग्रेस पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर अगले अंक में आकलन किया जायेगा। लेकिन जो कुछ मोदी ने किया है वहां निश्चित रूप से उनके डर का ही प्रमाण है।