Thursday, 18 September 2025
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जीभ कैंसर से पीड़ित का फोर्टिस मोहाली में सफलतापूर्वक इलाज

शिमला/शैल। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने एक जटिल जीभ पुनर्निर्माण सर्जरी के माध्यम से (स्टेज 2) दुर्लभ जीभ कैंसर से पीड़ित 40 वर्षीय रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया। डॉ. कुलदीप ठाकुर, कंसल्टेंट, हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने गर्दन के डिसेक्शन और रि कंस्ट्रक्शन के साथ-साथ जीभ और मसूड़ों का पार्शियल रिसेक्शन किया।
मरीज पिछले 10 महीनों से जीभ के एक तरफ के घाव से पीड़ित था जो ठीक नहीं हो रहा था। उन्हें बोलने में दिक्कत के साथ-साथ खाना चबाने में भी परेशानी हो रही थी। लक्षण और भी बदतर हो गये और जीभ पर एक नुकीला दांत गड़ गया। मरीज ने फोर्टिस अस्पताल मोहाली में डॉ. कुलदीप ठाकुर से संपर्क किया, जहां जीभ और गर्दन की एमआरआई से स्टेज 2 जीभ कैंसर की पुष्टि हुई, जो आस-पास के मसूड़ों को भी प्रभावित कर रहा था। व्यापक चिकित्सा जांच के बाद, रोगी की गर्दन का डिससेक्शन और रिकंस्ट्रक्शन के साथ-साथ आंशिक जीभ और मसूड़े की सर्जरी की गई। आमतौर पर ऐसे मामलों में, कैंसर सर्जन सर्जरी के बाद बोलने और निगलने में कठिनाई की आशंका जताते हैं। इस मामले में, रोगी को ऐसी किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा और सर्जरी के चार दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह ठीक है और सामान्य जीवन जी रहा है।
इस पर चर्चा करते हुए डॉ. ठाकुर ने कहा कि टयूमर ने युवा रोगी की जीभ और मसूड़ों को प्रभावित किया था। सर्जरी सफल रही और रोगी बोल और आसानी से खाना खा पा रहा है। वह आज कैंसर मुक्त और स्वस्थ जीवन जी रहा है।
डॉ. कुलदीप ठाकुर ने बताया कि उन्होने सिर और गर्दन के कैंसर के सर्जिकल प्रबंधन में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वह अब तक 1,000 से अधिक सफल सर्जरी कर चुके हैं।

राज्य ने कोविड टीकाकरण की पहली खुराक का लक्ष्य शत-प्रतिशत हासिल कियाः मुख्यमंत्री

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश ने 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को कोविड-19 टीकाकरण की पहली खुराक के शत-प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकार को बधाई दी और लोगों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करने के लिए स्वीकृति प्रदान की है। प्रधानमंत्री 6 सितंबर को राज्य के कुछ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद भी करेंगे, जिन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने में अतुलनीय कार्य किया है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शिमला से राज्य के उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों चिकित्सा अधीक्षकों, उपमंडल अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न स्थानों जैसे जिला, उपमंडल और खण्ड विकास मुख्यालयों के अलावा अन्य प्रमुख स्थानों पर 90 एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी ताकि लोग इस मेगा इवेंट में भाग ले सकें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी प्रधानमंत्री से संवाद करेंगे और इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के संबंध में अपने विचार साझा करेंगे।
जय राम ठाकुर ने सभी उपायुक्तों को टीकाकरण की पहली खुराक से शेष बचे व्यक्तियों के लिए विशेष अभियान आरम्भ करने को कहा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के बड़ा भंगाल, कुल्लू जिले के मलाणा और शिमला जिले के डोडरा क्वार जैसे दुर्गम क्षेत्रों को चिन्हित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि शेष व्यक्ति की पहचान कर टीकाकरण किया जा सके। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में असाधारण तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले कुछ चिकित्सकां, पैरा मेडिकल स्टाफ, आशा कार्यकर्ताओं या किसी अन्य अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की पहचान करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस स्थल पर कार्यक्रम की स्क्रीनिंग हो उस स्थल पर आम जनता के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि इन सभाओं में लोगों द्वारा सरकार के दिशा-निर्देशों जैसे फेस मास्क का उपयोग और सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस आयोजन को सफल बनाने के लिए स्थानीय विधायक, टीकाकृत व्यक्तियों तथा जनप्रतिनिधियों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार कांगड़ा जिले के बड़ा भंगाल क्षेत्र के शेष बचे व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए राज्य के हेलीकॉप्टर की विशेष उड़ान संचालित की जाएगी।
मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए अधिकारियों को शेष व्यक्तियों का 4 सितम्बर तक टीकाकरण करवाने के लिए विशेष अभियान आरम्भ करने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य ने टीके के शून्य अपव्यय के लक्ष्य को भी बनाए रखा है।

आईवीएफ के माध्यम से कैसे होगी सुरक्षित गर्भावस्था डॉ.पूजा मेहता (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और आईवीएफ विशेषज्ञ, फोर्टिस हॉस्पिटल ने दिये टिप्स

शिमला/शैल। एक बच्चे के मां-बाप बनने की इच्छा रखने वाले दम्पतियों के लिए आईवीएफ उपचार (ट्रीटमेंट) प्राप्त करने में महामारी को बाधा नहीं बनने देना चाहिए। ऐसे समय में जब देश के प्रत्येक 6 जोड़ों में लगभग 1 इनफर्टिनिटी के समाधान की तलाश में है, कोरोना का प्रसार उनकी कड़ी परीक्षा ले रहा है। प्रजनन संबंधी समस्याएं और आईवीएफ पहले से ही तनावपूर्ण हैं। अब, इस परिदृश्य में कोविड-19 जैसी महामारी का आ जाना सभी तैयारियों को टालने के लिए मजबूर कर सकता है। डॉ.पूजा मेहता, सीनियर कंसल्टेंट, गाइनोकॉलोजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और आईवीएफ विशेषज्ञ, फोर्टिस हॉस्पिटल, आईवीएफ सेंटर, मोहाली ने कहा कि अब दम्पतियों को कोविड वायरस के डर से अपनी खुशी को अपने से दूर करने की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने बताया कि यह दम्पतियों के लिए आश्चर्य की बात है कि क्या यह भू्रण पुनःप्राप्ति या ट्रांसफर के लिए सबसे अच्छा समय है। उसने आईवीएफ ट्रीटमेंट में देरी को गैर-जरूरी करार देते हुए इसे ना टह्वालने की सलाह दी क्योंकि प्रजनन आयु के अधिकांश रोगी आमतौर पर उच्च जोखिम वाले समूह (कोविड के उच्च जोखिम वाले समूह) में नहीं होते हैं। इसलिए, इस समय उपचार चक्र या आईवीएफ परामर्श में देरी करना आवश्यक नहीं है। प्रजनन क्षमता पर कोरोना के प्रभाव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में, प्रजनन क्षमता और कोरोनावायरस के बीच संबंध के बारे में सीमित सबूत थे। लेकिन, हम जानते हैं कि संक्रमण के कारण तेज बुखार हो सकता है, जो प्रजनन उपचार को प्रभावित कर सकता है।
एक अध्ययन ने सुझाव दिया है कि आईवीएफ साइक्लि या एग फ्रीजिंग के कारण दौरान तेज बुखार, दवाओं की अधिक आवश्यकता, प्राप्त किए गए एग की कम संख्या और लंबे समय तक साइक्लि की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोविड-19 बुखार का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
इसी तरह, उन्होंने उन सभी आशंकाओं को दूर कर दिया कि कोविड गर्भावस्था में बाधा डाल सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह देखा गया कि गर्भवती महिला में कोविड संक्रमण का जोखिम एक गैर-गर्भवती महिला की तुलना में समान ही है। इसके अलावा, कोई पर्याप्त सबूत नहीं है जो बताता है कि गर्भवती महिला अपने बच्चों को कोविड संक्रमण पारित कर सकती है। इसके अलावा, कोरोनोवायरस स्तन के दूध या एमनियोटिक तरल में मौजूद नहीं है। इन तथ्यों को देखते हुए, यह अत्यधिक संभावना नहीं है कि कोविड-19 गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है।
फोर्टिस आईवीएफ ब्लूम सेंटर में वायरस के प्रसार को कम करने के लिए अस्पताल में रोगियों की व्यक्तिगत तौर पर आने-जाने की संख्या को कम करने के लिए पूरा ध्यान रखा जा रहा हैँ अस्पताल आपके लिए एक उपचार योजना शुरू करने के लिए प्रारंभिक या फॉलोअप कंसल्टेशन के लिए टेलीमेडिसिन अप्वाइंटमेंट्स प्रदान करता है। इसके अलावा, ट्रांसमिशन जोखिम से बचने के लिए, यह स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सुझाए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है।
डॉ.पूजा ने बताया कि सेंट्रल लैबोरेट्री में एक हेपा फिल्ट्रेशन सिस्टम, एक सकारात्मक दबाव हवा से निपटने की प्रणाली, और हर समय गुणवत्ता आश्वासन और कठोर सफाई बनाए रखता है। यह भू्रण, अंडों या शुक्राणु में कोविड संक्रमण के प्रसार के जोखिम को न्यूनतम कर देता है। मरीज की सुरक्षा के लिए मुंबई, नवी मुंबई (गिरगांव और बांद्रा), नवी मुंबई, दक्षिणी दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और मोहाली में फोर्टिस आईवीएफ सेंटर्स में परिवर्तन किए गए हैं। मरीजों के इन सेंटर्स में आने की संख्या को कम करने और क्लिनिक फुटफॉल को कम करने के लिए डिजिटल कंसल्टेशन और कंसल्टेशन के रूप में वीडियो कंसल्टेशन को पेश किया गया है।
एक्सपोजर को कम करने के लिए, सेंटर घर से रक्त एकत्र करने की सर्विस भी प्रदान करते हैं। संदिग्ध वीर्य समस्याओं वाले पुरुषों में, वीर्य कलेक्शन भी घर पर भी किया जा सकता है और फिर विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में ले जाया जा सकता है। इसके साथ ही बार-बार होने वाले अल्ट्रासाउंड के लिए, हमने मरीजों को आईवीएफ क्लिनिक में बुलाने के बजाय उनके नजदीकी अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट के पास भेजना शुरू कर दिया है। वहीं प्रिसक्रिप्शन स्लिप के साथ दवाओं के होम डिलीवरी के विकल्प भी उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, कोविड-19 के लिए फोर्टिस आईवीएफ सेंटर के कर्मचारी दैनिक कार्यों एवं सावधानियों के संबंध में एक प्रश्नावली में शामिल सवालों के उत्तर भी प्राप्त करते हैं, जो ऐसे प्रश्न हैं जो संक्रमण के जोखिम को निर्धारित करते हैं। यदि उन्हें कोविड संक्रमण का संदेह है, तो उन्हें आरटी पीसीआर परीक्षण के साथ भी परीक्षण किया जाता है। सेंटर्स पर, कर्मचारी हाथ जोडकर अभिवादन करते हैं और हाथ नहीं मिलाते हैं। आगंतुकों से अनुरोध है कि वे अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें और अपने शरीर के तापमान की जांच भी करवाए।
प्रक्रिया के दौरान फेस मास्क और पीपीई को इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पहना जाता है और साथ ही मरीजों को हर समय मास्क लगाना अनिवार्य होता है। अल्ू्रावायलेट लाइट्स (जो नॉन-वर्किंग घंटों के दौरान उपयोग की जाती है) को स्थापित कर स्टरलाइजेशन की जाती है, और इसके साथ ही सभी सतहों और हवा को सुरक्षित बनाए रखने के लिए सेनेटाइज किए जाते हैं। नियमित करने के लिए नसबंदी नियमित रूप से की जाती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी दम्पतियों की कोविड सक्रीनिंग उपचार शुरू करने से पहले पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का उपयोग करके की जाती है और सभी उपचार चरणों से पहले उन्हें दोहराते हैं, जैसे कि भ्रूण ट्रांसफर या ओवम पिक अप आदि। अगर, पति या पत्नी में से किसी को कोविड पॉजिटिव पाया जाता है तो जारी साइक्लि को कैंसिल कर दिया जाता है। उन रोगियों में जहां एक आईवीएफ साइक्लि को कैंसिल किया जाता है तो अगले आईवीएफ प्रयास मे छूट दी जाती है, ताकि साइक्लि कैंसिल होने के वित्तीय नुकसान की भरपाई की जा सके।
कोरोनोवायरस से मुक्त रहने के लिए आईवीएफ से गुजरते समय ये सावधानियां बरतें:
सार्वजनिक तौर पर कहीं भी आते जाते हुए हर समय मास्क पहनें।
कम से कम 20/30 सेकंड के लिए अपने हाथों को पानी और साबुन से धोएं।
यदि साबुन उपलब्ध नहीं है, तो कम से कम 70 प्रतिशत अल्कोहल के साथ अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करें।
सफाई पोंछे या स्प्रे का उपयोग करके अक्सर छुई गई सतहों को साफ और साफ करें।
अपनी नाक और हाथों को कोहनी या टिश्यूज से ढकें न कि अपने हाथों से

स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी एग्जिट योजनाः मुख्यमंत्री

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में सामान्य स्थिति को बहाल करने, आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने तथा राज्य के कमजोर वर्गों की आर्थिक और खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 मार्च, 2020 को भारत सरकार द्वारा 21 दिनों के लिए राष्ट्रीय लाकडाउन के कारण हिमाचल प्रदेश ने भी कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए निर्धारित प्रोटोकाल का पालन किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खतरे को ध्यान में रखते हुए एग्जिट प्लान तैयार किया जाएगा एवं प्रदेश में पाए जाने वाले मामलों के अनुसार राज्य को छः जोन में विभाजित किया जाएगा, रेड जोन, 4 ओरेंज जोन और ग्रीन जोन।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य व आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि लोगों के सामान्य जीवन की सुरक्षा के लिए आपातकालीन सेवाएं दे रहे कर्मचारियों एवं चिकित्सकों की सुरक्षा के मध्यनजर सभी आवश्यक पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा ताकि इस महामारी से प्रभावी तरीके से लड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि लाकडाउन की अवधि के दौरान इस योजना के तहत प्रभावित हुए आर्थिक रूप से अत्याधिक कमजोर वर्ग के लोगों को प्रदेश की आर्थिक क्षमता के आधार पर भी सहायता देने का प्रावधान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना को तभी शुरू किया जाएगा, जब संक्रमण कम होना शुरू हो जाएगा एवं कुछ समय के अन्तराल पर नए मामले सामने आना कम जो जाएंगें।
जय राम ठाकुर ने कहा कि चिन्हित किए गए हाट स्पाट को अन्य हिस्सों से पूरी तरह से अलग किया जाएगा और भोजन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पुलिस और स्थानीय प्रशासन को सौंपी जाएगी।
सलाहकार योजना डा. बसु सूद ने कोविड-19 लाकडाउन से बाहर निकलने की योजना पर एक प्रस्तुति दी।
मुख्य सचिव अनिल खाची, पुलिस महानिदेशक एस.आर. मरडी, अतिक्ति मुख्य सचिव मनोज कुमार और आर.डी. धीमान, प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुंडू और सचिव वित्त अक्षय सूद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
 

टाण्डा में उपचाराधीन कोविड-19 के दो में से एक व्यक्ति की रिपोर्ट हो चुकी है नेगेटिव

शिमला/शैल।अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक प्रदेश में कुल 2409 लोग दूसरे देशों से आए हैं और जिनमें से 688 लोगों ने 28 दिन की जरूरी निगरानी अवधि को पूरा कर लिया है एवं 1476 लोग अभी भी निगरानी में हैं। इसमें 179 लोग प्रदेश छोड़कर भी जा चुके हैं। आज प्रदेश में 17 लोगों के कोविड-19 के प्रति जांच के नमूने लिए गए थें तथा सभी की जांच रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई है। अब तक कुल 150 लोगों के जांच की जा चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि जो पूर्व में दो व्यक्ति कोविड-19 के प्रति पोजिटिव पाए जाने के उपरान्त Dr. RPGMC टाण्डा में उपचाराधीन हैं उनमें से एक की रिपोर्ट कोविड-19 के प्रति नेगेटिव हो चुकी है। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि IT विभाग हि0प्र0, स्वास्थ्य विभाग के लिए एक नई वेब एप्लीकेशन बना रहा है जिसमें सभी गृह निगरानी में रखे गए लोगों की जानकारी उपलब्ध होगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने बताया कि प्रदेश स्वास्थ्य विभाग इस वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए वृह्द सूचना, शिक्षा एवं सम्प्रेषण गतिविधियाँ संचालित कर रहा है, जिसके माध्यम से जनसाधारण को विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुपालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि कोविड-19 के संक्रमण को रोका जा सके।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने जनसाधारण से आह्वान किया कि वे व्यर्थ में मास्क और हैण्ड सैनिटाईजर खरीद कर अपनी आर्थिकी पर बोझ ना डालें बल्कि अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान दें, साबुन से समय-समय पर हाथ धोतें रहें, छींकनें और खाँसनें के दौरान शिष्टाचार का पालन करें। यह आवश्यक नहीं कि आपको हैण्ड सैनिटाईजर लेना आवश्यक है, यदि यह उपलब्ध ना भी हों तो भी हम साबुन से सही तरह अपने हाथ धोने की आदत अपना कर इस रोग के संक्रमण से बच सकते हैं। यदि आपको खाँसी या बुखार है तो किसी के सम्पर्क में ना आएं, सार्वजनिक स्थानों पर ना थूँके, अगर आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से सम्पर्क करें। यह जरूरी नहीं कि खाँसी या बुखार केवल कोराना वायरस के ही लक्षण हों, ये किसी अन्य बिमारी के भी लक्षण हो सकतें है, इसलिए कोरोना वायरस की सही जानकारी एवं सुरक्षा के दिशानिर्देशांे का सजगता से पालन कर आप स्वयं व दूसरों को इसके संक्रमण के प्रभाव से सुरक्षित रख सकते है। इसलिए यह भी पुनः अनुरोध किया की क्फर्यू की ढ़ील के दौरान भी अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें एवं कोविड-19 के संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सहयोग दें। यदि किसी कारणवश घर से बाहर जाना भी पडता है तो अपने बचाव के लिए सजग एवं सतर्क रहें।

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