Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home देश बिन्दल की ताजपोशी के बाद बदलते भाजपा के समीकरण

ShareThis for Joomla!

बिन्दल की ताजपोशी के बाद बदलते भाजपा के समीकरण

शिमला/शैल। अन्ततः डा. राजीव बिन्दल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बन ही गये हैं और उन्होंने इसके लिये प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। बिन्दल के बनने मे ‘अन्ततः, ही’ इसलिये लग रहा है क्योंकि तीन बार इस चुनाव की तारीखें आगे बढ़ाई गयीं। जो नाम अध्यक्ष पद की रेस में सामने आ रहे थे उनमें शुरू मे तो उनका नाम कहीं आ ही नही रहा था। बिलासपुर से तीन तीन नाम उछल रहे थे। अन्त में जब धूमल का नाम उछला तब इसके साथ बिन्दल और इन्दु गोस्वामी के नाम भी चर्चा में आ गये। जब बिन्दल बन गये तब उनके समारोह में धमूल और शान्ता शामिल नही हो पाये। दोनो के लिखित सन्देश ही कार्यकर्ताओं को पढ़कर सुनाये गये। लेकिन पोखरियाल के साथ ताजपोशी में शामिल हुए परन्तु इस अवसर में अनुराग का मुख्यमन्त्री से ‘‘हाथ मिलाना या ना मिलाना’’ जिस तरह विवादित समाचार बन गया और उस पर यह स्पष्टीकरण देना पड़ गया कि ‘‘वायरल हुआ फोटो एडिट किया गया है’’ इससे इन बदलते समीकरणों की आहट साफ सुनाई देती है। इस आहट को नव निर्वाचित अध्यक्ष बिन्दल की इस चेतावनी ने कि मामले पर एफआईआर दर्ज करवायी जा सकती है और मुखर कर दिया है।
अनुराग का ‘‘हाथ मिलाना या न मिलाना’’ भाजपा का अन्दरूनी मामला है और इसके एडिट होकर वायरल होने के स्पष्टीकरण से यह अपने में यहीं पर ही समाप्त भी हो जाता है। लेकिन इसको लेकर सोशल मीडिया के मंचो पर आयी प्रतिक्रियाओं में जिस तरह से इसे अनुराग की बद दिमागी कहा तथा उनको यह प्रोटोकाॅल समझाया गया कि केन्द्र के राज्य मन्त्री का पद मुख्यमन्त्री से छोटा होता है, से यह स्पष्ट हो जाता है कि बिन्दल का ताजपोशी से निश्चित रूप से भाजपा के भीतरी समीकरणों में एक बहुत बड़ी उथल पुथल शुरू हो गयी है। हाथ मिलाना अन्दररूनी मामला था और इस समारोह में पार्टी कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त दूसरे लोगों के नाम पर केवल मीडिया के ही लोग थे। फोटो एडिट होकर वायरल होना या तो पार्टी के ही लोगों का काम है या मीडिया के उन लोगों का जो सत्ता के नज़दीक हैं फिर अनुराग को अपरोक्ष में चेतावनी देने वाली पोस्टें भी उन्ही लोगों से आयी हैं जो अपने को मुख्यमन्त्री का नजदीकी और सलाहकार होने का दम भरते हैं। इसलिये यह विवाद जो पहले ही दिन खड़ा हो गया यह सुनियोजित था या अचानक घट गया यह खुलासा होने में अभी समय लगेगा। क्योंकि इसी के साथ पूर्व में घट चुके बहुत सारे प्रकरण फिर से चर्चा में आ गये हैं। धर्मशाला में आयोजित हुई इन्वैस्टर मीट के दौरान यहां के क्रिकेट स्टेडियम का जिक्र तक न होना और उसके बाद जब अनुराग मण्डी जाते हैं तो वहां के कार्यकर्ताओं को शिमला बुला लेना तथा शिमला आने पर मुख्यमन्त्री का मण्डी चले जाना एकदम फिर सामने आ गये हैं क्योंकि जंजैहली के एसडीएम आफिस प्रकरण में धूमल जयराम के रिश्तो में कड़वाहट तब जगजाहिर हो गयी थी जब धूमल को यह कहना पड़ गया था कि सरकार चाहे तो सीआईडी से जांच करवा सकती है।
अब बिन्दल के पार्टी अध्यक्ष बनने से नये विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव अनिवार्य हो जाता है और इसी के साथ मन्त्रीयों के खाली चले आ रहे दोनो पदों को भी आगे टालना संभव नहीं होगा। इन सारी नियुक्तियों में अब बिन्दल, जयराम, अनुराग और इन सबसे उपर नड्डा की राय की  भूमिका रहेगी। जब सरकार बनी थी तब जयराम और नड्डा बराबर की रेस में थे मुख्यमन्त्री बनने के लिये। लेकिन उसी रेस मे बिन्दल भी शामिल थे बल्कि उनका बाबा ‘‘राम रहिम’’ से आशीर्वाद लेना भी इसी कड़ी में जोड़ कर देखा गया था। यदि बिन्दल के खिलाफ सोलन वाला लंबित न होता तो उनको रोक पाना आसान नही होता। राजनीतिक विश्लेष्कों की नजर में सोफत का भाजपा में शामिल होना भी बिन्दल पर नजर रखने के रूप में देखा जा रहा है। सोफत और बिन्दल के रिश्ते अपरोक्ष में अदालत तक पहुंचे हुए हैं और अभी तब लंबित चल रहे है। इन्ही मामलों के चलते बिन्दल को एक समय मन्त्री पद छोड़ने की स्थिति पैदा हो गयी थी। तब धूमल पूरी तरह बिन्दल के साथ खड़े थे आज बदले परिवेश में बिन्दल को नड्डा का प्रतिनिधि माना जा रहा है। नड्डा इस समय पार्टी के शिखर पर हैं लेकिन कल को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद नड्डा को अपना कद मोदी -शाह से भी ऊपर ले जाना होगा अन्यथा इस पारी के बाद या तो केन्द्र में दूसरे तीसरे स्थान या फिर प्रदेश के पहले स्थान में से किसी एक का विकल्प चुनना होगा। इस परिदृश्य में यह आवश्यक हो जाता है कि आज प्रदेश के संद्धर्भ में नड्डा, बिन्दल के माध्यम से आप्रेट करेंगे क्योंकि इन दोनों के पास अनुराग की अपेक्षा कम समय उपलब्ध रहेगा। इस समय देश में जो राजनीतिक वातावरण बनता जा रहा है उसमें राजनीतिक अस्थिरता लगातार बढ़ती जा रही है और दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद इसमें तेजी आयेगी जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव प्रदेश पर पड़ेगा। क्योंकि अभी से पार्टी के भीतर संघ और गैर संघ की लाईनो पर लाभबन्दी के संकेत उभरने शुरू हो गये हैं।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search