Friday, 19 September 2025
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पत्रकार हाऊसिंग सोसायटी को लेकर फिर उठे सवाल

शिमला/शैल। शिमला स्थित पत्रकारों सहकारी हाऊसिंग सोसायटी को लेकर 12.11.2014 को वरिष्ठ सीएम कुभंकरणी ने जो सवाल उठाये थे उनको लेकर जिलाधीश शिमला को पत्र लिखा था। इस पत्र में सोसायटी के कुछ सदस्य पत्रकारों के शपथ पत्रों की प्रमाणिकता पर सन्देह व्यक्त किया गया था। इस पत्रा पर हुई कारवाई के तहत यह मामला आगामी कारवाई के लिये 24.12.2014 को एसडीएम को भेजा गया था। इससे पहले 21.4.2011 को भी ऐसा ही एक पत्र दिनेश गुप्ता ने सहायक पंजीकार सहकारी सभाओं को भेजा था। कुंभकरणी और दिनेश गुप्ता के पत्रों पर अन्तिम रूप से क्या कारवाई हुई है इसकी कोई ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ पायी है। परन्तु पत्रकार हाऊसिंग सोसायटी के अतिरिक्त सचिवालय कर्मचारियों की हाऊसिंग सोसायटी अधिकारियों की हाऊसिंग सोसायटी विधायकों की हाऊसिंग सोसायटी और डाक्टरों की हाऊसिंग सोसायटी को लेकर भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। इन सवालों के जबाव पंजीयक सहकारी सभाओं की ओर से आने हैं। लेकिन इस समय प्रदेश में करीब पचास हजार एनजीओ सहकारिता अधिनियम के तहत पंजीकृत है। नियमों के अनुसार इन सबका आॅडिट करने की जिम्मेदारी सहकारिता विभाग की है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी तक करीब चार हजार की ही आॅडिट रिपोर्ट विभाग के पास है। पत्रकार हाऊसिंग सोसायटी को लेकर एक आरटीआई एक्टिविस्ट डा.पवन बंटा ने आरटीआई के तहत सूचना हासिल करके यह आरोप लगाया है कि यह सोसायटी लीज़ अनुबन्ध की धारा 9 और 12(बी) के प्रावधानों का खुले तौर पर उल्लंघन कर रही है। धारा नौ के तहत इसके सरकार की अुनमति के बिना इसका लैण्डयूज नहीं बदला जा सकता। धारा 12(बी) के तहत इसके सदस्यों को यह शपथ पत्र देना होता है कि शिमला में उनके अपने या अपने किसी परिजन के नाम पर कोई मकान, फलैट या प्लाॅट नहीं होना चाहिये। डा. बन्टा का आरोप है कि इस सोसायटी के करीब आधा दर्जन सदस्यों के पास शिमला में सोसायटी के गठन से पहले ही मकान, फलैट या प्लॅाट हैं और उन्होने गल्त शपथ पत्र दायर किये हैं। कुछ सदस्यों पर सोसायटी के परिसर पत्रकार बिहार से वाणिज्यिक गतिविधियां चलाने का भी आरोप है।
डा. बन्टा ने अपने आरोपों के प्रमाण भी आरटीआई के माध्यम से ही हालिस करे रखे हैं। इस संबध में जिलाधीश शिमला और पंजीयक सहकारी सभाओं को भी शिकायत भेज दी गयी है। माना जा रहा है कि यदि इन कार्यालयों की ओर से कोई कदम न उठाये गये तो मामला न्यायालय तक भी पहुंच सकता है।

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