Friday, 19 September 2025
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व्यवस्था परिवर्तन के दावों का प्रशासन पर नहीं है कोई असर

  • राकेश चौधरी की शिकायत से आया यह सच सामने
  • एक वर्ष से बिल्डर के खिलाफ आयी शिकायत पर कोई कारवाई नहीं
  • रेरा ने भी नहीं लिया कोई संज्ञान

शिमला/शैल। रियल स्टेट को अनुशासित रखने के लिए रेरा गठित है। इसमें बिल्डर्स परिभाषित हैं। लेकिन रेरा के बावजूद बिल्डर सारे राजस्व नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। यहां तक जमीन जायदाद खरीद बेच के समय नियमों को अंगूठा दिखाते हुये स्टांप डयूटी की करोड़ों की चोरी के अंजाम दे रहे हैं। यह खुलासा हुआ है एक राकेश चौधरी द्वारा मंडलायुक्त शिमला को भेजी शिकायत से। राकेश चौधरी फरवरी 2022 को मंडलायुक्त शिमला के नाम बिल्डर्स इंफ्रास्ट्रक्चर डवैल्पमैन्ट सोलन के खिलाफ भेजी थी। इस शिकायत का संज्ञान लेते हुये मंडलायुक्त कार्यालय ने 26 फरवरी 2022 को इसे जिलाधीश सोलन को आगामी कारवाई के लिये भेज दिया और इसकी सूचना शिकायतकर्ता राकेश चौधरी को भी भेज दी। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पर कोई कारवाई नहीं हुई है। शिकायत के मुताबिक 18 मई 2010 को टाऊन एंड कन्ट्री पलानिंग विभाग से हाऊसिंग प्रोजेक्ट शकुनज सनसिटी के नाम से स्वीकृत करवाया। जिसमें कुल 206 फ्लैट्स बने हैं। आरोप है कि इसमें 90% फ्लैट बिना किसी वैध खरीद पंजीकरण के बने हैं। इन फ्लैट्स को बेचा भी बिना पंजीकरण के जा रहा है। यह भी आरोप है कि एक ही फ्लैट को कई-कई बार खरीदा बेचा जा रहा है। बिल्डर धारा 118 के तहत हिमाचल सरकार से फ्लैट खरीद की अनुमति लेने में भी वांछित सहयोग नहीं कर रहा है। यह सहयोग न मिलने पर खरीदार इसी बिल्डर को पुनः वह फ्लैट बेचने पर विवश हो रहे हैं। इस तरह की खरीद बेच में करोड़ों की स्टांप डयूटी की चोरी होना स्वभाविक है। खरीददार यदि कोई शिकायत करता है तो उसे बाहुबल से भी डराने का आरोप है। जब संबद्ध सरकारी तंत्र एक वर्ष तक शिकायत पर सुनवाई नहीं करेगा तो तंत्र और बिल्डर्स की सांठगांठ होने के आरोपों को स्वतः ही प्रमाणिकता मिल जाती है। क्योंकि शिकायत के मुताबिक यह प्रोजेक्ट मई 2010 में टीसीपी से अप्रूव हुआ। इसमें 206 फ्लैट्स बन गये। जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब स्वभाविक है कि 206 फ्लैट बनाने वाला बिल्डर रेरा के इन मानकों के दायरे में आया होगा। ऐसे में जब यह फ्लैट निर्माणाधीन चल रहे होंगे तब क्या किसी भी निगरान एजेंसी ने इसका निरीक्षण नहीं किया होगा। इतने बड़े निर्माण के लिये प्रदूषण की अनुमतियां भी वांछित रही होंगी। किसी बैंक से इस परियोजना को फाइनैंस भी करवाया गया होगा और उस कर्ज की भरपाई फ्लैट बेचकर ही की होगी। तब क्या इस खरीद बेच की वैधता पर सवाल नहीं उठे होंगे।
स्वभाविक है कि जिस बिल्डर के खिलाफ अब इतनी बड़ी शिकायत आ रही है उसको लेकर रेरा तक भी जानकारियां सूचनाएं पहुंची होंगी। जिस बिल्डर ने 206 फ्लैट बनाकर बेचे होंगे और उसमें वैध पंजीकरण ही न रहा होगा तो उसमें स्टांप डयूटी को लेकर सरकार को कितना नुकसान हुआ होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इस पर सारा राजस्व प्रशासन किस गति से काम कर रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन पर सत्ता परिवर्तन का कितना असर हुआ है। सरकार व्यवस्था बदलने के दावे कर रही हैं और प्रशासन पर इसका कोई असर ही नहीं हो रहा है। प्रशासन के इस कड़वे सच को समझने के लिये यह शिकायत यथास्थिति पाठकों के सामने रखी जा रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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