Friday, 19 September 2025
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वीरभद्र के बाद आनन्द चौहान पर भी हुआ फैसला रिजर्व

शिमला/बलदेव शर्मा
सीबीआई में आय से अधिक संपत्ति और ईडी में मनीलाॅंडरिंग का मामला झेल रहे वीरभद्र सिंह ने इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज हुए एफआईआर को रद्द किये जाने के लिये जो याचिका उच्च न्यायालय में दायर की थी उस पर सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिसम्बर से दिल्ली उच्च न्यायालय में इस पर फैसला रिजर्व चल रहा है। स्मरणीय है कि जब सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करके इस मामले में ट्रायल कोर्ट में चालान दायर करने के लिये उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी तब उच्च न्यायालय ने वीरभद्र की याचिका पर डे टू डे सुनवाई करके दिसम्बर में इस पर फैसला रिजर्व कर दिया था। दिसम्बर से लेकर अब तक यह फैसला रिजर्व चल रहा है। जिस सीबीआई ने इस मामले को हिमाचल उच्च न्यायालय से दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर करवाया और जांच पूरी करके चालान दायर करने की अनुमति मांगी वह इस संद्धर्भ में रिजर्व हुए फैसले की शीघ्र घोषणा के लिये क्या और कब कदम उठाती है और उच्च न्यायालय कब इस पर फैसला सुनाता है इसको लेकर अभी कोई तस्वीर साफ नहीं है। जबकि यही मामला जब ईडी में मनीलांॅडरिंग के संद्धर्भ में पहुंचा था तो ईडी ने इसमें मार्च 2016 में वीरभद्र परिवार की करीब आठ करोड़ की संपत्ति की भी अटैचमैन्ट कर रखी है।
इसी आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र के साथ उनके एलआईसी ऐजैन्ट रहे आनन्द चौहान भी सीबीआई और ईडी में सहअभियुक्त हैं। ईडी ने मनीलाॅंडरिंग के तहत अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए इसमें आनन्द चौहान को पिछले करीब आठ माह से गिरफ्तार कर रखा है। आनन्द चौहान अपनी जमानत के लिये कई बार ईडी के ट्रायलकोर्ट का दरवाजा खटखटा चूका है। ट्रायल कोर्ट से जमानत न मिलने के बाद आन्नद चौहान ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दस्तक दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका पर 15 फरवरी को फैसला रिजर्व कर दिया है। दूसरी ओर आन्नद चौहान की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उसके संद्धर्भ में चालान भी कोर्ट में पेश कर दिया है। 27 फरवरी को ट्रायल कोर्ट में इसमें आरोप तय हो जाने की संभावना है। स्मरणीय है कि जब 23 मार्च 2016 को ईडी ने वीरभद्र परिवार की आठ करोड़ की संपत्ति अटैच करने का आदेश पारित किया था। उसमें स्पष्ट लिखा था कि इस मामले में आये वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर के संद्धर्भ में अभी जांच चल रही है और उसे शीघ्र ही पूरा कर दिया जायेगा। इस मामले में जब आन्नद चौहान को लेकर चालान दायर किया था तो उसमें भी स्पष्ट कहा है कि इसमें शीघ्र ही अनुपूरक चालान दायर किया जायेगा।
अब इस मामले में ईडी अभी तक शेष बची जांच पूरी नही कर पायी है। आनन्द चौहान जेल में हैं और उसकी जमानत टलती जा रही है। उच्च न्यायालय में भी जमानत पर फैसला रिजर्व हो गया है। यदि 27 फरवरी को आनन्द के खिलाफ आरोप तय हो जाते हैं और तब तक उच्च न्यायालय का फैसला घोषित नही होता है तो पूरी स्थिति क्या र्टन लेगी इसको लेकर कानूनी हल्कोें में अलग-अलग राय है। क्योंकि वीरभद्र शुरू से ही इस मामले को सीबीआई और ईडी का मामला न मानकर आयकर का मामला करार दे रहे हैं। वीरभद्र के साथ इसमें सह अभियुक्त बने आनन्द चैहान का भी यही कहना है। इस संद्धर्भ में वीरभद्र सिह ने आयकर अपील ट्रिब्यूनल चण्डीगढ़ में वर्ष 2010-11 की आयकर रिर्टन पर विभाग के सीआईटी फैसले के खिलाफ जो अपील दायर की थी उसमें 08-12-2016 को फैसला आ चुका है। इसी में आन्नद चौहान ने भी वर्ष 2010-2011 और 2011-2012 की उनकी आयकर रिर्टनज पर विभाग के सीआईटी के फैसले को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। वीरभद्र और आनन्द चौहान की अपीलों पर एक साथ सुनवाई हुई और एक साथ फैसला आया है। दोनों की अपीलें खारिज हो गयी हैं। अपील ट्रिब्यूनल के 132 पन्ने के फैसले में पूरे मामले पर बरीकी से विचार करने के बाद कहा गया है। कि An overview of the above features indicates that the agricultural produce was not proved; transportation of the same to UAA was also not proved; bills issued by UAA were not genuine; cash received from UAA shown at Rs.1.00 crore did not appear in their books of account the expenses claimed were not backed by any vouchers/bills; and all the expenses were claimed to have been incurred on one single day and that too in cash. We fail to comprehend as to how the assessment order accepting the genuineness of carrying out the agricultural operations and earning a huge income in such circumstances can be considered as an order made after proper inquiry as has been canvassed by the assessee. It is a case of a patent non-application of mind by the AO to the facts, which were loudly calling for in-depth investigation. In our considered opinion, the Id. CTI was fully justified in settings aside the assessment order and directing the AO to frame a fresh assessment. 

The ID AR for this year has also assailed the impugned order by adopting the arguments on the legal propositions made in the case of Virbhadra Singh( HUF) namely, inadequate inquiry by the AO cannot empower the CIT to revise order; debatable issue; and CIT should have himself shown infirmity in the assessment order rather than sending the matter back to the AO. We have elaborately dealt with such issues in our order of Virbhadra Singh ( HUF) which mutatis mutandis apply to the assessee also.
In the result all the appeals are dismissed.  इस फैसले के बाद वीरभद्र द्वारा लिया जा रहा सारा आधार निरस्त हो जाता है। आयकर अपील ट्रिब्यूनल ने विभाग के ए.ओ. के खिलाफ भी काफी गंभीर टिप्पणीयां की हैं। ऐसे में ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद सीबीआई और ईडी इस प्रकरण में कैसे आगे बढ़ते हैं? इस फैसले के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला वीरभद्र की एफआईआर रद्द किये जानेे की याचिका और आनन्द चौहान की जामनत याचिका पर क्या फैसला आता है। इस पर सबकी निगाहें लगी हैं।

 

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