Friday, 19 September 2025
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भूमि अधिनियम धारा 118 में दीपक सानन की स्थिति‘ ‘‘औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत’’ टीडी लाभ, स्टडीलीव और अब होम स्टे गैस्ट हाऊस भी सवालों में

शिमला/शैल। प्रदेश के भू-सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत कोई भी गैर कृषक प्रदेश में जमीन नही खरीद सकता है। इसके लिये सरकार से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है। इसमें आवास के लिये पांच सौ वर्ग गज और दुकान आदि के लिये केवल तीन सौ गज जमीन ही खरीदी जा सकती है। बड़ी परियोजनाओं के लिये भी 118 के तहत ही जमीन खरीद की अनुमति मिलती है। लेकिन किस परियोजना के लिये जमीन खरीदी जा रही है इसका विवरण अनुमति के प्रार्थना पत्र में ही दर्ज रहता है। आवास, दुकान और परियोजना के लिये अलग -अलग प्रावधान परिभाषित हैं। इसमें स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति आवास के लिये 118 के तहत जमीन खरीद कर उस पर व्यवसायिक गतिविधि नही शुरू कर सकता है।
आवासीय परिसर के लिये जमीन खरीद कर उसमें अस्पताल बना लेना और वह भी सरकार की पूर्व अनुमति के बिना इस आश्य की एक शिकायत पिछले दिनों प्रदेश के सेवानिवृत पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन ने मुख्य सचिव को सौंप रखी है। शिकायत के मुताबिक बड़ोग के होटल कोरिन, शिमला के तेनजिन अस्पताल और चम्बा के लैण्डलीज़ मामलों में सारे नियमों/कानूनों को अंगूठा दिखाते हुए भारी भ्रष्टाचार हुआ है। होटल कोरिन को लेकर यह आरोप है कि पीपी कोरिन और रेणु कोरिन ने 1979/1981 में बड़ोग में होटल के लिये जमीन खरीद की अनुमति मांगी जो कि 1990 तक नही मिली। लेकिन इसी बीच होटल का निर्माण कर लिया गया और इस तरह यह मामला जमीन की अनुमति मिले बिना ही निर्माण कर लिये जाने का खड़ा हो गया। इस मामले में कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों के कार्याकाल में घपला होने का आरोप है।
इसी तरह शिमला के कुसुम्पटी स्थित होटल तेनजिन का मामला है। इसमें तेनजिन कंपनी ने 7.6.2002 को 471.55 वर्ग मीटर जमीन खरीद की अनुमति कंपनी का दफतर और आवासीय कालोनी बनाने के लिये मांगी और उसे यह अनुमति मिल गयी लेकिन कंपनी ने वहां दफतर और आवासीय कालोनी बनाने की बजाये वहां पर अस्पताल का निर्माण कर लिया और इस तरह धारा 118 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन हुआ।
दीपक सानन अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व भी रहे हैं और इस नाते यह माना जाता है कि उन्हें राजस्व नियमों की पूरी जानकारी रही है। सानन की इन शिकायतों के अनुसार आवासीय कालोनी बनाने के लिये 118 के तहत अनुमति लेकर वहां अस्पताल का निर्माण नही किया जा सकता था। इस शिकायत के साथ ही यह सवाल खड़ा हो जाता है कि जो सरकारी अधिकारी/कर्मचारी गैर कृषक और गैर हिमाचली होने के कारण यहां पर अपने आवास के लिये जमीन खरीद की अनुमति लेते हंै वह वहां पर आवास के अतिरिक्त उसका कोई अन्य उपयोग नही कर सकते हैं। ऐसा नही हो सकता कि व्यक्ति अपने आवास के लिये 118 के तहत अनुमति लेकर जमीन खरीदे और फिर उसमें दस कमरे किराये पर दे दे या वहां पर कोई गैस्ट हाऊस या होम स्टे आदि शुरू कर दे।
सानन की इन शिकायतों के बाद सानन के अपने ही खिलाफ धारा 118 के दुरूपयोग का मामला सामने आया है। सानन के कुफरी क्षेत्र में भू-सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत अनुमति लेकर अपने नीजि आवास के लिये कुफरी में जमीन खरीदी है। वहां पर उन्होंने अपने आवास के साथ ही एक गैस्ट हाऊस बना रखा है और उसमें पर्यटन विभाग से होम स्टे की अनुमति ले रखी है। लेकिन जब 118 के तहत जमीन खरीद की अनुमति ली गयी थी तब वहां पर आवास के साथ ही एक होमस्टे गैस्ट हाऊस बनाने की मंशा जाहिर नही की थी। यहां पर यह सवाल उठना स्वभाविक है कि सरकार अपने अधिकारियों/ कर्मचारियों के मकान के लिये जमीन खरीद की अनुमति सहजता से दे देती है। लेकिन क्या मकान की अनुमति लेकर उसमें गैस्ट हाऊस का निर्माण कर लेना नियमों का उल्लघंन नही है। क्योंकि यदि कोई गैस्ट हाऊस के लिये जमीन खरीद की अनुमति मांगेगा तो उसे होटल जैसी ही औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ेगी। फिर सरकार ने जो होम स्टे योजना 2008 में अधिसूचित की है उसके मुताबिक अधिक से अधिक तीन कमरे ही दिये जा सकते हैं। लेकिन दीपक सानने जो होम स्टे गैस्ट हाऊस चला रहे हैं उसमे कहीं अधिक कमरे हैं बल्कि एक तरह का होटल ही बन जाता है। इस तरह दीपक सानन ने धारा 118 के दुरूपयोग के जो आरोप दूसरों पर लगाये हैं यह होम स्टे चलाने के बाद वह स्वयं भी उन्हीं आरोपों के शिकार हो जाते हैं।
यही नहीं दीपक सानन ने इस मकान के लिये टी डी का लाभ भी लिया है। उन्होंने 4-11-2004 को टी डी के लिये आवेदन किया और 16-12-2004 को यह टी डी मिल भी गयी। जबकि भू सुधार अधिनियम की धारा 118 के तहत ज़मीन खरीद कर टी डी की पात्रता नही बनती है। सरकार के नियमो मे यह पूरी स्पष्टता के साथ परिभाषित है। इसी तरह दीपक सानन ने सेवानिवृति से एक सप्ताह पहले तक जो स्टडी लीव लाभ लिया है वह भी एकदम नियमो के विरूद्ध है। क्योंकि इसके लिये जो आवेदन उन्होंने किया है उसमें स्वयं स्वीकारा है कि स्टडी लीव समाप्त होने के बाद तीन वर्ष का कार्यकाल शेष होना चाहिये। इस आवेदन मे भी उनका तर्क यह रहा है कि सरकार ने ऐसा ही लाभ एक समय ओ पी यादव को दिया है और अब विनित चैधरी तथा उपमा चौधरी को भी यह लाभ मिला है जबकि उनके पास भी तीन वर्ष का कार्यकाल शेष नही था। दीपक सानन की जयराम सरकार में बहुत ऊंची पैठ है और इसी के चलते वह तीन-तीन कमेटीयों के सदस्य हैं। ऐसे मे क्या जयराम सरकार इस अधिकारी के खिलाफ कोई कारवाई कर पायेगी इसको लेकर संशय बना हुआ है।


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