भाजपा और कांग्रेस दोनों के केंद्रीय नेतृत्व की परीक्षा होंगे यह चुनाव परिणाम

Created on Sunday, 29 September 2024 18:22
Written by Shail Samachar

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं इन चुनावों के परिणाम देश की राजनीति पर गंभीर प्रभाव डालेंगे यह तय है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने और केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के लम्बे समय बाद शीर्ष अदालत के निर्देशों की अनुपालना करते हुये यह चुनाव हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है। मुस्लिम समुदाय के प्रति भाजपा का राजनीतिक दृष्टिकोण क्या और कैसा है इसका पता इसी से चल जाता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शायद एक भी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया था और केंद्रीय मंत्री परिषद में इस समुदाय से कोई भी मंत्री नहीं है। इसी दौरान प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के बाद पूरे देश में वक्फ संपत्तियों को लेकर जो वातावरण उभरा है उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव परिणामों का देश की राजनीति पर एक दूरगामी प्रभाव पढ़ना निश्चित है। इसी तरह हरियाणा में तीन कृषि कानूनों का आना और किसान आन्दोलन के बाद उनका वापस लिया जाना तथा अब फिर उन कृषि कानूनों को भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा लागू किये जाने की मांग के साथ ही हरियाणा का चुनावी परिदृश्य रोचक हो गया है। दोनों प्रदेशों में चुनाव प्रचार के केन्द्रीय ध्रुव प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हैं।
भाजपा और संघ के रिश्ते न चाहते हुये भी पिछले लोकसभा चुनावों से जन चर्चा का विषय बन गये हैं। इन्हें जन चर्चा में लाने के लिये भाजपा अध्यक्ष ज.ेपी. नड्डा का वह ब्यान जिम्मेदार है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को संघ के मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है। तब यह उम्मीद थी की राम मंदिर की पृष्ठभूमि में भाजपा अकेले ही चुनावों में चार सौ का आंकड़ा छू लेगी। लेकिन चुनाव परिणामों ने सारा परिदृश्य ही बदल दिया। भाजपा अकेले सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं ला पायी। अब भाजपा अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में ही उलझ गयी है। इसमें भाजपा और संघ का टकराव न चाहते हुये भी सार्वजनिक चर्चा में आ गया है। ऐसे में इन दो राज्यों में हो रहे चुनाव प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के लिये अपने को प्रमाणित करने का अवसर बन गये हैं कि उनके बिना भाजपा का भविष्य सुरक्षित नहीं है। इन दोनों राज्यों में भाजपा को केवल कांग्रेस से ही चुनौती है। इस चुनौती में कांग्रेस की राज्य सरकारों की परफॉरमैन्स को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ही बड़ा मुद्दा बनाकर उछाल रहे हैं।
हिमाचल के वित्तीय संकट के परिदृश्य में कांग्रेस द्वारा चुनावों में दी गयी गारंटीयां और प्रदेश सरकार द्वारा लिये जा रहे फैसले स्वतः ही व्यवहारिक अविश्वसनीयता का शिकार होते जा रहे हैं। कर्नाटक में मुख्यमंत्री के अपने खिलाफ जांच के आदेश हो चुके हैं। मामला गंभीर है। लेकिन इसी बीच कर्नाटक की ही एक अदालत चुनावी बाण्डज़ प्रकरण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, कर्नाटक भाजपा के नेता और ई डी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से जो स्थिति निर्मित हुई है उसका वांच्छित राजनीतिक लाभ मिल पाना इतना आसान नहीं होगा। भले ही यह एफ आई आर पूरी कानूनी प्रक्रिया से गुजर कर हुई है और यह राष्ट्रीय स्तर पर एक समय इसके मायने बहुत गंभीर हो जायेंगे यह भी तय है। लेकिन यह एफ आई आर मुख्यमंत्री के अपने खिलाफ आये जांच आदेशों के बाद हुई है। इसलिये तात्कालिक रूप से इसका चुनावी परिदृश्य पर कोई बड़ा असर पढ़ने की संभावनाएं बहुत कम हैं। इस परिदृश्य में इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व पर ज्यादा प्रभाव डालेंगे। कांग्रेस शासित राज्य सरकारों की परफॉरमैन्स का यदि केंद्रीय नेतृत्व कड़ा संज्ञान लेकर कोई कारवाई नहीं करता है तो उसका असर इसके बाद आने वाले राज्यों के चुनावों पर पड़ेगा।