Friday, 19 September 2025
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आपको प्रमाणित करना होगा कि आप संपत्ति के मालिक हैं

सरकार के प्रस्तावित लैण्ड टाइटल एक्ट से ऊभरी आशंका
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भू अधिग्रहण प्रक्रिया सरल करने के लिए लाया जा रहा है यह एक्ट
विवाद की स्थिति में अदालत नहीं ट्रिब्यूनल में जाना होगा
वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन है योजना

लैण्ड टाइटल एक्ट के परिदृश्य में

शिमला/शैल। मोदी सरकार अब लैण्ड टाइटल एक्ट लाने जा रही है। नीति आयोग ने इस प्रस्तावित एक्ट का ड्रॉफ्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया है। केंद्र ने यह ड्राफ्ट राज्य सरकारों को भेजकर इस पर उनकी आपतियां और सुझाव आमंत्रित किये हैं क्योंकि लैण्ड राज्यों का विषय है। यदि राज्य सरकार तय समय सीमा के भीतर अपनी प्रतिक्रियायें केंद्र को नहीं भेजती हैं तो इसे उनकी सहमति मान लिया जायेगा। इसके बाद केंद्र कृषि कानूनों की तर्ज पर एक अध्यादेश जारी करके इसे लागू कर देगा। कुछ राज्यों की सहमति आने के बाद केंद्र इसे संसद में पारित करवा लेगा। राज्य सरकारों के पास नीति आयोग का ड्राफ्ट आ चुका है। हिमाचल सरकार को भी 68 धाराओं वाले इस एक्ट का ड्राफ्ट तीन सौ अनुलगकों के साथ मिल चुका है। लेकिन हिमाचल सरकार ने इसे जनता की जानकारी में नहीं लाया है। जनता से उसकी प्रतिक्रियाएं नहीं मांगी गयी हैं। वन नेंशन वन रजिस्टेशन के नाम पर यह एक्ट लाया जा रहा है। माना जा रहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम में जिस तरह से व्यक्ति को अपनी नागरिकता प्रमाणित करने की वस्तु स्थिति पैदा हो गयी थी उसी तरह व्यक्ति को अपनी अचल संपत्ति का स्वामित्व प्रमाणित करने की स्थिति आ जायेगी।
इस एक्ट के आने से नीति आयोग के ड्राफ्ट के मुताबिक इससे राज्य सरकारों को यह अधिकार मिल जायेगा will provide state governments power to order for establishment, administration and management of a system of title registration of immovable properties नीति आयोग के मुताबिक यह एक्ट आने से इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण और उसमें मुआवजा देने की प्रतिक्रिया सरल हो जायेगी। इस समय राज्य सरकार राष्ट्रीय उच्च मार्ग, ट्रेन रेलवे ट्रैक, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, विद्युत उत्पादन और संचारण ऑयल और गैस पाइपलाइन टेलीकॉम खनिज व खाने आदि को निजी क्षेत्र को देने की योजना बना चुकी है। निजी क्षेत्र को इसमें अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए भूमि चाहिये। इस भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया यह एक्ट आने से सरल हो जायेगी। क्योंकि इसमें आने वाले विवाद का निपटारा करने के लिए कानूनी व्यवस्था भी बदल दी गयी है।
एक्ट में यह दावा किया गया है कि Act to provide for the establishment, administration and management of a system of conclusive property titles with title guarantee and indemnification against losses due to inaccuracies in property titles, through registration of immovable properties and further to amend the relevant Acts as stated in the Schedule. इस दावे में जिन कमियों का कवर लिया जा रहा है वैसी ही गलतियां आगे नहीं होंगी ऐसा दावा कैसे किया जा सकता है। क्या नाम लिखने में उच्चारण के कारण गलती नहीं हो सकती। इस समय सरकार यह दावा कर रही है कि 90 प्रतिशत गांव में अभिलेखों को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है। 655959 चिन्हित गांव में से 591221 गांव का रिकॉर्ड कंप्यूटर पर ला दिया गया है। क्या इसमें नाम आदि लिखने में गलती नहीं हुई होगी। नये एक्ट में तो राजस्व से संबंधित दस्तावेज पहले देखे ही नहीं जायेंगे। इसमें रजिस्ट्रेशन के नाम पर एक आईडी नंबर दे दिया जायेगा। इसमें हुई गलती को ठीक करवाने की जिम्मेदारी संपत्ति के मालिक की होगी। उसके लिए उसे संबंधित कार्यालयों के चक्कर काटने की मजबूरी हो जायेगी। सरकार यह व्यवस्था इसलिये ला रही है क्योंकि न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और यूके में ऐसा है। क्या यह व्यवस्था लाने के लिए संसद और आम आदमी के साथ एक विस्तृत बहस की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये। क्योंकि इसमें हर गांव और संपत्ति मालिक प्रभावित होगा। यदि सीधे नीति आयोग के ड्राफ्ट को एक्ट की शक्ल दे दी गयी तो एक बार फिर नागरिकता आंदोलन जैसे हालात पैदा होने की स्थिति बन जायेगी।



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