Friday, 19 September 2025
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गुड़िया प्रकरण में सीबीआई जांच पर भी एक अभियुक्त ने उठाये सवाल

कण्डा जेल से सीबीआई कोर्ट को भेजा पत्र
शिमला/शैल। पिछले दिनों जब डीजीपी एस आर मरढ़ी कैंथु जेल में बन्द शिमला के पूर्व एसपी डी डब्लू नेगी को मिले थे। तब इस मुलाकात को लेकर एक अलग ही चर्चाओं का दौर चल पड़ा था। इस पर उठी चर्चाओं के कारण ही डीजीपी जेल सोमेश गोयल ने अधीक्षक से इस बारे में स्पष्टीकरण मांग लिया था। सूत्रों के मुताबिक जेल अधीक्षक ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि वह डीजीपी के आदेश की अवहेलना नही कर सकते थे। इसमें यह भी कहा गया है कि यह मुलाकात जेल में नही बल्कि उनके कार्यालय में अन्य लोगों के सामने हुई थी और इसमें गुप्त कुछ भी नही रहा है। इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए मरढ़ी ने भी कहा है कि उनका नेगी से मिलना नियमों के विरूद्ध नही था। नेगी का स्वास्थ्य ठीक नही चल रहा था और उनसे यह मुलाकात एक शिष्टाचारा भंेट थी क्योंकि वह पूर्व परिचित थे। जेल अधीक्षक को जवाब और मरढ़ी की प्रतिक्रिया के बाद डीजीपी जेल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही आयी है।
इस मुलाकात के बाद गुड़िया प्रकरण में जेल में बन्द जैदी समेत सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सरकार ने मुकद्दमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। परन्तु अभी तक डीडब्लू नेगी के खिलाफ चालान पेश नही हुआ है और उनके खिलाफ अभी तक अनुमति की नौबत नही आई है। लेकिन इस मुलाकात और मुकद्दमें की अनुमति दिये जाने के बाद इस प्रकरण में बन्द एक पुलिस कर्मी का सीबीआई कोर्ट को लिखा एक कथित पत्र वायरल हो गया है। वायरल हुए इस पत्र में सीबीआई जांच पर ही गंभीर सवाल उठा दिये गये हैं। आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने जानबूझकर असली गुनाहगारों को बचाया है तथा निर्देाशों को फंसाया है। पत्र लिखने वाले ने दावा किया है कि उसने सीबीआई को सारी सच्चाई बता दी थी लेकिन इसे जानबूझक नज़रअन्दाज करके उसे फंसाया जा रहा है। उसने गुड़िया मामले की जांच सीबीआई की बजाये सीआईडी या एनआईए से करवाये जाने की मांग की है। यह पत्र कण्डा जेल में बन्द एक कैदी द्वारा लिखा गया है। कण्डा जेल के अधिकारियों ने ऐसा पत्र लिखे जाने की पुष्टि करते हुए यह भी बताया कि उन्होने यह पत्र संवद्ध अधिकारियों को भेज दिया था। स्मरणीय है कि इस प्रकरण में जो पुलिस अधिकारी/कर्मी जेल में बन्द हैं उनके खिलाफ गुड़िया प्रकरण में पकडे़ गये एक कथित अभियुक्त की पुलिस कस्टड़ी में हुई मौत का मामला चल रहा है। गुड़िया की हत्या और गैंगरेप के लिये पुलिस ने जितने लोगों को पकड़ा था उन्हे इस मामले की जांच सीबीआई के पास जाने के बाद अन्ततः अदालत ने छोड़ दिया है क्योंकि उनके खिलाफ कोई चालान दायर नहीं हो पाया था। इन्ही पकड़े गये दोषीयों में से एक की पुलिस कस्टडी में हत्या हो गयी थी। इस हत्या के दोष में पुलिस अधिकारी /कर्मी कण्डा और कैंथु जेल में है। पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के लिये कौन सही में जिम्मेदार है इसे सीबीआई भी अपनी जांच में चिन्हित नही कर पायी हैं। अभी तक सभी को सामूहिक रूप से ही जिम्मेदार ठहराया गया है और कानून की दृष्टि से यही इस जांच का सबसे कमजा़ेर पक्ष है। अब जब पुलिस कस्टडी मे हुई हत्या की जांच पर ही एक कथित अभियुक्त ने सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिये हैं तो इससे यह मामला और उलझ जाता है। पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के लिये जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ अदालत में चालान दायर हो चुका है। चालान के मुताबिक कस्टडी में हुई हत्या का मकसद कथित दोषीयों से अपराध स्वीकार करवाना ही रहा है लेकिन चालान मे यह स्पष्ट नही किया गया है कि इन लोगों से गुड़िया की हत्या और रेप की स्वीकारोक्ति करवाने से किसे बचाने का प्रयास किया जा रहा था। इस रहस्य पर से सीबीआई भी पर्दा नही उठा पायी है। अब सीबीआई पर ही पक्षपात का आरोप लगने से यह मामला और पेचीदा हो गया है।
अब इस पूरे प्रकरण पर संयोगवश एक और उलझन तथा चर्चा चल पड़ी है कि अब हाईकोर्ट के खुलने के बाद सीबाआई को गुड़िया मामले में पुनः स्टेट्स रिपोर्ट अदालत में रखनी है। गुड़िया मामले में छः तारीख को एफआईआर दर्ज हुई थी और दस तारीख को ही उच्च न्यायालय ने इसे अपने संज्ञान में ले लिया था। संभवतः यह पहला मामला है जिसका अदालत ने इतना शीघ्र संज्ञान ले लिया था। लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले पर लगातार नजर रखने के बावजूद अभी तक कोई परिणाम नही निकला है। अब मरढ़ी के नेगी को मिलने के बाद अभियुक्तों  के खिलाफ मुकद्दमें की अनुमति दिये जाने और कण्डा जेल से इसी मामले में बन्द एक कथित अभियुक्त द्वारा पत्र लिखकर सीबीआई की जांच पर ही सवाल उठाना सब एक साथ घटने से इस मामले के और उलझने के संकेत मान जा रहें हैं क्योंकि जब कस्टडी में हुई हत्या की जांच पर ही सवाल खड़ा हो जायेगा तो गुड़िया का मूल मामला तो और पीछे चला जायेगा।

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