सरकार को बताना होगा की आत्मनिर्भरता का रोड मैप क्या है

Created on Wednesday, 05 February 2025 09:17
Written by Shail Samachar

प्रदेश का कर्ज भार एक लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है। सुक्खू सरकार ने जब दिसम्बर 2022 में सत्ता संभाली थी तब 2021-22 का कर्ज भार 64000 करोड़ के करीब था। जिस गति से यह कर्ज भार बड़ रहा है उससे यह लगता है कि इसी सरकार के कार्यकाल में यह कर्ज 1.5 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर जायेगा। इस वित्तीय परिदृश्य में मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश को 2027 में आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रहे हैं। यही नहीं 2030 में प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने का दावा कर रहे हैं। प्रदेश के वित्तीय कुप्रबंधन के लिये पूर्व की जयराम सरकार द्वारा प्रदेश की ग्रामीण जनता को मुफ्त पानी देने के लिये 125 यूनिट बिजली फ्री देने को बड़ा कारण बता रहे हैं। इसी के साथ नये संस्थान खोलने को भी एक कारण करार दे रहे हैं। यदि वित्तीय कुप्रबंधन के लिये इन मुफ्ती की योजनाओं को मुख्यमंत्री के मुताबिक एक बड़ा कारण मान लिया जाये तो यह सवाल उठता है कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान जो गारंटीयां प्रदेश की जनता को दी थी उन्हें किस श्रेणी में रखा जाना चाहिये। कांग्रेस ने 18 से 60 वर्ष की हर महिलाओं को 1500 रूपये प्रतिमाह देने का वायदा किया था। हर उपभोक्ता को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की थी। यदि मुफ्त पानी देने और 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने से प्रदेश का वित्तीय गणित बिगड़ गया है तो कांग्रेस के इन वायदों से क्या स्थिति हो जायेगी? मुख्यमंत्री जिस तरह का तर्क दे रहे हैं उससे सारी स्थिति संदेहास्पद हो जाती है। क्योंकि अब तो वित्त आयोग ने प्रदेश को मिलने वाली कर राजस्व घाटा राशि भी घटा दी है। इसमें 5500 करोड़ कम मिलेंगे। राज्यों की कर्ज लेने की सीमा को जो कोविड कॉल में जीडीपी का 5 प्रतिश्त कर दी गई थी अब उसे फिर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस तरह राज्यों को कर्ज और ग्रांट दोनों में जब कमी आयेगी तो फिर राज्य सरकार के पास वित्तीय संसाधन कहां से आएंगे यह बड़ा सवाल बन जाता है। सरकार प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर लाये श्वेत पत्र में यह सब कह चुकी है। ऐसे में जब सरकार
के पास संसाधन ही नहीं होंगे तब वह अपने में किसी भी वायदे को घोषणाओं के अतिरिक्त अमली जामा कैसे पहना पायेगी? अभी सरकार को सत्ता में आये दो वर्ष हुये हैं। इन दो वर्षों में अपने संसाधन बढ़ाने के लिये हर उपभोक्ता वस्तु पर शुल्क बढ़ाया है। अब पानी और बिजली जो पहले मुफ्त मिल रही थी उसकी पूरी कीमत वसूलनी शुरू कर दी है। इन सारे उपायों से सरकार ने 2200 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाया है। 2024-25 में प्रदेश के कुल व्यय और आय में करीब 11000 करोड़ का घाटा रहा है। हर वर्ष करीब 10 प्रतिश्त व्यय बढ़ जाता है। 2024-25 में पूंजीगत व्यय के लिये केवल 6270 करोड़ रखे गये हैं जो की 2023-24 के संशोधित अनुमानों से 8 प्रतिश्त कम है। इस तरह जो स्थितियां बनती जा रही हैं उनके मुताबिक आने वाले समय में पूंजीगत व्यय लगातार कम होता जायेगा। क्योंकि प्रतिबद्ध व्यय में 10 से 11 प्रतिश्त की वृद्धि होनी ही है। जब पूंजीगत व्यय के लिये प्रावधान कम होता जायेगा तो निश्चित रूप से सारे विकास कार्य केवल घोषणाओं तक ही सीमित रहेंगे और व्यवहार में नहीं उतर पाएंगे।
ऐसे में जब मुख्यमंत्री प्रदेश को 2027 तक आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रहे हैं तो स्वभाविक है कि सरकार तब तक अपनी आय में इतनी वृद्धि कर लेगी कि उससे आय और व्यय बराबरी पर आ जायेंगे। लेकिन ऐसा संभव कैसे होगा। क्या इसके लिये प्रतिबद्ध खर्चों में कमी की जायेगी? सबसे ज्यादा खर्च वेतन और पैन्शन पर आता है। क्या इसके लिये आगे नियमित रोजगार में कमी की जायेगी? जिस तरह बिजली बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर कर्मचारियों के पदों में कटौती की जा रही है वैसा ही सारी सरकार में होगा। इस समय कर्मचारियों के बकाये के रूप में करीब 9000 करोड़ की देनदारी है। क्या इस सबके लिये आम आदमी पर करों और शुल्क का भार बढ़ाने के अतिरिक्त और कोई साधन संभव है? क्या सारा कुछ प्राइवेट सैक्टर के हवाले करने की योजना बनाई जा रही है? क्योंकि सरकार में मंत्रियों और दूसरे राजनीतिक पदों पर हो रहे खर्चों में तो कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है। ऐसे में आम आदमी ही बचता है जिसे किसी भी नाम पर ठगा जा सकता है? जब मुफ्ती की हर घोषणा वित्तीय संतुलन को बिगाड़ देती है तो फिर कांग्रेस भी हर चुनाव के लिये ऐसी घोषणाएं क्यों करती हैं। क्या मुख्यमंत्री और उनके सलाहकार हाईकमान के सामने अपने तर्क नहीं रख पाते हैं? क्या आने वाले बजट में सरकार यह इमानदारी बरतनेे का साहस करेगी कि जो कुछ भी करों और शुल्कों में बढ़ौतरी की जानी है इसकी घोषणा बजट के रिकॉर्ड पर आयेगी या फिर आम आदमी को ठगने के लिए फिर कर मुक्त बजट देने की प्रथा निभाई जायेगी। यह बजट सरकार और पूरी पार्टी की ईमानदारी का एक दस्तावेज बनेगा यह तय है। क्योंकि अब सरकार की कथनी और करनी पर सीधे सवाल उठने का समय आ गया है। सरकार को बताना होगा कि उसका प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का रोड मैप क्या है?