Friday, 19 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

सौरबाड़ की सब्सिडी लेने के लिये होगी पी मित्रा की जाचं

 शिमला/शैल। वीरभद्र सरकार ने वर्ष 2016-17 में मुख्यमन्त्री खेत संरक्षण योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत किसानों को अवारा पशुओं, जंगली जानवरों और बन्दरों से अपनी फलसों को बचाने के लिये सौरबाड़ लगाने के लिये प्रोत्साहित किया गया था। इसके लिये सरकार ने 60 प्रतिशत सहायता देने की घोषणा की थी। इस योजना को जयराम सरकार ने भी जारी रखा है और यह घोषणा की है कि तीन या इससे अधिक किसान सामूहिक तौर पर सोलरबाड़ लगाने का प्रस्ताव देते हैं तो सरकार 85 प्रतिशत अनुदान प्रदान करेगी। वीरभद्र ने यह योजना 25 करोड़ से शुरू की थी जिसे जयराम ने बढ़ाकर 35 करोड़ कर दिया है। इस योजना में यह नही कहा गया है कि किन किसानों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें यह शर्त भी नही रखी गयी है कि जो किसान अपने में साधन संपन्न हैं उन्हे इस योजना के तहत लाभ नही मिलेगा।

क्योंकि किसान का आकलन किसानी के लिये उसकी साधन संपन्नता के आधार पर नही किया जाता है बल्कि इसके लिये व्यवहारिक तौर पर खेत में फसल की मौजूदगी देखी जाती है। यदि एक किसान के पास चार जगह खेत हैं और चारों जगह फसल लगाई गयी है तो स्वभाविक है कि चारों स्थानों पर उसे फसल को बचाने की एक बराबर आवश्यकता रहेगी। ऐसे में वह चारों स्थानां पर यह बाड़ लगाकर फसल का बचाव करेगा। सरकार ने अपनी योजना मे यह नही कहा है कि उसे एक ही स्थान पर बाड़ लगाने का लाभ दिया जायेगा। क्योंकि जिस भी व्यक्ति के नाम पर कृषि/बागवानी योग्य ज़मीन है वह किसान बागवान की परिभाषा में आता ही है। जहां तक इसमें प्राथमिकता का प्रश्न है उसमें पहले वह लोग आयेंगे जिनकी आजीविका पूरी तरह किसानी पर ही निर्भर है। इस योजना के तहत पूर्व मंत्रा धनीराम शांडिल और पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा ने भी लाभ लिया है। इन लोगों को यह लाभ कैसे मिला है कृषि मंत्री डा. राम लाल मारकण्डेय ने सदन में इसकी जांच करवाये जाने की घोषणा की है। मन्त्री की इस घोषणा के बाद योजना के जानकारों के मुताबिक जब तक योजना में पात्राता की कोई सीमा तय नही की जाती है तब तक किसी भी किसान की यह जांच तो की जा सकती है कि उसने वास्तव में ही बाड़ लगायी है या नहीं। लेकिन बाड़ लगायी होने पर उसकी मौजूदा योजना के तहत जांच करवा पाना संभव नही होगा।
पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा को कृषि विभाग ने ठियोग के गांव कौंती में 530 मीटर परिधि की सौरबाड़ लगाने की एवज में 2 लाख 19 हजार 565 रुपए की सब्सिडी दी है। जबकि पूर्व मंत्रा धनीराम शांडिल को जिला सोलन के गांव बशील में चार मीटर परिधि की सौर बाड़ लगाने के लिए 1 लाख 90 हजार 664 रुपए की सब्सिडी दी है। यह सब्सिडी इन दोनों ने तब ली जब एक मंत्रा था दूसरा सरकारी सेवा में था।
हमीरपुर के गांव कदरयाणा की बिमला देवी को चार जगहों पर सौर बाड़ लगाने के लिए 10 लाख 32 हजार 820 रुपए की सब्सिडी दे दी हैं। इस महिला ने 0.80 हैक्टेयर, 0.95 हैक्टैयर और 1 हैक्टेयर में तीन जगह 410 मीटर परिधि की सौर बाड़ लगाई व हरेक बाड़ के लिए 2 लाख 76 हजार 724 रुपए की सब्सिडी हासिल कर ली। जबकि एक जगह 0.50 हैक्टेयर पर 270 मीटर परिधि की बाड़ लगाई व 2 लाख 2 हजार 648 रुपए की सब्सिडी हासिल कर ली।
इसी तरह एक परिवार में पिता-पुत्र व बहू ने भी बाड़बंदी की सब्सिडी हासिल कर ली है। हमीरपुर के ही नरेली गांव के मस्तराम को भी दो-दो जगह बाड़बंदी लगाने के लिए सब्सिडी दे दी गई है। हमीरपुर के नादौन के गांव सेरा के ही अनिल कुमार को दो जगह सौर बाड़ लगाने की एवज में साढे पांच लाख रुपए की सब्सिडी दे दी गई है।
सरकार की ओर से दिए जवाब में ऐसे दर्जनों परिवार हैं। सरकार के जवाब से हो रहे इन खुलासों ने इस योजना पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश में 32 से 38 लाख के करीब की आबादी सीमांत व छोटे किसानों की है जिनके पास बहुत कम जमीन है और अधिकांशतः उनकी आजीविका खेती, बागवानी व मजदूरी से ही चलती है। कायदे से यह योजना उनके लिए होनी चाहिए थी। लेकिन लाभ प्रभावशाली व अमीर तबका उठा रहा है
इस योजना के तहत 2016-17 में 25 करोड़, 2017-18 में 30 करोड़ और इस साल के लिए 35 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अब तक 687 किसानों को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जा चुका है। विधानसभा में यह प्रश्न भाजपा विधायक रमेश ध्वाला ने लिखित में पूछा था। ध्वाला ने कहा कि जहां बंदर व लंगूरों की समस्या नही हैं, वहां क्रैट (जाली दार बाड़ जो डंगों को रोकने के लिए लगाई जाती है) लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सस्ती भी पड़ेगी व प्रभावी होगी। सौर बाड़ पर अगर घास या लकड़ी गिर जाए तो कंरट आगे नही बढ़ता है। इसके अलावा इसकी बैटरियां व अन्य उपकरण चोरी होने की शिकायतें भी आ रही हैं।
पूर्व मुख्य सचिव व अब प्रदेश के चुनाव आयुक्त व पूर्व मुख्यमंत्रा के बेहद करीब रहे आईएएस अधिकारी पी मित्रा को सौर बाड़ लगाने के लिए सब्सिडी कैसे मिली इस बावत प्रदेश सरकार जांच कराएगी। कृषि मंत्री रामलाल मारकंडेय ने कहा कि उक्त अधिकारी तो इस योजना के तहत आता ही नही है। क्या हुआ होगा इसकी जांच कराई जाएगी। पूर्व मंत्री शांडिल की ओर से हासिल की गई सब्सिडी को लेकर उन्होंने कहा कि चलो वह तो फिर भी किसानी व बागवानी करते हैं। लेकिन योजना में बदलाव किया जाएगा। मारकंडय जांच करा पाते हैं या नहीं लेकिन किसानों व बागावानों के नाम पर चल रही योजनाओं का लाभ आईएएस व मंत्री व विधायक उठाए तो सवाल तो खड़े होते ही हैं। बड़ा सवाल यह है कि अभी तक विभिन्न योजनाओं के तहत मंत्रियों विधायकों आईएएस,आइपीएस,एचएएस,एचपीएस भारतीय वन सेवा व हिमाचल वन सेवा के कितने अधिकारियों ने सब्सिडी का लाभ लिया है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search