Friday, 19 September 2025
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क्या लैण्ड सिलिंग के चलते 105 एकड़ जमीन खरीद की अनुमति दी जा सकती है इस प्रकरण में बाल्दी,सक्सेना,पालरासू की भूमिका पर उठे सवाल राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री और प्रधान न्यायाधीश तक पहुंची शिकायत राज्य सरकार की खामोशी सवालों में

शिमला/शैल। कांगड़ा जिला के योल निवासी अनूप दत्ता ने प्रदेश के तीन बड़े नौकरशाहों श्री कान्त बाल्दी, प्रबोद सक्सेना और पालरासू के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, चीफ जिस्टस आफ इण्डिया, चीफ जस्टिस हिमाचल हाईकोर्ट, महामहिम राज्यपाल और मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर को एक शिकायत भेजी है। शिकायत में इन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई से जांच करवाने की मांग की गयी है। यह सभी अधिकारी किसी न किसी समय कांगड़ा के जिलाधीश रह चुके हैं। आरोप है कि कांगड़ा में एक गैर कृषक गैर हिमाचली फैज मुर्तज़ा अली को कृषि कार्य के लिये 105 एकड़ ज़मीन खरीद की अनुमति भू -राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत गैर कानूनी तरीके से दे दी गयी है। शिकायतकर्ता का दावा है कि उसने इस जमीन का सौदा इसके असली मालिक मोहिन्द्र सिंह पुत्र महाराजा पटियाला भूपिन्द्र सिंह से किया था। लेकिन फैज अली ने अधिकारियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी से इस जमीन पर बिना किसी कानूनी दस्तावेज के अपना जबरन अधिकार का दावा कर दिया। शिकायतकर्ता ने इस बावत जिलाधीश कांगड़ा और पुलिस अधिकारियों से शिकायत की। इसको लेकर पुलिस थाना पालमपुर में एफआईआर 50/12 और पुलिस थाना धर्मशाला में एफआईआर 97/3 तथा 72/5 दर्ज हैं। इन एफआईआर की उचित जांच किये जाने की बजाये शिकायतकर्ता को ही 24-7-2002 को पुलिस थाना पालमपुर में बिना किसी केस के हवालात में बन्द कर दिया। 25-7-2002 को पंजाब पुलिस की वर्दी में आयें कुछ लोगों ने उसका अपहरण तक कर दिया। इस सबकी शिकायतें की गयी लेकिन कोई कारवाई नही की गयी।
शिकायतकर्ता के मुताबिक 6-8-2002 को पत्र संख्या त्मअ-ठथ्;10द्ध 248/ 2002 को गैर कृषक, गैर हिमाचली के नाम 105 एकड़ ज़मीन कृषि कार्य के लिये खरीदने का अनुमति पत्र तैयार किया गया। राजस्व विभाग का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों में इस खरीद की अनुमति दी गयी है। शिकायतकर्ता अनूप दत्ता का दावा है कि उसने 27 मई 2019 को एडीजीपी विजिलैन्स को और 29 जुलाई 2019 को मुख्य सचिव को इस बारे में पत्र लिखा परन्तु कोई कारवाई नही हुई। इसके बाद उसने 18-8-2019 को एक और शिकायत पत्रा भेजा। इस पत्रा पर एसपी कांगड़ा ने डीआईजी को पत्र लिखा है। इस पत्र में एसपी ने माना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गंभीर मामले उठाये गये हैं जिनका बड़े स्तर पर असर पड़ेगा इसलिये इस सबकी एक सघन जांच होनी चाहिये। एसपी कांगड़ा द्वारा डीआईजी को लिखे पत्र से यह स्पष्ट हो जाता है कि शिकायतकर्ता ने इन बड़े अधिकारियों के खिलाफ संगीन आरोप लगाये हंै और इन आरोपों की अभी तक कोई जांच नही हुई है। आरोपों में सच्चाई है या नही इसका पता तो जांच से ही चलेगा। यह शिकायतें भी लम्बे अरसे से चली आ रही हैं। जिन पर अब प्रार्थी को महामहिम राष्ट्रपति से लेकर शीर्ष अदालत तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर तक शिकातय पहुंची है लेकिन अभी तक कोई कारवाई न होना अपने में कई सवाल खड़े करता है।
इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम सवाल यह सामने आता है कि जब प्रदेश में लैण्ड सिलिंग एक्ट लागू किया गया था तब इसके प्रावधानों के मुताबिक एक व्यक्ति अपने पास ज्यादा से ज्यादा 101बीघे/300 कनाल ज़मीन रख सकता है। लैण्ड सिलिंग में अधिकतम भू-सीमा की छूट केवल बागीचा धारकों को दी गयी थी। जिन लोगों/किसानों/बागवानों के बागीयों की राजस्व रिकार्ड में बतौर बागीचा एन्ट्री दर्ज थी उन्हंे यह छूट हासिल थी। लेकिन ऐसा व्यक्ति जब बागीचा बेचना चाहेगा तो उसे सरकार से इसकी अनुमति लेनी होगी और तब उस पर लैण्ड सिलिंग के प्रावधान लागू होंगे। यदि कोई गैर कृषक व्यक्ति कृषि कार्य के लिये ज़मीन खरीदना चाहता है तो वह केवल चार एकड़/चालीस कनाल ही खरीद सकता है। इस प्रावधान के तहत फैज़ अली चार एकड़ से ज्यादा जमीन नही खरीद सकता है। उसे धारा 118 के तहत ऐसी अनुमति दी ही नही जा सकती थी। इसलिये यह स्वभाविक है कि यदि फैज अली को 105 एकड़ खरीद की अनुमति दी गयी है तो वह एकदम नियमों के विरूद्ध है। यदि उसने धोखाधड़ी करके 105 एकड़ पर कब्जा करने का प्रयास किया है तब उसका अपराध दोगुणा हो जाता है। इस 105 एकड़ खरीद की अनुमति किसी भी नियम के तहत दिया जाना संभव ही नही है। ऐसे में अनूप दत्ता की शिकायत से स्पष्ट हो जाता है कि या तो इन अधिकारियों को राजस्व निमयों की जानकारी ही नही थी या फिर इन्होने किन्ही निहित कारणों से यह सब होने दिया और सरकार को नुकसान पहुंचाया। अब जब यह शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्राी और सर्वोच्च न्यायालय/ प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों तक पहुंच गयी है तब इस पर किस तरह से आगे कारवाई की जाती है या एक बार फिर इस मसले को दबा दिया जाता है यह देखना रोचक होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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