Friday, 19 September 2025
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जयराम सरकार के कर्जों पर कांग्रेस की चिन्ता-खर्चों पर मांगा श्वेतपत्र

शिमला/शैल। जयराम सरकार ने अभी 250 करोड़ का और कर्ज लिया है और सरकार का कर्जभार 50,000 करोड़ का आकंड़ा पार कर चुका है। माना जा रहा है कि सरकार की वित्तिय स्थिति जिस तरह की चल रही है उसके हिसाब से इस वित्तिय वर्ष में कर्ज लेने का आकंड़ा पिछले वर्षों की अनुपातिक तुलना में बहुत ज्यादा बढ़ जायेगा। आज सरकार का कर्जभार जितना हो चुका है उसका ब्याज ही शायद राज्य के अपने साधनों से मिलने वाले राजस्व से बढ़ जायेगा। इस बढ़ते कर्ज पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के चिन्ता व्यक्त करने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने सरकार से उसके खर्चों पर श्वेतपत्र की मांग कर ली है। राज्य सरकार अपनी तय सीमा से अधिक कर्ज ले रही थी। इस पर वीरभद्र शासन में भी केन्द्र की ओर से वर्ष 2016 में एक चेतावनी पत्र भेजा गया था। शैल इस पत्र को अपने पाठकों के सामने रख चुकी है। ऐसा ही एक पत्र इस बार भी राज्य सरकार को मिल चुका है। बल्कि यह पत्र मिलने के बाद एजी ने भी सरकारी खर्चों को लेकर जानकारी मांगी है। सरकार कांग्रेस की मांग पर यह श्वेतपत्र जारी करती है या नही इसका पता तो आने वाले समय में ही लगेगा। यह सही है कि सरकार लगभग हर मीहने कर्ज ले रही है और यह तथ्य हर महीने प्रदेश की जनता के सामने आता भी रहा है। इस परिदृश्य में कांग्रेस का कर्जों और खर्चों पर चिन्ता करना जायज बनता है क्योंकि सरकार ने सत्ता संभालते ही राज्य की वित्तिय स्थिति पर कोई श्वेतपत्र जारी नही किया था। बल्कि विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश को आर्थिक सहायता देने के जो आकंड़े प्रधानमन्त्री ने चुनावी सभाओं में रखे थे उनका सच मुख्यमन्त्री के पहले ही बजट भाषण में रखे आकंड़ो से सामने आ चुका है। शैल इन आकंड़ो को भी पाठकों के सामने रख चुका है।
इस परिदृश्य में वर्तमान स्थिति को समझने के लिये चालू वित्त वर्ष के आकंड़ो पर नजर डालना आवश्यक हो जाता है। वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों के अनुसार सरकार की कुल राजस्व आया 33746.95 करोड़ रहने का अनुमान है। इसी वर्ष में सरकार का कुल राजस्व व्यय 36089.03 करोड़ रहेगा। इन आकंड़ो के मुताबिक सरकार का खर्च उसकी आये से 2342.08 करोड़ बढ़ जाता है। सरकार की पूंजीगत प्राप्तियां 8357.48 करोड़ और पूंजीगत खर्च 8298.70 करोड़ रहने का अनुमान है। इसमें सरकार के 58.78 करोड़ बच जाते हैं। इस तरह वर्ष में सरकार को कुल 2283.30 करोड़ की कमी रह जाती है। जिसे पूरा करने के केवल 2283.30 करोड़ का कर्ज लेने की आवश्यकता होगी। परन्तु अभी तक ही सरकार इससे अधिक का कर्ज ले चुकी है। इसलिये यह चिन्ता करना वाजिब है कि जब इन आकंड़ो के अनुसार सरकार को हर माह 200 करोड़ से भी कम कर्ज लेने की आवश्यकता है तो फिर इससे अधिक का कर्ज क्यों लिया जा रहा है। क्या मुख्यमन्त्री को आय और व्यय के सही आंकडे़ नही दिये जा रहे हैं?
सरकार के अपने साधनों से उसकी राजस्व आय वर्ष 2017-2018 में 9470.43 करोड़, 2018-19 में 10,229.12 करोड़ और 2019-20 में 10,364.28 करोड़ अनुमानित है। जबकि 2017-18 में पूंजीगत प्राप्तियां 6866.55 करोड़, 2018-19 में 7764.75 करोड़ और 2019-20 में 8357.48 करोड़ होंगी। यहां यह समझना आवश्यक है कि पूंजीगत प्राप्तियां भी कर्ज ही होती हैं। पूंजीगत प्राप्तियों का प्रावधान इसलिये रखा गया है ताकि इस निवेश से सरकार अपने आय के साधन बढ़ा सके। लेकिन उपरोक्त आकंड़ो को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि शायद यह निवेश साधन बढ़ाने पर नही हो रहा है। इसकी पुष्टि सरकार के राजस्व व्यय के आंकड़ों से हो जाती है। वर्ष 2017-18 में यह व्यय 27053.16 करोड़, 2018-19 में 33567.96 करोड़ और 2019-20 में 36089.03 करोड़ होगा। इससे स्पष्ट हो जाता है कि जिस अनुपात में व्यय बढ़ रहा है उसी अनुपात में साधन नही हैं यहां पर यह उल्लेख करना भी आवश्यक हो जाता है कि इस समय सरकार ने 13 सार्वजनिक उपक्रमों और सहकारिता में जो 5149.05 करोड़ की प्रतिभूतियां दे रखी हैं उनमें ही करीब 2400 करोड़ की प्रतिभूतियां जोखिम वाली हो चुकी हैं। सरकार की यह स्थिति तब है जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य, बागवानी और पेयजल तथा वानिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अधिकांश योजनाएं केन्द्र के 90:10 के अनुपात में वित्त पोषित हो रही हैं। यह दुर्भाग्य है कि केन्द्र की इतनी उदार सहायता के बावजूद प्रदेश की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। इससे यह आशंका होना स्वभाविक है कि आर्थिक प्रबन्धन केवल कर्ज प्रबन्धन होकर ही तो नही रह गया है।

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