अभी विधानसभा के सत्र में बेरोज़गारों और आऊटसोर्स के माध्यम से पिछले दरवाज़े से मैरिट को नज़रअन्दाज करके भर्तियां करने के आरोप सरकार पर लगे हैं। विपक्ष ने यह आरोप लगाया है कि आऊटसोर्स के माध्यम से प्रदेश में आठ हज़ार लोगों की भर्ती की गयी है और उसमें से पांच हज़ार लोग मुख्यमन्त्री और जल शक्ति मन्त्री के चुनाव क्षेत्रों से ही भर्ती कर लिये गये हैं। क्या अनुराग इस आरोप की जांच का आश्वासन दे पायेंगे या इस मुद्दे को प्रधानमन्त्री तक भी पहुंचाने का वायदा कर पायेंगे। प्रचार प्रसार पर हुए खर्च की जानकारी विधानसभा से ही छुपायी जा रही है। सरकारी धन को ऐच्छिकता से खर्च किया जा रहा है। क्या अनुराग ठाकुर इसका भी जवाब दे पायेंगे। भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान हटाने के लिये आईपीसी की धारा 505(2) के तहत मामला दर्ज किया जाना कैसे उचित है क्या इसका जवाब यात्रा में आ पायेगा।
आज प्रदेश कर्ज में इतना डूब चुका है कि सारा भविष्य दाव पर लग गया है। बजट सत्र में कांग्रेस विधायिका आशा कुमारी ने तीन वर्षो में प्रतिवर्ष सरकार की कुल आय और खर्च का ब्यौरा मांगा था। इसमें जो जवाब सदन के पटल पर रखा गया है उसके मुताबिक आय और व्यय में करीब 28000 करोड़ का अन्तर है। स्वभाविक है इस अन्तर को पाटने के लिये या तो कर्ज का सहारा लिया गया या फिर इतने कार्यों को अंजाम ही नहीं दिया गया। शिक्षा विभाग में शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। जितने प्रतिवर्ष सेवानिवृत होते हैं उतने भी नहीं भरे जाते हैं। मंहगाई चरम पर है और यही स्थिति बेरोज़गारी की है। इस परिदृश्य में जब पार्टी उपचुनावों का सामना करेगी तो जनता का सहयोग क्या मिलेगा इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। 2014 से 2019 तक हर चुनाव में स्व. वीरभद्र सिंह पर लगे आरोपों को भुनाया गया था। परन्तु आज उनकी मौत के बाद सारा परिदृश्य बदल गया है। आज जन सहानुभूति उनके साथ है। यह धारणा बन चुकी है कि उनके खिलाफ आधार हीन मामले बनाये गये और लटका कर रखने की नीति पर चलते रहे हैं। ऐसे में क्या अनुराग सरकार की असफलताओं पर जनता से आशीर्वाद मांग पायेंगे।