ट्रंप के खुलासे पर मोदी की चुप्पी के मायने

Created on Monday, 03 March 2025 19:09
Written by Shail Samachar

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे से भारत की राजनीति में एक भूचाल की स्थिति पैदा हो गयी है। क्योंकि ट्रंप के ब्यानों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा और आर.एस.एस. सभी सवालों के घेरे में आ गये हैं। क्योंकि अमेरिका द्वारा यू.एस ड के नाम पर भारत को इक्कीस मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता चुनावों में वोटर टर्न आउट बढ़ाने के लिये दी जा रही थी। ट्रंप ने नाम लेकर कहा है कि यह सहायता उनके दोस्त नरेन्द्र मोदी को दी गयी है। यदि ट्रंप का यह ब्यान सही है तो यह माना जायेगा कि अमेरिका इस सहायता के नाम पर भारत की चुनावी राजनीति में दखल दे रहा था। भारत में ई.वी.एम. की विश्वसनीयता पर लम्बे समय से सवाल उठते आ रहे हैं। इस बार तो वोटर टर्न आउट पर भी सवाल उठे हैं। चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त सवालों के घेरे में चल रहे हैं। मामला अदालत जा पहुंचा है। इसलिये वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिये अमेरिका द्वारा आर्थिक सहायता देना एक गंभीर मुद्दा बन जाता है। विपक्ष बराबर सवाल पूछ रहा है कि इस सहायता को कैसे इस्तेमाल किया गया है। किन संस्थानों और व्यक्तियों को इस कार्य पर लगाया गया? आर.एस.एस. के भारत मे पंजीकृत न होने को लेकर आर.टी.आई. के माध्यम से विवाद खड़ा हो गया है। संघ पर इसलिये सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि नरेन्द्र मोदी 1993 तक अमेरिका के तेईस राज्यों का भ्रमण कर चुके थे और लीडरशिप ट्रेनिंग वहां से ले चुके थे जब वह एक साधारण स्वयं सेवक थे। मोदी, भाजपा और संघ पर उठते सवाल हर दिन गंभीर होते जा रहे हैं। सारे सवाल मोदी दोस्त ट्रंप के ब्यानों से उठे हैं। ट्रंप सच बोल रहे हैं या मोदी, भाजपा और संघ को प्रश्नित करने के लिये कर रहे इस पर से पर्दा मोदी और संघ, भाजपा की व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं से ही उठ सकता है। लेकिन इनकी चुप्पी इसको लगातार गंभीर बनाती जा रही है।
ट्रंप के खुलासे के बाद अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों का हथकड़ियां और बेडियो में जकड़ कर वापस भेजा जाना एक राष्ट्रीय शर्म बन गयी है। भारत इस पर अपनी कोई कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज नहीं करवा पाया है। उल्टे मोदी के मंत्रियों एस.जय शंकर और मनोहर लाल खट्टर के ब्यानों ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। ट्रंप ने अमेरिकी सहायता को बन्द किये जाने का तर्क यह दिया है कि भारत टैरिफ के माध्यम से बहुत ज्यादा कमाई कर रहा है इसलिये उसे सहायता नहीं दी जानी चाहिये। ट्रंप के इस फैसले और अदाणी प्रकरण के कारण भारत के शेयर बाजार में निराशाजनक मन्दी शुरू हो गयी है। विदेशी निवेशकों ने अपनी पूंजी निकालना शुरू कर दी है। लेकिन इस सब पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार की चुप्पी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
ट्रंप के ब्यानों का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोई जवाब न दिया जाना अपने में एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है। मोदी की यह चुप्पी भाजपा और संघ पर भी भारी पड़ेगी यह तय है। इससे आने वाले समय में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिये इस संभावित नुकसान से बचने के लिये देश में मोदी और भाजपा का कोई राजनीतिक विकल्प ही शेष न बचे इस दिशा में कुछ घटने की संभावनाएं हैं। इस समय भाजपा का विकल्प कांग्रेस और मोदी का विकल्प राहुल गांधी बनते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को कमजोर सिद्ध करने के लिये उसकी राज्य सरकारों को अस्थिर करने की रणनीति पर काम करना आसान है। क्योंकि आज कांग्रेस में एक बड़ा वर्ग संघ, भाजपा और मोदी समर्थकों का मौजूद है। यदि कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व कांग्रेस के भीतर बैठे भाजपा के संपर्कों को बाहर नहीं निकाल पाता है तो कांग्रेस अपने ही लोगों के कारण राष्ट्रीय विकल्प बनने से बाहर हो जायेगी और यह स्थिति देश के लिये घातक होगी। क्योंकि मोदी और भाजपा तो ट्रंप के आगे पहले ही जुबान बन्द करके बैठ गये हैं। यदि समय रहते इस स्थिति को न संभाला गया तो देश आर्थिक गुलामी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पायेगा।