शिमला। तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। इस का पेड़ कई शुभता लाता है।
बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।
अगर किसी की शवयात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।
वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।
चार, पांच, छः या सात पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।
बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्रा से पापों का नाश होता है।
बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं।
बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेलपत्रा चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं।
बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
यूं तो पेट खराब होने की समस्या बारहों मास कभी भी हो सकती है लेकिन गर्मियों के दिनों में खासतौर पर सावधान रहने की ज़रूरत होती है। चुभती गरमी में पेट में अफरा-तफरी मचाने वाले छोटे से बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोआ भी शेर बन जाते हैं।
रसोईघर में खाना बनाते हुए या खानपान में जरा सी चूक होते ही ये निर्दयी सूक्ष्मजीवी भोजन या पानी के साथ पेट में पहुंचकर आँतों में सूजन पैदा कर देते हैं और खलबली मचा देते हैं।
कुछ छोटी-छोटी सावधानियाँ बरतकर गैस्ट्रोएंट्राइटिस के इस प्रकोप से साफ बच सकते है। व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति सजग रहें और रसोईघर में इस ओर ध्यान दें। इसका परिवार के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है। आटा गूंथने, सब्जी काटने, थाली में सलाद सजाने से पहले हाथ साबुन और पानी से अवश्य धो लें, वरना हाथों की त्वचा पर चिपके बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोआ भोजन को दूषित कर कभी भी पेट में खलबली मचा सकते हैं।
फोड़े-फुंसी होने पर रसोई न बनाएं
यदि हाथों या बदन के किसी हिस्से में फोड़े-फुंसी या संक्रमित घाव हैं, गले में खराश है, या शरीर के किसी दूसरे हिस्से में कोई ऐसा संक्रमण है जिसके सूक्ष्मजीव भोजन को संक्रमित कर सकते हैं तो अच्छा होगा कि आप रसोईघर से दूर ही रहें। ऐसे में कई तरह के बैक्टीरिया का हमला होने का अच्छा-खासा खतरा रहता है।
स्वच्छ बर्तन ही भले
जिन बर्तनों में खाना बनाएं, परोसें और भोग लगाएं, उनकी स्वच्छता पर पूरा ध्यान दें। प्लेट, कटोरी, चम्मच ठीक से धुले होने चाहिए और उन्हें मेज पर सजाने से पहले किसी साफ कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। अलमारी से क्रॉकरी निकालकर सीधे इस्तेमाल करने की बजाय साबुन से धो लें। बहुत संभव है उसे काकरोचों ने दूषित कर दिया हो।
गंदे पलटे औऱ गूंजे का प्रयोग न करें
रसोई में इस्तेमाल होने वाले पलटा और बर्तन मांजने में काम आने वाला गूंजा भी साफ-सुथरा होना जरूरी है। उन पर रह गई जूठन पर बैक्टीरिया,वायरस और प्रोटोजोआ की पेट पलता है और उनके प्रयोग से पेट गड़बड़ हो सकता है। जैसे रोजाना नहा-धोकर हम स्वयं नए कपड़े धारण करते हैं,वैसे ही,रसोई में भी हर दिन साफ-सुथरा धुला हुआ बर्तन प्रयोग में लाएं। इस्तेमाल हुए पलटे और गूंजे को गर्म पानी और साबुन में धोएँ।
सेवफल व सलाद धोकर खाएं
सेवफल,सलाद और शाक-सब्जियां खाना अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है,पर उन्हें गले से नीचे उतारने से पहले अच्छी तरह से धोना न भूलें। उऩ पर कई प्रकार के सूक्ष्मजीवियों का डेरा हो सकता है। चाहे कहीं भी जाएं,पानी की बोतल साथ ले जाएं। अतिसार की समस्या दूषित पेयजल के कारण होती है।
डिब्बाबंद चीज़ों पर रखें नज़र
टूटे हुए जार में संग्रहित खाद्य पदार्थ सुरक्षित नहीं रह सकते। कोई भी तरल पदार्थ,जो दूधिया हो जाए,या कोई भी बोतल या जार जिसे खोलने पर बास आए,उसे प्रयोग न करें।
भोजन खुला न छोड़ें
भोजन को कभी खुला न छोडें ख़ाने-पीने की चीजों को कभी खुला न छोडें। वरना मक्खियां, कोकरौच, चूहे उन्हें दूषित कर सकते हैं। बोतल या कैन्स से मुंह लगाकर पीने में भी यह पूरा खतरा रहता है। हो सकता है कि वे पहले से ही दूषित हों। बेहतर होगा कि पेय को किसी साफ गिलास में लेकर ही उसका लुत्फ उठाएं। संदेहास्पद चीजें चखना ठीक नहीं, किसी चीज से हल्की सी भी बास आए, फल-सब्जी दगीले हो गए हों या अंडा टूटा हुआ हो तो उसे फेंकने में ही भलाई है।
दूध, पनीर या कच्चा मांस बहुत जल्दी संक्रमित हो सकते हैं इसलिए बासी होने पर उन्हें फेंक देना चाहिए। बासी खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोआ का डेरा हो सकता है, बल्कि खतरनाक जैविक विष भी उपस्थित हो सकते हैं। पके हुए भोजन को देर तक कमरे के तापमान पर छोड़ना ठीक नहीं। इससे उसके दूषित होने की आशंका बढ़ जाती है। कोई चीज जरा भी संदेहास्पद दिखे तो उसे चखे नहीं, बल्कि तुरंत फेंक दें.
अंग्रेजी में एक कहावत है एन एप्पल इन ए डे कीप्स डॉक्टर अवे। यानी प्रति दिन एक कब खाने से बीमारी को दूर रखा जा सकता है। हर दिन एक सेब खाने से कमर की चर्बी बढ़ने की संभावना भी करीब 21 प्रतिशत तक कम हो जाती है। सेब में विटामिन ए व सी, कैल्शियम, पोटेशियम और फाइबर बहुतायत में होता है। ये वे पोषक तत्व हैं जो हमें सेहतमंद बनाते हैं।
इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स छिपे हैं। लाल सेब में तो सेब की अन्य प्रजातियों की तुलना में सबसे ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। इस वजह से लाल सेब कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और पार्किंसन व अल्जाइमर जैसी बीमारी में बहुत लाभकारी रहता है।
लाल सेब में उपस्थित फ्लैवोनॉइड तत्व एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
इससे दिमाग की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं। इसमें प्रोटीन-विटामिन की संतुलित मात्रा और कैलोरी कम होती है जिससे यह हार्ट को हेल्दी रखने में सहायक है। हाई ब्लडप्रैशर के कारण जो लोग नमक का सेवन कम करते हैं उनके लिए सेब सुरक्षित और लाभकारी है क्योंकि सेब में सोडियम की मात्रा नहीं के बराबर होती है। सेब का छिल्का या तो कैंसर सेल्स को खत्म कर देता है या उनका बढ़ना को रोक देता है।